Friday 24 October 2014

ईशान्यको घुसपैठका कर्करोग : घुसपैठियोंको मिलते हैं शासकीय लाभ


कार्तिक कृष्ण पक्ष एकादशी, कलियुग वर्ष ५११६
bangladesh-flagबांग्लादेशसे असम आनेवाले घुसपैठियोंने अलग श्रमिक संस्कृति स्थापित की है । रिक्षाचालक, घरोंका निर्माणकार्य करनेवाले मजदूर, रंगारी, माली, मार्गका निर्माणकार्य, सब्जीविक्रय आदि काम वे करते हैं । उनकी महिलाएं नौकरानीके काम करती हैं एवं कोई भी काम करनेके लिए सिद्ध रहती हैं । उसीप्रकार स्थानीय मजदूर जो काम करनेमें टोलमटोल करते हैं, वह भी ये घुसपैठिए करते हैं । काले बाजारसे नकली (प्रमाणपत्र) दस्तावेज सिद्ध कर ये घुसपैठिए भारतका नागरिकत्व प्राप्त करते हैं । ये लोग अत्यंत निर्धन होनेके कारण राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार हमी योजना एवं राष्ट्रीय ग्रामीण आरोग्यसेवाके लाभ भी उन्हें मिलते हैं ।
राष्ट्रीय सुरक्षापर संकट
घुसपैठियोंकी समस्याका राष्ट्रीय सुरक्षासे भी संम्बन्ध है । असममें उपद्रव करनेवाले युनाइटेड लिबरेशन फ्रंट ऑफ असम (उल्फा), कामतापूर लिबरेशन आर्गनाइजेशन (केएलओ) एवं नैशनल डेमोक्रेटिक फ्रंट ऑफ बोडोलैंन्ड (एनडीएफबी) आतंकवादी संगठन बांग्लादेशमें हैं । ये संगठन बांग्लादेश-म्यानमार सीमापर कॉक्सबाजारसे शस्त्रास्त्र क्रय करते हैं, यह बात भी सिद्ध हो गई है । शेख हसिनाके नेतृत्वमें बांग्लादेशमें आवामी लीगका शासन आनेके पश्चात उन्होंने भारतको सहयोग करना चालू किया एवं केएलओके मुखिया तपन पटवारीको ढाकामें अक्तूबर २००९ में नियंत्रणमें लिया । उल्फाका अध्यक्ष अरविंद राजखोवा एवं उसके उपप्रमुख राजू बारुआको पिछले वर्ष ४ दिसंबरको कॉक्सबाजारमें पकडा गया । तत्पश्चात मेघालयकी सीमापर असम पुलिसने उन्हें नियंत्रणमें लेकर बंदी बनाया । बांग्लादेशके मैमनसिंह एवं चितगाव जनपदमें उल्फाके छः तल थे । केवल बांग्लादेशसे मिलनेवाले सहायतासे नहीं; अपितु असममें स्थित घुसपैठियोंने उल्फाको किए सहकायोगके कारण यह साम्राज्य स्थापित हुआ था । ३० अक्तूबर २००९ को असममें हुए विस्फोटमें ८३ लोगोंकी मृत्यु एवं ३० लोग घायल हो गए थे । इसके पीछे उल्फा, एनडीएफबी एवं बांग्लादेशके हरकत-उल-जिहाद-अल्-इस्लामीका (हुजी) हाथ होनेकी आशंका है ।
सन्दर्भ – (निवृत्त) ब्रिगेडियर हेमंत महाजन (साप्ताहिक विवेक, ८ अगस्त २०१०)

Tuesday 8 July 2014

बांग्लादेशसे निर्वासित हिन्दुओंको पुनः बांग्लादेशमें भेजनेका विचार ?


आषाढ शुक्ल पक्ष दशमी/एकादशी, कलियुग वर्ष ५११६
असमके स्थानीय हिन्दुओंमें भाजपा शासनके विषयमें असंतोष
  •  ४ करोडसे अधिक बांग्लादेशी घुसपैठियोंपर कोई कार्यवाही न कर निर्वासित हिन्दुओंपर अन्याय करनेवाला निर्णय लेनेकी इच्छा करनेवाली भाजपा सरकार !
  •  हिन्दुत्वनिष्ठोंद्वारा तीन दिनतक ‘असम बंद’ करनेकी चेतावनी !
  •  बांग्लादेशके धर्मांध मुसलमानोंके नियंत्रणसे मुक्त होकर आए हिन्दुओंको पुनः बांग्लादेशमें भेजना अर्थात कसाईयोंके हाथसे छूटी गायोंको पुनः कसाईके हाथोंमें देनेके समानही है ! क्या यह भाजपा शासनको समझमें आएगा ?

गोहत्ती (असम) – वर्तमान समयमें असममें ऐसा प्रचार चालू हो गया है कि असममें २५ मार्च १९७१ के पश्चात बांग्लादेशसे आए हिन्दू एवं मुसलमानोंको पुनः बांग्लादेशमें भेजा जाएगा । इस विषयमें केंद्र अथवा राज्य शासनद्वारा वैधानिक रुपसे कोई घोषणा नहीं हुई अथवा प्रस्ताव नहीं आया । लोकसभा चुनावके प्रचारके समय नरेंद्र मोदीने ‘घुसपैठि बांग्लादेशियोंको हकालकर हिन्दुओंका पुनर्वसन किया जाएगा’, ऐसी घोषणा की थी; परंतु अब भारी मात्रामें प्रचार होते समय भाजपाद्वारा कोई स्पष्टीकरण अथवा वस्तुस्थिति नहीं प्रस्तुत की गई है । अतः असमके स्थानीय हिन्दुओंमें भाजपा शासनके विषयमें असंतोष व्याप्त होने लगा है । (बांग्लादेशी घुसपैठियोंको वापस भेजनेका विषय संवेदनशील होते हुए केंद्रकी भाजपा सरकारने असममें फैली अफवाहोंके विषयमें मौन क्यों रखा है ? हिन्दुओ, सभी पक्ष एक समान होनेके कारण अपनी रक्षाके लिए स्वतंत्र राजनीतिक पक्ष स्थापित कर ‘हिन्दू राष्ट्र’ लाएं ! – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात ) इस अनुषंगसे ही ‘सारा असम बंगाली जातीय परिषद’ने जुलाईके अंतिम सप्ताहमें राजधानी नई देहलीमें धरना आंदोलन आयोजित किया है । पत्रकार परिषद आयोजित कर इस विषयको प्रस्तुत किया जाएगा । उसीप्रकार तीन दिनतक असम बंद करनेकी चेतावनी भी दी गई है ।
२००७ में कांग्रेसकी राज्यसरकारने एक निर्णयके आधारपर बांग्लादेशसे असम आए हिन्दू एवं मुसलमानोंके संदिग्ध व्यक्तियोंको ढूंढकर उनको कारागृहमें रखा है तथा पिछले कुछ दशक पूर्व यहां आए बांगलादेशी हिन्दूओंके विषमें अन्याय्य भूमिका अपनाई जा रही है । ऐसे हिन्दुओंको कारागृहसे मुक्त करनेकी मांग इस आंदोलनद्वारा की जाएगी, ऐसी जानकारी इस परिषदके प्रतिनिधि श्री. सुधेंदु मोहन तालुकदारने दी है । उसीप्रकार देहलीके आंदोलनमें सभी हिन्दुत्वनिष्ठ संगठनोंको सम्मीलित होनेका आवाहन भी किया है । इस आंदोलनमें हिन्दू जनजागृति समिति सम्मीलित होंगी ऐसा समितिने सूचित किया है ।

Tuesday 25 February 2014

असम : घरोंपर लहराते हैं पाक एवं बांग्लादेशके झंडे; बांग्लादेशी घुसपैठियोंके जनतंत्रका विस्फोट !


फाल्गुन कृष्ण पक्ष एकादशी, कलियुग वर्ष ५११५

घरोंपर लहराते हैं पाक एवं बांग्लादेशके झंडे !

हिंदुओ, असमका ही नहीं, अपितु संपूर्ण भारतका ‘इस्लामिस्तान’ होनेसे पूर्व ‘हिंदु राष्ट्र’की स्थापना करें !


गुवाहाटी (असम) : असमकी परिस्थिति प्रतिदिन गंभीर होती जा रही है । देहलीमें बैठकर इसका अनुमान लगाना कठिन है । बांग्लादेशी धर्मांधोंने यहांके मूल निवासियोंको भगाकर बलपूर्वक उनकी भूमि हथिया ली है । दुर्दैवसे व्होट बँकके सामने असमके शासनने बांग्लादेशी धर्मांधोंके सामने घुटने टेक दिए हैं । साथ ही शासन उनपर किसी भी प्रकारकी कार्रवाई करनेमें असमर्थ है । परिणामस्वरूप असममें स्थानस्थानपर पाक तथा बांग्लादेशके झंडे लहराते हुए दिखाई देते हैं ।
१. कुछ दिन पूर्व ही मेरठ महाविद्यालयके संरक्षण अभ्यास विभागके सहायक प्राचार्य डॉ. संजय कुमारने असमके विषयमें जांच की थी, तो यह पाया गया कि वर्ष २०११ की जनगणनाके अनुसार असमके २७ जनपदोंमेंसे ११ जनपद मुस्लिमबहुल हुए हैं । साथ ही मूल निवासी अल्पसंख्यक हो गए हैं । असममें १९५५ में कुल मिलाकर निवासियोंमेंसे ९५ प्रतिशत नागरिक प्रादेशिक थे; किंतु १९७१ में इसमें घटकर आधे ही नागरिक शेष रहे तथा उसी वर्ष बांग्लादेशके अस्तित्वमें आनेके पश्चात असमके मूल प्रादेशिक निवासियोंकी संख्या केवल ३६ प्रतिशत ही शेष रही ।
२. डॉ. संजय कुमारद्वारा प्राप्त सूचनाके अनुसार, असममें ६४ प्रतिशत जनता बाहरसे आई है तथा उनमें भी सबसे अधिक बांग्लादेशी नागरिक हैं । आर्थिक विकासकी ओर अनदेखा करने तथा राजनीतिक उदासीनताके कारण असमपर यह परिस्थिति आई है । कुछ वर्ष पूर्व एकगुट मतदाताओंको आखोंके सामने रखकर कांग्रेस शासनने बांग्लादेशी घुसपैठियोंको स्थानीय नागरिकता प्रदान करनेके लिए कानूनमें परिवर्तन किया । उस समयसे ही असमकी परिस्थिति अधिक गंभीर हुई है । कांग्रेसका आधार प्राप्त होनेसे बांग्लादेशियोंने भी इसका पूरा लाभ उठाया । अतः इसका सबसे भयानक परिणाम यह हुआ कि असमके सीमावर्ती क्षेत्रमें बांग्लादेशियोंकी लोकसंख्या वृद्धि होनेमें स्पर्धा लगी तथा एकएक बांग्लादेशीको चार-चार पत्नियां एवं ५०-५० बच्चे हैं । वहां मतदाताके रूपमें उनका स्थापित होना आरंभ है । इस प्रकार असममें लोकसंख्याका विस्फोट हो रहा है ।
३. इस क्षेत्रमें भ्रमण करनेके पश्चात लौटकर आए कुछ पत्रकारोंने बताया कि यहांकी परिस्थितिका विवरण करना कठिन है । केवल इतना ही समझें कि कछारसहित अनेक प्रदेश भारतके अधिकारसे निकलकर पूरीतरहसे बांग्लादेशी हो गए हैं ।
४. स्थानीय नागरिकोंको बांग्लादेशियोंने भगाया है । वहांके नागरिक धीरज खो बैठे हैं । सेनाकी सहायतासे भी वे लौटनेकी मनःस्थितिमें नहीं हैं । उनकी भूमि बांग्लादेशियोंने बलपूर्वक अधिकारमें ली है । साथ ही अनेक स्थानोंपर, घरोंपर बांग्लादेश तथा पाकके झंडे लगाए गए हैं ।

Monday 24 February 2014

बांग्लादेश से हिंदुओं को खदेड़ा जाएगा तो वह कहां जाएंगे- नरेंद्र मोदी


फाल्गुन कृष्ण पक्ष नवमी, कलियुग वर्ष ५११५

असम में प्राकृतिक संसाधनों की कमी नहीं है। लेकिन फिर यह राज्य बेहाल क्यों है?


सिल्चर (असम) : बीजेपी के पीएम पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी ने सिल्चर में एक बड़ी सभा को संबोधित करते हुए कहा कि कांग्रेस के अंत का समय आ गया है। कांग्रेस पर कभी यकीन मत कीजिए। उन्होंने असम के मुख्यमंत्री तरुण गगोई की जन-विरोधी नीतियों की निंदा करते हुए कहा कि उन्होंने प्रदेश की जनता के हितों की अनदेखी की। उन्होंने कहा कि देश में एनडीए के हक में बयार जल्दी ही सुनामी का रूप ले लगी। सुनामी में कांग्रेस बह जाएगी।
मोदी ने कहा कि असम के बगल में बांग्लादेश हैं। यहां की सरकार की वजह से असम की जनता बांग्लादेशियों से परेशान है। मोदी ने कहा, अब माता कामाख्या का आशीर्वाद पूरे देश को मिलने वाला है।
मोदी ने सवाल उठाया कि असम में प्राकृतिक संसाधनों की कमी नहीं है। लेकिन फिर यह राज्य बेहाल क्यों है? यहां का युवा बेरोजगार है। मोदी ने कहा कि सिल्चर की धरती त्याग और तपस्वियों की धरती है।
मोदी ने कहा बांग्लादेश से दो प्रकार के लोग भारत में आए हैं। एक वो हैं जो राजनीतिक षड्यंत्र के तहत आए हैं। दूसरे वो जिनका वहां जीना मुश्किल कर दिया गया है। उनका जीवन बर्बाद कर दिया गया है।
उनकी बहन-बेटियों की इज्जत सलामत नहीं है। उन्हें वहां से बिना किसी गुनाह के खदेड़ दिया जाता है। अगर वहां से हिंदुओं को इस तरह खदेड़ा जाएगा तो वह कहां जाएंगे।
अटल जी के वक्त पाकिस्तान से भी हिंदू लोग भारत आए थे उन्हें बसाने की योजना बनाई गई।
 * इससे पहले अरुणाचल प्रदेश की एक सभा में उन्होंने कहा कि अरुणाचल प्रदेश भारत का हिस्सा रहेगा। उन्होंने कहा कि सौगंध मेरी इस मिट्टी की, देश टूटने नहीं दूंगा। अपने भाषण के दौरान मोदी ने नीडो तानिया की मौत का भी जिक्र किया। पासीघाट में हुई रैली को संबोधित करते हुए नरेंद्र मोदी ने कहा कि विकास ही पूर्वोत्तर की समस्याओं का समाधान है।
अरुणाचल के लोगों की हिम्मत की सराहना करते हुए मोदी ने कहा कि यहां के लोग अकेले दम पर चीन के खिलाफ डटे हुए हैं। मोदी ने कहा कि पूर्वोत्तर के ८ राज्यों में इस बार कमल जरूर खिलेगा। मोदी ने कहा कि अरुणाचल वीरों की भूमि है। यहां के लोग अकेले दम पर चीन की दादागिरी का डजटकर मुकाबला करते हैं और शान से जयहिंद बोलते हैं।
नरेंद्र मोदी ने चीन से विस्तारवादी नीति छोड़ने की अपील करते हुए कहा कि देश के विकास पर ध्यान केंद्रित किया जाना चाहिए। राज्य के सर्वाधिक पुराने शहर पासीघाट में एक जनसभा को संबोधित करते हुए मोदी ने कहा कि दुनिया भर के लोग चीन सरकार की विस्तारवादी नीति को स्वीकार नहीं करेंगे। विकास एक मात्र रास्ता है, जिससे को कोई राष्ट्र प्रगति के पथ पर चल सकता है।
 * * गुजरात के मुख्यमंत्री ने कहा कि तीन देशों के साथ सीमाएं लगने के कारण भौगोलिक दृष्टि से अरुणाचल प्रदेश बहुत संवेदनशील है। उन्होंने कहा कि राज्य के लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित करते हुए देश की सुरक्षा के लिए बहुत सारे कदम उठाने की जरूरत है। अरुणाचल प्रदेश का प्रत्येक नागरिक एक सैनिक है।
मोदी ने कहा कि अरुणाचल प्रदेश के लोगों की और उनकी जमीन की सुरक्षा हर कीमत पर की जाएगी और राज्य का विभाजन नहीं होने दिया जाएगा। वर्ष १९६२ के भारत-चीन युद्ध का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि उस समय अरुणाचल प्रदेश के लोगों ने चीन का बेहतर सबक सिखाया था और वे चीन के आक्रमण के खिलाफ एकजुटता के साथ खड़े हो गए थे।
मोदी ने करगिल युद्ध का उल्लेख करते हुए कहा कि इस दौरान अरुणाचल प्रदेश के लोगों ने असाधारण वीरता दिखाते हुए बलिदान दिया था। मोदी की यह एक पखवाडे के भीतर पूर्वोत्तर की दूसरी यात्रा है। इससे पहले उन्होंने गुवाहाटी और इंफाल में जनसभाएं की थी।
इस यात्रा के दौरान वह असम, अरुणाचल प्रदेश और त्रिपुरा में जनसभाएं करेंगे।
वह सुबह लगभग सवा दस बजे डिब्रूगढ हवाई अड्डे पर पहुंचे थे। हवाई अड्डे पर वह लगभग १५ मिनट तक रहे और गोपी गोगोई और अनंत हजारिका के परिजनों से मुलाकात की। इन दोनों की मौत आठ फरवरी को उस समय हो गयी थी, जब वे मोदी की जनसभा में हिस्सा लेने जा रहे थे। भाजपा नेता ने पार्टी के राज्य में शीर्ष पदाधिकारियों से मुलाकात भी की।
यहां के हैंडीक्राफ्ट भी करवाना हैं। महत्वपूर्ण है कि मोदी हरचंद कोशिश कर रहे हैं। वे इन सूबों में रैलियां कर रहे हैं। आम जनता से जुड़े सवालों को उठा  रहे है। राजधानी में अरुणाचल प्रदेश के छात्र नीडो की हत्या की कठोर शब्दों में निंदा की। वे पूर्वोत्तर के छात्रों से मिले भी। असम के मुख्यमंत्री तरुण गोगोई ने मोदी की रैली के संबंध  में लोगों से अपील की हैं कि नरेंद्र मोदी का राज्य में मेहमान जैसा वर्ताव होना चाहिए।
अरुणाचल प्रदेश में नरेंद्र मोदी इससे पहले विजय संकल्प रैली को संबोधित कर चुके हैं। वे मणिपुर में भी रैली कर चुके हैं।
स्त्रोत : नितीसेन्ट्रल