असम के दरांग में सिपाझार हिंसा के पीछे PFI का हात होने की आशंका
असम के सिपाझार में अतिक्रमण खाली कराने गई पुलिस पर भीड़ ने हमला कर दिया था, जिसमें कई पुलिसकर्मी घायल हो गए। अब मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने इस घटना के पीछे PFI (पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया) का हाथ होने की बात कही है। उन्होंने कहा कि PFI दरंग जिले के धौलपुर में ‘तीसरी ताकत’ के रूप में काम कर रहा था, जिसने अवैध अतिक्रमणकारियों को भड़काया। फिर उन्होंने अतिक्रमण खाली कराने गई सरकारी टीम पर हमला बोल दिया।
ये लोग वर्षों से सरकारी जमीन पर कब्ज़ा जमा कर बैठे हुए थे। गुरुवार (23 सितंबर, 2021) को हुए इस हमले में दो अतिक्रमणकारी भी मारे गए। मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने अनुसार, भीड़ को उकसाने और लोगों को जुटा कर इस घटना को अंजाम देने वाले 6 लोगों को चिह्नित किया गया है, जिसमें एक कॉलेज शिक्षक भी शामिल है। उन्होंने बताया कि इस घटना के 1 दिन पहले लोगों को भोजन देने के नाम पर PFI के लोगों ने इस क्षेत्र का दौरा किया था।
असम की सरकार ने इस सम्बन्ध में महत्वपूर्ण दस्तावेज केंद्र सरकार को भेजे हैं और माँग की है कि PFI पर पूर्ण रूप से प्रतिबंध लगाया जाए। राज्य सरकार को ये भी जानकारी मिली है कि PFI के 6 लोगों ने पिछले 3 महीनों में अतिक्रमणकारियों से 28 लाख रुपयों की वसूली की है, जिसके बदले वादा किया गया कि वो अवैध कब्जे को खाली नहीं होने देंगे। जब वो ऐसा करने में नाकामयाब रहे तो उन्होंने भीड़ को उकसाया।
इस हमले में 9 पुलिसकर्मी घायल हो गए हैं। वहीं PFI ने इस मामले में उलटे सीएम सरमा को घुड़की देते हुए चुनौती दी है कि अगर उनके पास संगठन के विरुद्ध कोई भी सबूत है तो इसे सार्वजनिक कर के दिखाएँ। PFI ने कहा कि राज्य में उपचुनाव आने वाले हैं, इसीलिए जमीन खाली करने की प्रक्रिया को सांप्रदायिक रंग दिया जा रहा है और मुख्यमंत्री सरमा ‘खुला झूठ’ बोल रहे हैं। बदरुद्दीन अजमल की पार्टी AIUDF भी इस मामले में राज्य सरकार के खिलाफ खड़ी है।
AIUDF के एक प्रतिनिधिमंडल ने राज्यपाल जगदीश मुखी से मिल कर माँग रखी कि जिन-जिन लोगों से जमीनें खाली कराई गई हैं, उनमें प्रत्येक को खेती के लिए 6-6 बीघा और घर के लिए एक-एक बीघा जमीन दी जाए। सीएम सरमा ने कहा कि सिपाझार, लुमडिंग और बरछाला की जमीनों पर ढिंग, रूपोहीहाट और लाहौरीघाट के लोगों द्वारा एक साजिश के तहत कब्ज़ा किया गया। उन्होंने कहा कि ऐसा प्रत्येक 5 वर्षों में किया जाता है, ताकि वहाँ की डेमोग्राफी बदले।
सीएम सरमा ने ख़ुफ़िया एजेंसियों को मिली जानकारी के आधार पर ये बातें कहीं। ये सूचना भी मिली है कि कॉलेज में एक लेक्चर दिया गया था, ताकि विवाद को बढ़ाया जा सके। उन्होंने पूछा कि जहाँ 60 परिवारों को हटाना था, वहाँ 10,000 लोग कैसे जमा हो गए? CAA विरोधी आंदोलन की जाँच के दौरान PFI के प्रदेश अध्यक्ष को गिरफ्तार भी किया गया था, लेकिन 3 महीने बाद उन्हें अदालत से जमानत मिल गई।
उन्होंने कहा कि PFI के विरुद्ध जो भी कार्रवाई की जा सकती है, असम सरकार उसमें लगी हुई है। केंद्र को डोजियर भेजा जाना उसी का हिस्सा है। राज्य सरकार ने अवैध कब्जा खाली कराने से पहले ‘ऑल असम माइनॉरिटीज स्टूडेंट्स यूनियन (AAMSU)’ के साथ 2 बार बैठक की थी। दरंग के डिप्टी कमिश्नर और AAMUSU के लोग दो बार वहाँ साथ गए थे। उन्होंने कहा कि इनमें से अधिकतर लोगों के जमीनें हैं, वो भूमिहीन नहीं हैं।
साथ ही उन्होंने वादा किया कि अगर इनमें से कोई भूमिहीन है तो उसे सरकारी योजना के तहत दो एकड़ जमीन मिलेगी, बशर्ते राज्ये के किसी हिस्से में उनके पास पहले से जमीन नहीं होनी चाहिए। मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने कहा कि इन लोगों को विश्वास में लेकर ही कब्ज़ा खाली कराने का कार्य शुरू हुआ था। कॉन्ग्रेस विधायकों के प्रतिनिधिमंडल को उन्होंने उन्होंने ये बात समझाई है, लेकिन उसके बाद हंगामा खड़ा कर दिया गया।
बता दें कि असम में 26 सत्रों (वैष्णव मठों) की 5548 बीघा जमीन को घुसपैठियों ने कब्ज़ा रखा है। एक RTI से तो यहाँ तक पता चला था कि असम का 4 लाख हेक्टेयर जंगल क्षेत्र अतिक्रमण की जद में है। ये राज्य के कुल जंगल क्षेत्रों का 22% एरिया है। एक सरकारी समिति ने पाया था कि असम के 33 जिलों में से 15 में बांग्लादेशी घुसपैठिए हावी हैं। इन अतिक्रमणकारियों ने अवैध गाँव के गाँव बसा लिए हैं।
संदर्भ : OpIndia
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