Friday 10 August 2012

आसामका दंगा गैरकानूनी घुसपैठका प्रतीक


शुद्ध भाद्रपद कृ. ८, कलियुग वर्ष ५११४
गौहत्ती – आसामके मुख्यमंत्री तरुण गोगोईने  गुरुवारको ऐसा विश्लेषण किया कि आसाममें हुआ दंगा गैरकानूनी घुसपैठका प्रतीक है । इस हिंसाचारके कारण राज्यकी सामाजिक अर्थव्यवस्थाको बडी मात्रामें क्षति पहुंची है । ८० के दशकमें हुए विस्फोटका स्मरण इस निमित्तसे हुआ । पीछले १५ दिनोंसे यहांपर ज्वालामुखीसमान परिस्थिति है । कुछ बोडो संगठन तथा राजनीतिक दलोंने इस हिंसाका समर्थन किया । ( कांग्रेसद्वारा यदि समयपर बांगलादेसी मुसलमानोंकी घुसपैठपर रोक लगाया गया होता, तो स्थानीय हिंदूओंको अपना अस्तित्व बनाए रखनेके लिए बांगलादेसी मुसलमानोंका प्रतिकार करनेके लिए विवश होना नहीं पडता । अतः घुसपैठकी समस्यापर कठोर उपाययोजन न करनेवाली कांग्रेस ही इस दंगेमें हुए हिंसाचारके प्रकरणमें वास्तविक अपराधी है । गोगोईके कथनानुसार यदि बोडो संगठनोंद्वारा इस हिंसाचारका समर्थन किया गया होता, तो विस्थापितोंकी छावनीयोंमें लक्षावधी मुसलमान भी पाए जाते; परंतु गोगोईको यह भी ज्ञात है कि दंगेके कारण विस्थापित हुए लोगोंमेंलक्षावधिकी संख्यामें हिंदू ही हैं । तत्पश्चात भी स्थानीय हिंदूओंपर हिंसा भडकानेका आरोप करनेवाले गागोई विस्थापितोंकी संख्याके ब्यौरेकेविषयमें बात क्यों नहीं करते ? – संपादक ) तो कुछ राजनीतिक दलोंसे संलग्न मुसलमानोंने दंगेके कारण हुए हिंसाचारके लक्ष्य न बननेका दावा किया; परंतु हिंसाका लक्ष्य बने नागरिक स्वदेसी ही थे, ऐसा गोगोईने स्पष्ट किया । ( राजनीतिक दलसे संलग्न मुसलमान अर्थात कौनसा राजनीतिक दल एवं कौनसे मुसलमान ? कांग्रेससे संलग्न बांगलादेसी घुसपैठ मुसलमान ही ऐसा आरोप कर रहे हैं, यह बात गोगोईको ज्ञात नहीं है या उनके बारेमें बोलना मना है ? गोगोईका उपरोक्त कथन अर्थात दंगेके प्रकणमें निरपराध हिंदूओंको फटकारना, जिससे मुसलमान प्रसन्न होंगे एवं मुसलमानोंके विरोधमें टिप्पणी (वह भी मृदू शब्दोंमें) करनेका नाटक करना जिससे विरोधी दलके नेता भी प्रसन्न होंगे, ऐसी धूर्तता है । हिंदूओ, कांग्रेस जिस प्रकार आपको आरोपीके कटघरेमें खडा करती है वैसा मुसलमानोंको नहीं करती है, यह कांग्रेसका सत्य स्वरुप जानिए ! – संपादक )बांगलादेसी घुसपैठ मुसलमानोंद्वारा १९ जुलाईसे किए गए हिंसाचारमें ७७ लोगोंको अपने प्राण गंवाने पडे, तो लक्षावधि स्थानीय हिंदू विस्थापित हुए । विस्थापित हुए  ४ लक्ष नागरिकोंके लिए चिरांग, बोंगाईगांव एवं धुबरी जनपदोंमें २७८ छावनीयां बनाई गई थी । अब वहांकी स्थिति पहले जैसी होने लगी है । सभी निर्वासितोंको अपने घर जानेकी आस लगी हुई है । उन्हें उनके घर पहुंचानेके लिए शासनद्वारा १५ अगस्तका दिन अंतिम दिन निश्चित किया गया है, ऐसा भी उन्होंने कहा ।

आसाममें हो रहे हिंसाचारको रोकनेमें शासन असफल 

नई देहली – आसाममें हो रहे वांशिक हिंसाचारको रोकनेके लिए राज्यशासन असफल रहा है, ऐसी टिप्पणी भाजपके ज्येष्ठ नेता अरुण जेटलीद्वारा की गई । आसाममें हो रहे वांशिक हिंसाचारके विषयमें संसदमें हुई चर्चामें उन्होंने कहा, ‘‘वांशिक हिंसाचार रोकनेमें आसाम शासन पूर्णतः असफल रहा है । सर्वसाधारण अपराध जैसा इस प्रकरणकी ओर न देखा जाए, ऐसी विनति मैं शासनको करता हूं । दोषियोंपर कठोर कार्यवाही करनेकी आवश्यकता है । आसामके कुछ भागोंमें वर्तमानमें जो परिस्थिति है, उससे पुनः संघर्ष होनेकी बडी संभावना है । इसपर ठोस उपाय निकालनेकी आवश्यकता है ।’’
हिंदूओ, बांगलादेसी घुसपैठियोंकी समस्या ज्ञात होते हुए भी उसपर उपाययोजन न करनेसे आसाममें हुए दंगेमें लक्षावधि स्थानीय हिंदू पीडित हानेके उपरांत गोगोईका यह वक्तव्य एक निर्लज्जता ही है ! दंगा बांगलादेसी घुसपैठियोंद्वारा किया गया, यह  बात गोगोईको ज्ञात थी; तो उन्होंने वैसा दंगेके पहले दिन ही क्यों नहीं बताया ? कितने हिंदू इस दंगेमें मारे जाते हैं एवं विस्थापित होते हैं यह देखकर तत्पश्चात ही बांगलादेसी घुसपैठ मुसलमानोंका निर्देश करना अथवा नहीं, क्या इसी बातपर गोगोई इतने दिनोंतक विचार कर रहे थे ? हिंदूओ, गोगोईका यह वक्तव्य कांग्रेसको विलंबसे हुआ ज्ञान नहीं है, अपितु आपके घावोंपर नमक छिडकनेका यह घिनौना कृत्य है, इस बातको जानिए एवं आपको जिहादी आतंकवादी मुसलमानोंके हाथों मरनेके लिए विवश करनेवाले कांग्रेस पक्षके कार्यकर्ताओंको जहां मिलेंगे वहां इस विषयमें वैध मार्गसे फटकारें !

Sunday 5 August 2012

जबतक बांग्लादेशी घुसपैठिए मुसलमान रहेंगे, तबतक आसाम शांत नहीं होगा ! – हिंदुओंकी प्रतिक्रिया


शुद्ध भाद्रपद कृ. ४, कलियुग वर्ष ५११४ 

हिंदुओ, बांग्लादेशी घुसपैठिए मुसलमानोंको भारतसे  बाहर खदेडनेके लिए हिंदु राष्ट्र स्थापित करें !

गौहत्ती – आसाममें हिंदुओंके नेता काम्पा बोरगियारने चेतावनी देते हुए कहा है कि बांग्लादेशी मुसलमान जबतक घुसपैठ  करते रहेंगे, तबतक हिंसा होती रहेगी । इन घुसपैठियोंका मुंबई से नई  देहलीतक कहीं भी विस्थापन किया जा सकता है । हमारे पास  केवल चार जनपद हैं । हम उन्हें यहां अतिक्रमण नहीं कर देंगे ।  आसामके दंगे रुक गए हैं, फिरभी इस बातकी निश्चिति नहीं कि पुनः हिंसाचार नहीं होगा; क्योंकि समस्यापर समाधान ढूंढनेका प्रयास होता हुआ नहीं दिखाई देता । (स्वतंत्रताके ६५ वर्षोमें कांग्रेसद्वारा देशकी किसी समस्यापर स्थायी  समाधान नहीं निकाला  गया है तथा न ही उस समस्याको नष्ट किया गया है । इसलिए देश आज अधोगतिके अंतिम चरण पर खडा है । यही स्थिति रही, तो भारतकी अवस्था ‘टायटॅनिक’ जहाजके समान होगी । इससे पूर्व ही हिंदुओंको छत्रपति शिवाजी महाराजके समान राष्ट्रप्रेमी एवं धर्मप्रेमी राजनेताओंका हिंदु राष्ट्र स्थापित करना अनिवार्य है ! – संपादक)

देशद्रोही कांगे्रसके कारण बांग्लादेशी घुसपैठिए मुसलमानोंको भारतकी नागरिकता  !

‘बोडो टेरिटोरियल काउन्सिल’ के क्षेत्रमें घुसपैठियोंके सूत्रपर गत १० वर्षोंमें ६ बार दंगे हुए हैं । इसका अर्थ प्रत्येक डेढ वर्षके उपरांत दंगा होता है । परिस्थिति अभी भी वैसी ही है । कांग्रेसी राजनेताओंद्वारा घुसपैठियोंको मतदाता परिचय पत्र, राशन कार्ड आदि नागरिकतासे संबंधित प्रपत्र प्राप्त करवाने हेतु सहायता की जाती है । उसके बदलेमें ये घुसपैठिए कांग्रेस पक्षको मतदान करते हैं । हिंदु नेताओंने इस बातपर खेद व्यक्त किया है कि आसाम राज्य देशके एक कोनेमें होनेके कारण  इस बातकी किसीको कोई चिंता नहीं है ।

घुसपैठियोंको खदेडना, यही आसाम समस्याका समाधान है !

हिंदु विधायक कमल सिंह नारजरीने प्रतिक्रिया व्यक्त करते  हुए कहा है कि ये घुसपैठिए जिस दिन इतनी भारी मात्रामें नई देहलीमें जाकर रहेंगे उस दिन हमें सबसे अधिक आनंद होगा ।’’ बोडोलैंड विद्यापीठके राजनीतिशास्त्रके प्राध्यापक जनीन मुशाहरीने कहा कि आसामकी समस्याका एकमात्र समाधान ‘‘घुसपैठियोंको खदेडना’’ है ।

सत्ताधीश हिंदु मंत्रियोंकी निष्क्रियता !

कमल सिंह नारजरीका ‘बोडो पीपल्स फ्रंट’ गत १० वर्षोंसे कांग्रेस शासनके सहकारी पक्षके रूपमें कार्य कर रहा है । फ्रंटके तीन विधायक मंत्री रह चुके  हैं । वर्ष २०११ में कांग्रेसको बहुमत मिला है, तथा  फ्रंटके एक विधायक चंदन ब्रह्मा सरकारमें पर्यटनमंत्री हैं । वे कारण बताते हुए कहते हैं कि ‘बोडो फ्रंट’ चलाना है ।  सरकारके विरोधमें जाकर यह काम करना असंभव है ।

नकली मतदाता !

दूसरी ओर जनगणना अधिकारियोंके सामने धक्कादायी बात आई है कि आसाममें रहनेवाले मूल नागरिकोंकी अपेक्षा मतदाताओंकी संख्या अधिक है । मतदाता केवल वयस्कर होते हैं; परंतु संख्या अत्यधिक बढगई है, इसका अर्थ है नकली  मतदाताओंकी संख्या अधिक है ।