फाल्गुन कृष्ण पक्ष एकादशी, कलियुग वर्ष ५११५
घरोंपर लहराते हैं पाक एवं बांग्लादेशके झंडे !
हिंदुओ, असमका ही नहीं, अपितु संपूर्ण भारतका ‘इस्लामिस्तान’ होनेसे पूर्व ‘हिंदु राष्ट्र’की स्थापना करें !
गुवाहाटी (असम) : असमकी परिस्थिति प्रतिदिन गंभीर होती जा रही है । देहलीमें बैठकर इसका अनुमान लगाना कठिन है । बांग्लादेशी धर्मांधोंने यहांके मूल निवासियोंको भगाकर बलपूर्वक उनकी भूमि हथिया ली है । दुर्दैवसे व्होट बँकके सामने असमके शासनने बांग्लादेशी धर्मांधोंके सामने घुटने टेक दिए हैं । साथ ही शासन उनपर किसी भी प्रकारकी कार्रवाई करनेमें असमर्थ है । परिणामस्वरूप असममें स्थानस्थानपर पाक तथा बांग्लादेशके झंडे लहराते हुए दिखाई देते हैं ।
१. कुछ दिन पूर्व ही मेरठ महाविद्यालयके संरक्षण अभ्यास विभागके सहायक प्राचार्य डॉ. संजय कुमारने असमके विषयमें जांच की थी, तो यह पाया गया कि वर्ष २०११ की जनगणनाके अनुसार असमके २७ जनपदोंमेंसे ११ जनपद मुस्लिमबहुल हुए हैं । साथ ही मूल निवासी अल्पसंख्यक हो गए हैं । असममें १९५५ में कुल मिलाकर निवासियोंमेंसे ९५ प्रतिशत नागरिक प्रादेशिक थे; किंतु १९७१ में इसमें घटकर आधे ही नागरिक शेष रहे तथा उसी वर्ष बांग्लादेशके अस्तित्वमें आनेके पश्चात असमके मूल प्रादेशिक निवासियोंकी संख्या केवल ३६ प्रतिशत ही शेष रही ।
२. डॉ. संजय कुमारद्वारा प्राप्त सूचनाके अनुसार, असममें ६४ प्रतिशत जनता बाहरसे आई है तथा उनमें भी सबसे अधिक बांग्लादेशी नागरिक हैं । आर्थिक विकासकी ओर अनदेखा करने तथा राजनीतिक उदासीनताके कारण असमपर यह परिस्थिति आई है । कुछ वर्ष पूर्व एकगुट मतदाताओंको आखोंके सामने रखकर कांग्रेस शासनने बांग्लादेशी घुसपैठियोंको स्थानीय नागरिकता प्रदान करनेके लिए कानूनमें परिवर्तन किया । उस समयसे ही असमकी परिस्थिति अधिक गंभीर हुई है । कांग्रेसका आधार प्राप्त होनेसे बांग्लादेशियोंने भी इसका पूरा लाभ उठाया । अतः इसका सबसे भयानक परिणाम यह हुआ कि असमके सीमावर्ती क्षेत्रमें बांग्लादेशियोंकी लोकसंख्या वृद्धि होनेमें स्पर्धा लगी तथा एकएक बांग्लादेशीको चार-चार पत्नियां एवं ५०-५० बच्चे हैं । वहां मतदाताके रूपमें उनका स्थापित होना आरंभ है । इस प्रकार असममें लोकसंख्याका विस्फोट हो रहा है ।
३. इस क्षेत्रमें भ्रमण करनेके पश्चात लौटकर आए कुछ पत्रकारोंने बताया कि यहांकी परिस्थितिका विवरण करना कठिन है । केवल इतना ही समझें कि कछारसहित अनेक प्रदेश भारतके अधिकारसे निकलकर पूरीतरहसे बांग्लादेशी हो गए हैं ।
४. स्थानीय नागरिकोंको बांग्लादेशियोंने भगाया है । वहांके नागरिक धीरज खो बैठे हैं । सेनाकी सहायतासे भी वे लौटनेकी मनःस्थितिमें नहीं हैं । उनकी भूमि बांग्लादेशियोंने बलपूर्वक अधिकारमें ली है । साथ ही अनेक स्थानोंपर, घरोंपर बांग्लादेश तथा पाकके झंडे लगाए गए हैं ।
२. डॉ. संजय कुमारद्वारा प्राप्त सूचनाके अनुसार, असममें ६४ प्रतिशत जनता बाहरसे आई है तथा उनमें भी सबसे अधिक बांग्लादेशी नागरिक हैं । आर्थिक विकासकी ओर अनदेखा करने तथा राजनीतिक उदासीनताके कारण असमपर यह परिस्थिति आई है । कुछ वर्ष पूर्व एकगुट मतदाताओंको आखोंके सामने रखकर कांग्रेस शासनने बांग्लादेशी घुसपैठियोंको स्थानीय नागरिकता प्रदान करनेके लिए कानूनमें परिवर्तन किया । उस समयसे ही असमकी परिस्थिति अधिक गंभीर हुई है । कांग्रेसका आधार प्राप्त होनेसे बांग्लादेशियोंने भी इसका पूरा लाभ उठाया । अतः इसका सबसे भयानक परिणाम यह हुआ कि असमके सीमावर्ती क्षेत्रमें बांग्लादेशियोंकी लोकसंख्या वृद्धि होनेमें स्पर्धा लगी तथा एकएक बांग्लादेशीको चार-चार पत्नियां एवं ५०-५० बच्चे हैं । वहां मतदाताके रूपमें उनका स्थापित होना आरंभ है । इस प्रकार असममें लोकसंख्याका विस्फोट हो रहा है ।
३. इस क्षेत्रमें भ्रमण करनेके पश्चात लौटकर आए कुछ पत्रकारोंने बताया कि यहांकी परिस्थितिका विवरण करना कठिन है । केवल इतना ही समझें कि कछारसहित अनेक प्रदेश भारतके अधिकारसे निकलकर पूरीतरहसे बांग्लादेशी हो गए हैं ।
४. स्थानीय नागरिकोंको बांग्लादेशियोंने भगाया है । वहांके नागरिक धीरज खो बैठे हैं । सेनाकी सहायतासे भी वे लौटनेकी मनःस्थितिमें नहीं हैं । उनकी भूमि बांग्लादेशियोंने बलपूर्वक अधिकारमें ली है । साथ ही अनेक स्थानोंपर, घरोंपर बांग्लादेश तथा पाकके झंडे लगाए गए हैं ।