Sunday, 26 November 2017

पश्चिम बंगाल : गाय तस्करी के कॉरीडोर से आए थे अलकायदा आतंकी


कोलकाता : एसटीएफ के हाथों पकड़े गए अलकायदा के तीनों आतंकियों शमशाद, रियाज और शहादत से पूछताछ में और भी कई चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं । शहादत से गहन पूछताछ में पता चला है कि, वे लोग सितंबर के आखिरी सप्ताह और अक्टूबर के पहली सप्ताह के बीच उत्तर २४ परगना जिले (पश्चिम बंगाल) के बशीरहाट स्थित गाछाग्राम से लगी बांग्लादेश की सीमा से भारत में घुसे थे ।
यह वही क्षेत्र है जहां से पश्चिम बंगाल के रास्ते बांग्लादेश में गायों की तस्करी होती है । आतंकियों को भी सीमा पार करवाने के लिए इसी कॉरीडोर का उपयोग किया जाता है । पांच-पांच हजार रुपये दलालों को देकर इन आतंकियों को सीमा पार करवाया गया था ।
इसमें सीमा पर तैनात सुरक्षा एजेंसियों के जवानों की भी मिलीभगत सामने आई है । बशीरहाट के रास्ते आतंकियों के सीमा पार होने की जानकारी मिलने के बाद बीएसएफ की खुफिया टीम भी जांच में जुट गई है । लालबाजार पुलिस मुख्यालय पहुंचकर गिरफ्तार किए गए आतंकियों, विशेषकर शहादत हुसैन से पूछताछ की गई । सीमा पार करवाने वाले दलालों की पहचान कर उनकी धरपकड़ की तैयारी की जा रही है ।

कई और आतंकियों के सीमा पार करने की जानकारी सामने आई

शहादत ने पूछताछ में बताया कि, उसने गाछाग्राम के इस कॉरीडोर से और भी कई आतंकियों को सीमा पार करवाया है । इनमें नयन, सजल और उमर फारुख के अलावा भी कुछ आतंकियों के पश्चिम बंगाल में घुसने की आशंका जताई जा रही है ।
अलकायदा के तीनों आतंकियों से पूछताछ में पता चला है कि, शमशाद व रियाज तीन फरार चल रहे आतंकियों नयन, सजल और फारुख के साथ हावड़ा स्टेशन के ठीक पास स्थित शिवम होटल में ठहरे थे । उक्त होटल में छापामारी व जांच के बाद ही एसटीएफ को होटल के रजिस्टर से उमर फारुख के बारे में जानकारी मिली । हावड़ा के इस होटल से एसटीएफ को अलकायदा के तीसरे फरार आतंकी उमर फारुख उर्फ माही के बारे में जानकारी मिली है । उसके पास पश्चिम बंगाल का आधार कार्ड है । उसने मोहम्मद अफताब खान के नाम से आधार कार्ड बनवा रखा है । उसी के आधार पर वह भी शिवम होटल में ठहरा था ।

यह घटना से कुछ सूत्र ध्यान में आते है . . .

१. आज बांग्लादेशी घुसपैठिए बडे आराम में भारत की सीमा में प्रवेश कर रहे है । एक रिपोर्ट के अनुसार, बांग्लादेशी सीमा काफी लंबी है इसलिए हर जगह सैनिकों की गश्त संभव नही है । इसलिए घुसपैठियों को आराम से भारत में प्रवेश करना संभव होता है । सरकार ने इसकी आेर गंभीरता से ध्यान देकर यह घुसपैठ रोकने के लिए प्रयास करने चाहिए, नहीं तो यही बांग्लादेशी आगे जाकर भारत में आतंकी गतीविधीयों को अंजाम देने में कोर्इ कसर नहीं छोडेंगे ।
२. दुसरा मुद्दा ये है कि, केवल पैसों के लिए आतंकियों को देश में घुसने के लिए सहायता करनेवाले देशद्रोहीयों की भी गंभीरता से जांच होनी आवश्यक है । अधिकतर घुसपैठियों के पास नकली दस्तावेज़ मिल चुके है । इन्हे यह दस्तावेज़ उपलब्ध करवा देनेवाले भ्रष्ट अधिकारी भी भारत की सुरक्षा में सेंध लगा रहे है । एेसे अधिकारीयों को खोजकर उन्हें बन्दी बनाकर उनपर देशद्रोह का मुकदमा चलाना चाहिए । केन्द्र सरकार ने एेसा गुनाह करनेवालों को कठोर से कठोर दंड देना चाहिए, जिससे कोर्इ भी आगे भ्रष्टाचार करने की हिम्मत न कर सकें ।

Wednesday, 22 November 2017

कोलकाता : दो संदिग्ध बांग्लादेशी आतंकी और उनका भारतीय साथी गिरफ्तार, ५० आधार कार्ड बरामद


दो संदिग्ध बांग्लादेशी आतंकी और उनका भारतीय साथी (मध्य में) गिरफ्तार
कोलकाता : बांग्लादेश के एक प्रतिबंधित आतंकी संघटन  अंसार बांग्ला’ के दो संदिग्ध सदस्यों और उनके एक भारतीय साथी को मंगलवार को शहर पुलिस के विशेष कार्य बल (एसटीएफ) ने कोलकाता रेलवे स्टेशन से गिरफ्तार किया । एसटीएफ के उपायुक्त मुरलीधर शर्मा ने बताया कि, बांग्लादेश के सिलहट के रहनेवाले शमशाद मियां उर्फ तनवीर सैफुल उर्फ तुषार विश्वास और खुलना के रहनेवाले रिजाउल इस्लाम उर्फ रियाज डेढ़ साल पहले भारत में घुस आये थे । शमशाद इंजीनियर है और उसके पास तुषार विश्वास नाम का पैन कार्ड मिला । उनके पास से पचास आधार कार्ड और हाथ से लिखी पर्चियां मिली हैं जिनमें शहर के धर्मातला और पार्क स्ट्रीट जैसे इलाकों के नाम हैं ।
एसटीएफ के उपायुक्त ने कहा कि, रासायनिक पदार्थों की कुछ जानीमानी दुकानों के विजिटिंग कार्ड भी जब्त किए गए । पुलिस को संदेह है कि, उन्होंने बम बनाने के लिए इन दुकानों से रासायनिक पदार्थ खरीदे । उन्होंने कहा कि, उनके भारतीय साथी की पहचान मनोतोष डे उर्फ मोना के रूप में की गयी है जो पश्चिम बंगाल के उत्तरी २४ परगना जिले के बसीरहाट का निवासी है । वह कथित शस्त्र विक्रेता है । शमशाद मियां और रिजाउल इस्लाम का हाथ बांग्लादेश में १७ ब्लॉगरों की हत्या में होने का संदेह है ।
यह घटना से कुछ सूत्र ध्यान में आते है . . .
१. आज बांग्लादेशी घुसपैठिए बडे आराम में भारत की सीमा में प्रवेश कर रहे है । एक रिपोर्ट के अनुसार, बांग्लादेशी सीमा काफी लंबी है इसलिए हर जगह सैनिकों की गश्त संभव नही है । इसलिए घुसपैठियों को आराम से भारत में प्रवेश करना संभव होता है । सरकार ने इसकी आेर गंभीरता से ध्यान देकर यह घुसपैठ रोकने के लिए प्रयास करने चाहिए, नहीं तो यही बांग्लादेशी आगे जाकर भारत में आतंकी गतीविधीयों को अंजाम देने में कोर्इ कसर नहीं छोडेंगे ।
२. दुसरा मुद्दा ये है कि, केवल पैसों के लिए आतंकियों को आधारकार्ड, पॅन कार्ड जैसे महत्त्वपूर्ण दस्तावेज़ उपलब्ध कैसे होते है ? इसकी भी गंभीरता से जांच होनी आवश्यक है । अधिकतर घुसपैठियों के पास नकली दस्तावेज़ मिल चुके है । इन्हे यह दस्तावेज़ उपलब्ध करवा देनेवाले भ्रष्ट अधिकारी ही भारत की सुरक्षा में सेंध लगा रहे है । एेसे अधिकारीयों को खोजकर उन्हें बन्दी बनाकर उनपर देशद्रोह का मुकदमा चलाना चाहिए । केन्द्र सरकार ने एेसा गुनाह करनेवालों को कठोर से कठोर दंड देना चाहिए, जिससे कोर्इ भी आगे भ्रष्टाचार करने की हिम्मत न कर सकें ।

Wednesday, 1 November 2017

बांग्लादेशी आतंकी कनेक्शन मिलने के बाद देवबंद में लोगों के पासपोर्ट जांच रही पुलिस


उत्तर प्रदेश के देवबंद में पिछले दिनों आतंकी कनेक्शन के बाद सहारनपुर पुलिस अब सतर्क होकर कदम रख रही है। पुलिस ने अब देवबंद क्षेत्र के सभी लोगों के पासपोर्ट को फिर से चेक करवाने का निर्णय लिया है जिसके लिए एसएसपी ने LIU और स्थानीय पुलिस को आदेश जारी किया है।
स्थानीय एसएसपी का कहना है कि, हाल में देवबंद में बांग्लादेश के प्रतिबंधित आतंकी संघठन के कई सक्रिय सदस्यों को देवबंद व उसके आस-पास से गिरफ्तार किया था। आतंकियों के पास से फर्जी पासपोर्ट और अन्य दस्तावेज मिले थे जिसको देखते हुए आदेश दिए गए हैं ।
सहारनपुर पुलिस को ATS की इस कार्यवाही की भनक तक नहीं लगी थी। देवबंद में आतंकी का मिलना सहारनपुर पुलिस के ख़ुफ़िया विभाग की बड़ी निष्क्रियता थी, इस मामले में पुलिस की बड़ी फजीहत भी हुई थी।
यह घटना से कुछ सूत्र ध्यान में आते है…
१. केवल पैसों के लिए आतंकियों को फर्जी पासपोर्ट उपलब्ध करवा देनेवाले भ्रष्ट अधिकारी ही भारत की सुरक्षा में सेंध लगा रहे है । एेसे अधिकारीयों को खोजकर उन्हें बन्दी बनाकर उनपर देशद्रोह का मुकदमा चलाना चाहिए । केन्द्र सरकार ने एेसा गुनाह करनेवालों को कठोर से कठोर दंड देना चाहिए, जिससे कोर्इ भी आगे भ्रष्टाचार करने की हिम्मत न कर सकें ।
२. दुसरा मुद्दा ये है कि, आज बांग्लादेशी घुसपैठिए बडे आराम में भारत की सीमा में प्रवेश कर रहे है । एक रिपोर्ट के अनुसार, बांग्लादेशी सीमा काफी लंबी है इसलिए हर जगह सैनिकों की गश्त संभव नही है । इसलिए घुसपैठियों को आराम से भारत में प्रवेश करना संभव होता है । सरकार ने इसकी आेर गंभीरता से ध्यान देकर यह घुसपैठ रोकने के लिए प्रयास करने चाहिए, नहीं तो यही बांग्लादेशी आगे जाकर भारत में आतंकी गतीविधीयों को अंजाम देने में कोर्इ कसर नहीं छोडेंगे ।

आप क्या कर सकते है ?

१. फर्जी दस्तावेज बनाने में मदद करनेवाले एेसे भ्रष्ट अधिकारीयोंपर कठोर कारवार्इ करने की केन्द्र सरकार से मांग करें । इसके लिए ज्ञापन प्रस्तुती कर सकते है ।
२. यदि आप के क्षेत्र में इस प्रकार से कोर्इ अधिकारी फर्जी दस्तावेज बनाता ध्यान में आए, तो तुरंत उसकी सूचना पुलिस को दें । यदि फिर भी कुछ कारवार्इ नही होती, तो हमें contact@hindujagruti.org इस र्इमेल पतेपर भेजे ।
३. अाप के क्षेत्र में यदि कोर्इ व्यक्ती संदिग्ध तरीके रहता नजर आए तो उसकी सूचना पुलिस को दें।

Saturday, 14 October 2017

अवैध बांग्लादेशियों को यूपी से खदेडने की तैयारी में योगी सरकार !


म्यांमार में रोहिंग्या मुसलमानों की समस्या से निपटने के लिए सख्ती बरती जा रही है। इसका असर भारत पर भी पडा है। देश में रोहिंग्या मुसलमानों को शरण दी जाए या नहीं इस पर चर्चाएं तेज हैं !
इस बीच उत्तर प्रदेश सरकार ने वर्षों पुरानी अवैध बांग्लादेशी नागरिकों की समस्या को जड़ से निपटाने की तैयारी कर ली है। दरअसल उत्तर प्रदेश में लाखों अवैध बांग्लादेशियों के नाम बदलकर रहने की सूचना है। कय मामलों में कुछ बांग्लादेशी आतंकी गतिविधियों में भी लिप्त पाए गए हैं !
इसके बाद से उत्तर प्रदेश सरकार ने राज्य में अवैध रूप से रह रहे विदेशियों खासकर अवैध बांग्लादेशियों के खिलाफ बडे अभियान की तैयारी तेज कर दी है। इसके तहत हर शहर में सर्वे किया जाएगा, उसके बाद एक्शन ​होगा !
दरअसल बुधवार को प्रदेश की कानून व्यवस्था की समीक्षा करते हुए सीएम योगी आदित्यनाथ ने अवैध बांग्लादेशी नागरिकों की समस्या से निपटने के लिए कड़े कदम उठाने की बात कही। उन्होंने अधिकारियों को हर जिले का सर्वे कराकर अवैध रूप से रह रहे बांग्लादेशी नागरिकों को प्रदेश से बाहर खदेडने की बात कही !
इसके साथ ही मुख्यमंत्री ने प्रदेश के सीमावर्ती जिलों में भी विशेष निगरानी के आदेश दिए। उन्होंने कहा कि अवैध घुसपैठ रोकने के लिए सघन जांच अभियान चलाया जाए !
दरअसल उत्तर प्रदेश एटीएस ने पिछले दिनों देवबंद व कई जगहों से अवैध रूप से रह रहे बांग्लादेशी नागरिकों को गिरफ्तार किया था। इनकी संलिप्तता बांग्लादेश के आतंकी संगटन से पता चली थी !
जानकारी के अनुसार सिर्फ उत्तर प्रदेश में ही लाखों बांग्लादेशियों के अपनी पहचान बदलकर रहने की सूचना है। इनमें सिर्फ लखनऊ में ही करीब ९० हजार बांग्लादेशियों के अवैध रूप से रहने की सूचना है !
स्त्रोत : न्यूज 18

Thursday, 5 October 2017

रोहिंग्या मुस्लिमों को घुसपैठ कराने की फिराक में ३ देशद्रोही गिरफ्तार


प्रतिकात्मक चित्र
जागरण में अाए समाचार के अनुसार, रोहिंग्या मुस्लिमों को अवैध रूप से घुसपैठ कराने में मदद करने के आरोप में भारत-बांग्लादेश सीमा के निकट एक गांव से तीन लोगों को गिरफ्तार किया गया है । सिपाहीजाला जिले के पुलिस अधीक्षक सुदीप्त दास ने मंगलवार को बताया कि, असम, त्रिपुरा पुलिस के अधिकारियों व बीएसएफ जवानों ने सोमवार रात नबादविप चंद्र नगर गांव में छापा मारा और सुमन चौधरी (३५), फारुक चौधरी (३२) तथा शाहजहां चौधरी (३८) को गिरफ्तार किया ।
गत १९ अगस्त को ६ रोहिंग्या मुस्लिमों को असम के करीमगंज से गिरफ्तार किया गया था । पूछताछ के दौरान उन्होंने स्वीकार किया कि, वे म्यांमार के रखाइन प्रांत के रहनेवाले हैं और बांग्लादेश में शरणार्थी बनकर रह रहे थे । उन्होंने घुसपैठ करानेवाले एक गिरोह की मदद से संवेदनशील सीमांत इलाके नबादविप चंद्र नगर के रास्ते भारत में प्रवेश किया । इस गिरोह में गिरफ्तार किए उक्त तीनों शामिल थे ।
यह समाचार पढकर ध्यान में आता है कि . . . 
१. भले ही भारत सरकार ने, रोहिग्याआें का भारत में रहना सुरक्षा के लिए खतरनाक बताया हो परंतु यहां के देशद्रोहियों की इसकी कोर्इ चिंता नही है । इसलिए वो देश की सुरक्षा को अनदेखा कर रोहिंग्या मुसलमानों को भारत में घुसपैठ करने के लिए मदत कर रहे है ।
२. बता दे कि, इसके पहले भी देश में रोहिंग्याआें को शरण मिले इस हेतु कुछ राजनेता तथा कुछ मुस्लिम लोगो ने भी सरकार पर दबाव डालने का प्रयास किया है । उनके समर्थन में मोर्चे निकाले है । अवैध रुप से रहनेवाले रोहिंग्याआें के पास से नकली पासपोर्ट, आधार कार्ड, वोटरकार्ड बरामद होने के भी कर्इ घटना सामने आ चुकी है ।
३. म्यांमार आर्मी के एक रिपोर्ट अनुसार, सेना को रखाइन राज्य में तलाशी के दौरान एक सामूहिक कब्रगाह मिली थी । इसमें ४५ हिन्दुओं के कंकाल बरामद हुए थे । आर्मी ने आरोप किया है कि, इन हिन्दुओं की हत्या रोहिंग्या मिलिटेंट्स ने की है ।
४. हाल ही में भारत में अल-कायदा के लिए रोहिंग्याआें को भर्ती करने के आरोप में ब्रिटेन के रहने वाले रहमान को देहली पुलिस के स्पेशल सेल गिरफ्तार किया था ।
५. इससे हम अंदाजा लगा सकते है कि, देश मे रोहिंग्याआें का रहना कितना खतरनाक है । भारत सरकार ने रोहिंग्या मुसलमानों को देश से बाहर करने का जो निर्णय लिया है, वह सराहनीय ही है । परंतु इसी के साथ अब भारत सरकार ने ठोस कदम उठाकर रोहिंग्याआें को देश में घुसने के लिए मदत करनेवालों पर तथा उनका समर्थन करनेवालों पर कडी कारवार्इ करनी चाहिए ।

Friday, 22 September 2017

गाझियाबाद : वाेटर आइडी, अाधार कार्ड के साथ अवैध बांगलादेशी गिरफ्तार


गाझियाबाद : यहां अवैध तरीके से रहनेवाले बांग्लादेशी नागरिक को पुलिस ने गिरफ्तार किया है । पुलिस ने उसके विरोध में अपराध प्रविष्ट किया है।
पकडे गए बांग्लादेशी का नाम इस्लार्इल है आैर व यहां एक छोटे झोपडी में रहता था आैर छोटा-मोटा काम करके अपनी जिंदगी जी रहा है । पुलिस ने उसके पास से एक वोटर आइडी, आधार कार्ड एवं बैंक पासबूक जब्त किया है ।
बता दे कि, कल एेसी ही एक घटना सामने आर्इ थी जिसमे मोहम्मद इस्माइल उर्फ इशा नामके रोहिंग्या मुस्लिम नें आधार कार्ड बनवा लिया था आैर पासपोर्ट बनवाते समय उसे गिरफ्तार किया गया था।
यह घटना देखते हुए भारत के लिए इन घुसपैठीयों की समस्या कितनी गंभीर है यह बात ध्यान में आती है। एेसी घटनाआें के लिए भारत के ही भ्रष्ट अधिकारी तथा कुछ राष्ट्रविरोधी नागरिक उत्तरदायी है । इस कारण भारत में जिहादी लोगों को आसानी से आधार कार्ड, राशन कार्ड, पॅन कार्ड जैसे महत्त्वपूर्ण दस्तावेज मिल जाते है आैर यही जिहादी आगे चलकर भारत की सुरक्षा को खतरा बन जाते है तथा भारत में आतंकी गतिवीधीयों को अंजाम देते है।
केन्द्र सरकार ने एेसा गुनाह करनेवालों को कठोर से कठोर दंड देना चाहिए, जिससे कोर्इ भी आगे भ्रष्टाचार करने की हिम्मत न कर सकें ।
भारत ने जिस तरह रोहिंग्या मुसलमानों को वापस भेजने का निर्णय लिया है, उसी तरह अब इन अवैध बांग्लादेशी घुसपैठीयों को भी जल्द ही देश से बाहर करना चाहिए, नहीं कल यही घुसपैठिए भारत की सुरक्षा को सेंध लगाकर भारत की बर्बादी करेंगे ।
कल बाग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना ने म्यानमार सरकार से कहां था कि, रोहिंग्या मुस्लिमों को वापस ले ! इससे सीख लेकर क्यों ना भारत भी शेख हसीना से मांग करे कि, आपके बाग्लादेशी नागरीक जो अवैध तरीके से यहां रह रहे है उन्हे वापस ले !

आप क्या कर सकते है ?

१. फर्जी दस्तावेज बनाने में मदद करनेवाले एेसे भ्रष्ट अधिकारीयोंपर कठोर कारवार्इ करने की केन्द्र सरकार से मांग करें । इसके लिए ज्ञापन प्रस्तुती कर सकते है ।
२. यदि आप के क्षेत्र में इस प्रकार से कोर्इ अधिकारी फर्जी दस्तावेज बनाता ध्यान में आए, तो तुरंत उसकी सूचना पुलिस को दें । यदि फिर भी कुछ कारवार्इ नही होती, तो हमें contact@hindujagruti.org इस र्इमेल पतेपर भेजे ।
३. अाप के क्षेत्र में यदि कोर्इ व्यक्ती संदिग्ध तरीके रहता नजर आए तो उसकी सूचना पुलिस को दें।

Thursday, 14 September 2017

‘वंदे मातरम’ को इन्कार करनेवाले अबु आझमी कहते है देश के सम्मान के लिए रोहिंग्याआें को शरण दे


पिछले कुछ दिनों से मुंबर्इ में समाजवादी पार्टी के महाराष्ट्र के विधायक अबू आजमी ‘देश बचाआे देश बनाआे’ आंदोलन चला रहा है, जिसमें वे ‘भारत सरकार रोहिंग्या मुसलमानों को भारत में शरण दे’ यह मांग कर रहे है । १३ सितंबर को रोहिंग्या सॉलिडरीटी मूव्हमेंट, मुंबर्इ की आेर से मुंबर्इ मराठी पत्रकार संघ के कार्यालय में पत्रकार परिषद का आयोजन किया गया था । उस समय ‘रोहिंग्या मुसलमानों के पुनर्वास के लिए भारत सरकार आगे आए’ यह मांग की गर्इ । इस समय कर्इ मुस्लिम संगठनों के कार्यकर्ता तथा पदाधिकारी भी उपस्थित थे ।
इस समय अबू आजमी ने कहा, ‘‘मोदी सरकार ‘भीखमंगी’ हो चुकी है । इसके पूर्व हमने बांग्लादेशी निर्वासितों को भारत में आश्रय दिया था । यदि सरकार को टैक्स चाहिए, तो हम उसे जमा कर सरकार को देने के लिए सिद्ध है । राेहिंग्याआें को शरण ना देने के कारण पूरे विश्व में भारत की बदनामी हो रही है । हम भी इसी देश का एक अंग है । देश के सम्मान के लिए रोहिंग्याआें को भारत में आश्रय देना चाहिए । जिस प्रकार तस्लिमा नसरीन जैसों को भारत में आश्रय दिया गया है, उसी प्रकार रोहिंग्याआें को भी आश्रय मिलना चाहिए । ’’
उपर अबू आजमी का एक विडिआे भी दिया है, जिसमें वे रोहिंग्या मुसलमानों का समर्थन करते हुए अपना मत प्रकट कर रहे है । यह सब बाते देखने तथा पढने पर कुछ सूत्र ध्यान में आए, जिनपर सभी हिन्दुआें ने तथा राष्ट्रप्रेमी नागरिकों ने गौर करना चाहिए :
१. ‘हमारी जान चली जाए, फिर भी हम वंदे मातरम नहीं कहेंगे’ एेसा कहकर देश का अपमान करनेवाले अबू आजमी ने देश के सम्मान की बात करना शर्मनाक है ।
२. अवैध बांग्लादेशी घुसपैठियों को पिछले राज्यकर्ताआें की निष्क्रियता तथा व्होटबैंक पाॅलिटिक्स के कारण आश्रय मिला है । इन्हें भी रोहिंग्या मुसलमानों के साथ साथ देश से बाहर कर देना चाहिए ।
३. कुछ दिन पूर्व अबू आजमी ने कहा था, ‘‘चाहे हमें देश से बाहर कर दिजिए. पर हम पर वंदे मातरम् कहने की सख्ती ना करे ।’’ तो किसी राष्ट्रप्रेमी नागरिक के मन में यह विचार आ सकता है की ’भारत सरकार रोहिंग्याआें के साथ साथ अबू आजमी जैसे लोगों को भी बाहर करना चाहिए ।´
४. पिछली २ दशकों से भी अधिक समय से कश्मीरी हिन्दू, जिहादी आतंकवाद के कारण अपने ही देश में निर्वासितों का जीवन जी रहे है । तब अबू आजमी का मानवतावाद तथा ’देश का सम्मान’ कहां गया था ?
५. म्यानमार में पिछले कुछ दिनों में रोहिंग्या आतंकवादियों ने सैकडो हिन्दुआें की हत्या की है एैसी वार्ताएं सामने आर्इ है । यदि एैसे आतंकवादियों को भारत में आश्रय मिलेगा, तो वे कितने हिन्दुआें की यहां हत्या करेंगे, एेसा प्रश्न भी मन में आता है ।
६. हाल ही में प्रकाशित हुए एक समाचार के अनुसार हैद्राबाद में एक रोहिंग्या मुस्लिम युवक को पासपोर्ट बनवाते समय पुलिस ने गिरफ्तार किया है । उसके पास से आधार कार्ड, पॅनकार्ड आदि प्राप्त किए गए । किसी ‘शरणार्थी’ को इस प्रकार के महत्त्वपूर्ण दस्तावेज मिल सकते है, यह देश के सुरक्षा के लिए बहुत गंभीर समस्या है । इसमें दोषी भ्रष्ट अधिकारियों पर तुरंत ही कारवार्इ होनी चाहिए । यह समाचार पढकर एेसा प्रश्न भी मन में आ सकता है की ‘क्या अबू आजमी जैसे राजकीय नेता प्रशासन पर इस प्रकार के दस्तावेज देने के लिए दबाव तो नहीं डाल रहे है ना ?’

आप क्या कर सकते है ?

१. भारत सरकार ने राेहिंग्या मुसलमानों को वापस भेजने का जो निर्णय लिया है, उसके लिए अपना समर्थन भारत सरकार को इमेल तथा सोशल मिडीया के माध्यम से भेजे । किसी के भी दबाव में ना आते हुए अपने निर्णय पर कायम रहे ।
२. भारत सरकार से अनुरोध करे की रोहिंग्या मुसलमानों के साथ साथ सभी अवैध बांग्लादेशी घुसपैठियों को भी भारत से बाहर भेजे ।
३. अबू आजमी के वक्तव्यों का सोशल मिडीया के माध्यम से संवैधानिक मार्ग में विरोध करे । इसलिए आप #ProtestAbuAzmi जैसे हैशटैग का भी उपयोग कर सकते है । इस विषयपर आप अपने मित्र, परिवार के सदस्य तथा अन्य राष्ट्रप्रेमी नागरिकों के साथ चर्चा कर उनमें इस विषयपर जागृति निर्माण कर सकते है ।

Thursday, 17 August 2017

उत्तर प्रदेश : ATS के छापे में संदिग्ध बांग्लादेशी आतंकी अब्दुल्ला मुजफ्फरनगर से गिरफ्तार


आतंकी अब्दुल्ला
उत्तर प्रदेश एटीएस की टीम ने रविवार शाम संदिग्ध बांग्लादेशी आतंकी अब्दुल्ला को मुजफ्फरनगर से गिरफ्तार किया है । पुलिस के अनुसार, अब्दुल्ला बांग्लादेश के प्रतिबंधित आतंकी समूह ‘अंसारुल्ला बांग्ला टीम’ से जुडा हुआ है ।
गिरफ्तार अब्दुल्ला ने पूछताछ में एटीएस को बताया कि, वह फैज़ान की मदद से नकली आईडी बनाता है । इस सूचना के बाद एटीएस टीम ने देवबंद में फैजान के किराए के कमरे पर दबिश दी गई, परंतु वह वहां नहीं मिला ।
कमरे में तलाशी ली गई गई तो वहां से बांग्ला भाषा में जिहादी साहित्य, बम बनाने की विधि का साहित्य, कलर प्रिंटर, कई नकली आईडी मिले हैं । यह स्पष्ट हुआ है की फैजान भी बांग्लादेशी संदिग्ध आतंकी है और अंसारुल्ला बांग्ला टीम से जुडा है ।
एटीएस के अनुसार, अब्दुल्लाह ने भारत में आधार कार्ड और पासपोर्ट भी बनवा रखा था । वहीं आतंकियों को शरण देने और उनका पहचान पत्र बनाने का काम कर रहा था ।
बता दें, कि, आतंकी अब्दुल्लाह पिछले एक महीने से मुजफ्फरनगर में रह रहा था । उसने फर्जी आईडी की मदद से अपना पासपोर्ट भी बनवा रखा था । इससे पहले वह सहारनपुर में रह रहा था और यही रहते हुए उसने पासपोर्ट बनवाया था ।
अन्सारुल्ला बांग्ला टीम कुख्यात आतंकवादी ओसामा बिन लादेन द्वारा गठित किए गए आतंकवादी संगठन ‘अलकायदा’ से प्रेरित तन्जीम बताई जाती है ।
संदर्भ : न्युज १८

Sunday, 16 July 2017

बंगाल सांप्रदायिक हिंसा : तुष्टीकरण की राजनीति ने लोगों को बांट दिया है


आज बदुरिया में जो हो रहा है वो तुष्टीकरण की नीतियों का ही नतीजा है . . .

बदुरिया आज बांग्लादेश का ही हिस्सा लग रहा है। स्थानीय लोग अपने ही क्षेत्र में अजनबी हो गए हैं। पुलिस अब लडकियों से छेडखानी की शिकायत तक नहीं सुनती ! ३ जुलाई को जो हिंसा भडकी वो तो बस एक बहाना थी। असल में घुसपैठिये यहां बचे हुए पुराने लोगों को ये इलाका छोडकर भाग जाने की धमकी दे रहे हैं !
पश्चिम बंगाल में तकी रोड पर जब आप कोलकाता से बांग्लादेश सीमा पर घोजाडांगा पोस्ट की आेर बढते हैं, तो इस व्यस्त हाइवे पर लगभग ५० किलोमीटर चलकर बेराचंपा से एक दोराहा आता है। बाएं की ओर १४ किलोमीटर आगे चलते हुए आप बदुरिया कस्बे पहुंच जाते हैं।
बदुरिया की जनसंख्या लगभग ढाई लाख है। हाल ही में यहां हुए सांप्रदायिक दंगों की वजह से इसकी चर्चा हो रही है। बदुरिया की हिंसा का असर न केवल पूरे देश के सांप्रदायिक माहौल को बिगाड सकता है, बल्कि ये मामला देश की सुरक्षा से भी जुडा है !
आज से १६ वर्ष पहले बदुरिया आने पर मैंने देखा था कि, ये जगह एकदम शांत हुआ करती थी। जीवन की रफ्तार सुस्त थी। उस समय तकी रो़ड पर भी इतना ट्रैफिक नहीं हुआ करता था। हम अपनी दोपहिया गाडी पर भी आराम से चलते हुए बदुरिया पहुंचे थे।
हालांकि उस समय भी बदुरिया में शांत माहौल में आनेवाले तूफान के संकेत दिख रहे थे। जब १६ वर्ष पहले हम यहां आए थे, तो रमजान का महीना चल रहा था। नमाज के लिए हाइवे को बंद कर दिया गया था। हमें नमाज और इफ्तार पूरे होने तक हाइवे के किनारे स्थित एक चाय की दुकान पर रुकना पडा था।
थोडी देर में यह दुकान खचाखच भर गई थी। आमतौर पर देहली की सियासी इफ्तारों से अलग हमारे सुदूर गांव-कस्बों की इफ्तार शांत और सादी होती हैं। परंतु यहां रोजेदारों के लिबास और बोली दोनों ही साफ बताती थी कि, वे हिंदुस्तानी नहीं हैं !
बदुरिया में हमारे मेजबान ने हमारे शक पर मुहर लगा दी थी। वे लोग खुद बदुरिया के बदलते माहौल से परेशान थे। अपने ही क्षेत्र में वो अजनबी हो चुके थे। अवैध घुसपैठ के चलते बडी तादाद में बांग्लादेशी बदुरिया में आकर बस रहे थे। उस समय पश्चिम बंगाल में वाम मोर्चे की सरकार थी। वामपंथी सरकार ने इस घुसपैठ की आेर से आंखें बंद की हुई थीं। वो बांग्लादेश से आए इन घुसपैठियों को वोटबैंक के तौर पर उपयोग कर रहे थे।
उस समय बदुरिया के लोग ममता बनर्जी को बडी उम्मीद की नजर से देखते थे। उन्हें लगता था कि ममता की सरकार बनी तो वो बांग्लादेशी घुसपैठियों पर लगाम लगाएंगी। उन्हें लगता था कि ममता के सत्ता में आने पर प्रशासन बेहतर होगा। हिंदू-मुसलमान के नाम पर भेदभाव नहीं होगा।
आज १६ वर्ष बाद बदुरिया के लोगों की उम्मीदें टूट चुकी हैं। आज ये क्षेत्र जंग का मैदान बन चुका है। १७ वर्ष के एक लडके की जिस फेसबुक पोस्ट की वजह से यहां पिछले सप्ताह जबरदस्त हिंसा हुई, वो तो बस बहाना थी। इस बार हमारे मेजबान बताते हैं कि जब हिंसा भडकी तो उन्हें बहुत डर लगा। इसीलिए वो बाकी देशवासियों को यहां के हालात के बारे में बताने को बेताब थे। उन्हें डर लग रहा था कि अगर कुछ किया न गया तो यहां बडा ‘हत्याकांड’ हो सकता है !

हालात बेहद खराब

स्थानीय लोग कहते हैं कि आज की तारीख में बदुरिया में हालात बेहद बिगड चुके हैं। यहां के ६५ प्रतिशत वोटर मुसलमान हैं। यहां पर सबसे ज्यादा जो इमारतें बन रही हैं वो मदरसे और मस्जिद हैं !
बदुरिया आज बांग्लादेश का ही हिस्सा लग रहा है। स्थानीय लोग अपने ही क्षेत्र में अजनबी हो गए हैं। पुलिस अब लडकियों से छेडखानी की शिकायत तक नहीं सुनती ! ३ जुलाई को जो हिंसा भडकी वो तो बस एक बहाना थी। असल में घुसपैठिये यहां बचे हुए पुराने लोगों को ये इलाका छोडकर भाग जाने की धमकी दे रहे हैं !
आज ये हालात ममता बनर्जी की मुस्लिम तुष्टीकरण की नीति के कारण से उत्पन्न हुए हैं। यहां के ज्यादातर लोग भारतीय नागरिक तक नहीं हैं ! दंगाइयों और हिंसा भडकानेवालों (जो फेसबुक पोस्ट लिखने के आरोपी लडके को फांसी पर लटकाने की मांग कर रहे थे) के प्रति नरमी दिखाकर ममता ने साफ कर दिया है कि वो सांप्रदायिक ताकतों के आगे झुक गई हैं। तभी तो उन्होंने यहां तीन दिन तक दंगाइयों को खुली छूट दे रखी थी और सुरक्षाबलों को उनसे निपटने से रोक रही थीं !
जब ममता बनर्जी को दंगाइयों से सख्ती से निपटना चाहिए था। जब उनकी जिम्मेदारी थी कि वो सांप्रदयिक ताकतों के विरोध में कडे कदम उठातीं, तो वो केंद्र सरकार से झगडा करने लगीं। मदद के लिए भेजी गई सुरक्षा बलों की टुकडियों को लौटा दिया। इसके बाद वो राज्यपाल पर आरोप लगाने लगीं !
ममता ने उन्हें भाजपा का सडकछाप नेता कह दिया और उन पर अपमानित करने का आरोप भी लगाने लगीं। इससे ममता बनर्जी की नीयत साफ हो गई। जाहिर है कि उनकी ये सियासी नौटंकी कानून-व्यवस्था को लेकर अपनी नाकामी छुपाने के लिए ही थी। कानून का राज कायम करने के मोर्चे पर ममता बनर्जी बुरी तरह फेल हुई हैं !
इस हिंसा को राज्यपाल की ओर से ‘हस्तक्षेप’ की उपज बताने के उनके दांव को भले ही उनके समर्थक मान लें, परंतु इससे तो सांप्रदायिक ताकतों के हौसले बुलंद ही होंगे ! राज्य के दूसरे हिस्सों में भी दंगाइयों को ममता के रवैये से हौसला मिलेगा। बदुरिया में शरीयत के तहत सजा की मांग, केवल बंगाल ही नहीं, पूरे देश के लिए खतरे की घंटी है !
धर्म के नाम पर कत्ल करने पर उतारू भीड को सजा न मिलने से एक धर्मनिरपेक्ष लोकतांत्रिक देश होने के हमारे दावे पर दाग लगना तय है। किसी भी भीड का हिंसक तरीकों से अपनी मांग मंगवाना जायज नहीं। लोगों को कानून से खिलवाड की इजाजत नहीं दी जानी चाहिए !

मीडिया पर भी सवाल

पश्चिम बंगाल की ताजा सांप्रदायिक हिंसा को लेकर वहां के मीडिया के रोल पर भी सवाल उठे हैं। सरकार के दबाव में या फिर चापलूसी की नीति के चलते किसी भी बडे मीडिया हाउस ने बदुरिया की हिंसा की घटना को प्रसिद्धि नहीं दी !
यूं लग रहा था कि मीडिया की इस शुतुरमुर्गी नीति से हालात खुद-ब-खुद ठीक हो जाएंगे। मगर ये उसी मीडिया की खामोशी थी, जो हाल के दिनों में देश के दूसरे हिस्सों में पीट-पीटकर हुई हत्याओं की घटनाओं पर खूब शोर मचा रहा था। गौरक्षकों की हिंसा को लेकर यही मीडिया छाती पीट रहा था। पश्चिम बंगाल के मीडिया को समझना होगा कि अपराधियों से निपटने के दो पैमाने नहीं हो सकते। अगर वो गौरक्षकों की हिंसा को लेकर शोर मचा रहे थे, तो उन्हें बदुरिया की सांप्रदायिक हिंसा पर भी आवाज उठानी चाहिए थी !
पाकिस्तान की तरह भारत अच्छे और बुरे आतंकवादी यानी अच्छे और बुरे दंगाइयों का फर्क नहीं कर सकता !
सवाल ये है कि, पश्चिम बंगाल में कालियाचक, धूलागढ़ और अब बदुरिया की सांप्रदायिक हिंसा क्या संकेत देती है ? पश्चिम बंगाल के बिगडते सांप्रदायिक माहौल के लिए यूं तो केवल ममता को जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता। मगर मौजूदा सरकार होने की वजह से सबसे ज्यादा जवाबदेही उन्हीं की बनती है। इससे वो अपनी नौटंकीवाली सियासत करके पल्ला नहीं झाड सकतीं !
पूरे देश को मालूम है कि, वोट बैंक की राजनीति के चलते पश्चिम बंगाल में वामपंथी सरकारों ने बांग्लादेश के अवैध घुसपैठियों की आेर से आंखें मूंदे रखीं। उस दौर में भारत-बांग्लादेश की सीमा पर जानवरों के बदले इंसानों की अदला-बदली का कारोबार आम था। सीमा की सुरक्षा के लिए जिम्मेदार एजेंसियां ये अवैध कारोबार रोकने में नाकाम रहीं !
इससे ही साफ है कि, हम देश की सुरक्षा को लेकर कितने गंभीर हैं ! हमारी नाकामी की सबसे बडी मिवर्ष यही है कि हमें यही नहीं पता कि बांग्लादेश से कितने लोगों ने अवैध तरीके से हिंदुस्तान में घुसपैठ की। आज हालात ये हैं कि खुद बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना ने चेताया है कि बांग्लादेश से आतंकी पश्चिम बंगाल में घुसकर पनाह ले रहे हैं। परंतु ममता ने शेख हसीना की चेतावनी को भी अनसुना कर दिया !
कोई भी सरकार जिसकी हालत पर नजर हो, जो देश की सुरक्षा को लेकर गंभीर हो, वो घुसपैठ को लेकर बेहद सतर्क होगी। परंतु पश्चिम बंगाल में ऐसा नहीं हुआ। घुसपैठियों की तादाद बढ़ती रही। मुसलमानों की जनसंख्या पश्चिम बंगाल में जितनी तेजी से बढ़ी है, उतनी तेजी से देश के किसी भी हिस्से में नहीं बढ़ी। फिर भी वहां की सरकारें सोई रहीं !

क्या है इस हिंसा की जड में ?

आज पश्चिम बंगाल में मुस्लिम जनसंख्या, आजादी से पहले के स्तर पर पहुंच रही है। १९४१ में पश्चिम बंगाल में २९ प्रतिशत मुसलमान जनसंख्या थी। आज ये आंकडा २७ प्रतिशत पहुंच गया है। जबकि देश के बंटवारे के बाद १९५१ में पश्चिम बंगाल में केवल १९.५ प्रतिशत मुसलमान थे। बंटवारे के बाद बडी तादाद में मुसलमान, पाकिस्तान चले गए थे।
हम मुसलमानों की जनसंख्या में बढोतरी के आंकडों पर गौर करें तो चौंकानेवाली बातें सामने आती हैं ! २००१ से २०११ के बीच पश्चिम बंगाल में मुस्लिम जनसंख्या १.७७ प्रतिशत सालाना की दर से बढ़ी। जबकि देश के बाकी हिस्सों में मुस्लिम जनसंख्या ०.८८ प्रतिशत की दर से बढ़ी !
यूं तो राजनीति में आंकडों की बहुत बात होती है। परंतु पश्चिम बंगाल की तेजी से बढ़ती मुस्लिम जनसंख्या की आेर से सब ने आंखें मूंद रखी थीं। सियासी फायदे के लिए देशहित की कुर्बानी दे दी गई। अगर हम आंकडों पर ध्यान देते तो फौरन बात पकड में आ जाती कि जिस बंगाल में कारोबार ठप पड रहा था, उद्योग बंद हो रहे थे, वहां लोग रोजगार की नीयत से तो जा नहीं रहे थे !
आज की तारीख में हम घुसपैठ के सियासी असर की बात करें तो, पश्चिम बंगाल के तीन जिलों में मुसलमान बहुमत में हैं। लगभग १०० विधानसभा सीटों के नतीजे मुसलमानों के वोट तय करते हैं। यानी मुस्लिम वोट, पश्चिम बंगाल की सियासत के लिहाज से आज बेहद अहम हो गए हैं। इसीलिए राज्य में ममता बनर्जी जमकर मुस्लिम तुष्टीकरण की राजनीति कर रही हैं। उनसे पहले वामपंथी दल यही कर रहे थे !
तुष्टीकरण की गंदी सियासत का नमूना हमने २००७ के चुनावों में देखा था। उस समय अपनी तरक्कीपसंद राजनीति के बावजूद वामपंथी सरकार ने बांग्लादेशी लेखिका तस्लीमा नसरीन को कोलकाता से बाहर जाने पर मजबूर किया। इसकी वजह ये थी कि बंगाल के कट्टरपंथी मुसलमान, तस्लीमा के शहर में रहने का विरोध कर रहे थे। आज का पश्चिम बंगाल सांप्रदायिक रूप से और भी संवेदनशील हो गया है !
ममता बनर्जी ने सांप्रदायिकता को अपना सबसे बडा सियासी हथियार बना लिया है। उनका आदर्शवाद सत्ता में रहते हुए उडन-छू हो चुका है। राज्य के २७ प्रतिशत मुस्लिम जनसंख्या को लुभाने के लिए ममता किसी भी हद तक जाने को तैयार दिखती हैं। इसीलिए वो नूर-उल-रहमान बरकती जैसे मौलवियों को शह देती हैं !
ये वही बरकती है जिसने पीएम मोदी के विरोध में फतवा दिया था। बरकती ने कई भडकाऊ बयान दिए। वो लालबत्ती पर रोक के बावजूद खुले तौर पर अपनी गाडी में लालबत्ती लगाकर चलता था। परंतु ममता ने उसके विरोध में कोई एक्शन नहीं लिया। बाद में कोलकाता की टीपू सुल्तान मस्जिद के ट्रस्टियों ने बरकती को इमाम पद से जबरदस्ती हटाया।
इसी तरह ममता बनर्जी ने मालदा के हरिश्चंद्रपुर कस्बे के मौलाना नासिर शेख की आेर से आंखें मूंद लीं। इस मौलाना ने टीवी, संगीत, फोटोग्राफी और गैर मुसलमानों से मुसलमानों के बात करने पर पाबंदी लगा दी थी। राज्य के धर्मनिरपेक्ष नियमों के विरोध में जाकर ममता ने इमामों और मौलवियों को उपाधियां और पुरस्कार दिए हैं !
ममता ने मुस्लिम तुष्टीकरण की सारी हदें तोड दी हैं ! तभी तो दुर्गा पूजा के बाद ४ बजे के बाद मूर्ति विसर्जन पर, मुहर्रम का जुलूस निकालने के लिए रोक लगा देती हैं। उन्हें आम बंगालियों की धार्मिक भावनाओं का खयाल तक नहीं आता। कलकत्ता उच्च न्यायालय ने ममता बनर्जी सरकार के इस फैसले को अल्पसंख्यकों का अंधा तुष्टीकरण कहा था !
क्या ममता बनर्जी को ये समझ में आएगा कि मुस्लिम तुष्टीकरण से बंगाल में अब काजी नजरुल इस्लाम जैसे लोग नहीं पैदा होगे। बल्कि इससे इमाम बरकती और नसीर शेख जैसे मौलवियों को ही ताकत मिलेगी ! ये वही लोग हैं जो मुसलमानों की नुमाइंदगी का दावा करते हैं, मगर उन्हीं के हितों को चोट पहुंचाते हैं। ये सांप्रदायिकता फैलाते हैं !
आज बदुरिया में जो हो रहा है वो तुष्टीकरण की नीतियों का ही नतीजा है। कल यही हाल कोलकाता का भी हो सकता है !
ममता बनर्जी सांप्रदायिकता की ऐसी आग से खेल रही हैं, जिस पर काबू पाना उनके बस में भी नहीं होगा !
स्त्रोत : फर्स्ट पोस्ट

Saturday, 15 July 2017

भारत रक्षा मंच के मुरली मनोहर शर्माजी द्वारा व्यक्त बांग्लादेशी घुसपैठ की समस्या की वास्तविक भीषणता !


१४ जून को अखिल भारतीय हिन्दू अधिवेशन के सायंकाल के सत्र में मान्यवरोंद्वारा व्यक्त किए गए विचार

षष्ठ अखिल भारतीय हिन्दू अधिवेशन में भारत रक्षा मंच (ओडिशा) के राष्ट्रीय सह-संयोजक मुरली मनोहर शर्मा ने उपस्थित हिन्दुत्वनिष्ठों को उद्बोधित करते हुए कहा कि, आनेवाले समय में देश का प्रधानमंत्री कौन होगा, यह बांग्लादेशी घुसपैठिए निश्‍चित करेंगे !
१. देश में सर्वाधिक घुसपैठिए बांग्लादेशी हैं । उनके लिए नौकरी, पैन कार्ड, मतदान परिचय पत्र आदि अनेक सुविधाएं बनाकर देने में दलाल तत्काल तैयार रहते हैं । शासन की सर्व प्रकार की योजनाएं और सुविधाएं उनके लिए लागू की जाती हैं । इस प्रकार घुसपैठ करनेवाले केवल देश लूटने के लिए ही आए होते हैं ।
२. इसके विपरीत बांग्लादेशी हिन्दू देश में आश्रय के लिए आते समय वैध मार्ग से आता है; परंतु उसकी प्रविष्टी बांग्लादेश से आया हुआ की जाती है । इसलिए उसे देश की नागरिकता शीघ्र नहीं मिलती ।
३. अन्य देशों की तुलना में अपने देश में शरणार्थियों को सर्वाधिक सुविधाएं दी जाती हैं ।
४. आनेवाले काल में देश का प्रधानमंत्री कौन होगा, यह निर्णय बांग्लादेशी घुसपैठिए करेंगे, ऐसी भयावह स्थिति उत्पन्न होगी ।
५. देश में कितने बांग्लादेशी घुसपैठिए हैं, इसकी संख्या शासन भी नहीं दे सकता ।  ऐसे घुसपैठिए देशभर में फैले हुए हैं तथा उन्हें देश से भगाना सरल नहीं है । ६. यह समस्या बढ रही है तथा वह गंभीर है । कल वे अपना एक अलग देश मांग सकते हैं ।

अखिल भारतीय हिन्दू अधिवेशन के संबंध में श्री. मुरली मनोहर शर्माजी के  गौरवोद्गार

हिन्दू अधिवेशन का रूपांतरण वटवृक्ष में हो रहा है ! अखिल भारतीय हिन्दू अधिवेशन जब पहली बार आयोजित किया था, उस समय  ५ से अधिक राज्यों के हिन्दुत्वनिष्ठ संगठन सम्मिलित हुए थे । आज का अधिवेशन  देश-विदेश के १३२ से अधिक संगठनों ने एकत्रित आकर आयोजित किया है । इसके द्वारा अधिवेशन का रूपांतरण अब वटवृक्ष में हो रहा है । सनातन संस्था और हिन्दू  जनजागृति समिति सभी को एकत्रित कर हिन्दू राष्ट्र की दिशा में मार्गक्रमण कर रही है । अधिवेशन में आए हुए प्रत्येक को हिन्दू राष्ट्र लाने और उसका प्रसार करने का दायित्व निभाना पडेगा । प्रत्येक को हिन्दू ध्वज सात समुद्र पार जाकर फहराना है ।

उद्बोधन सत्र में पारित प्रस्ताव


केंद्रशासन देश में अवैध रूप से वास्तव्य करनेवाले बांग्लादेशी घुसपैठियों को उनके देश में लौटाने का कानून तत्काल बनाए ।
बांग्लादेश से प्रतिदिन भारत में आनेवाले बांग्लादेशी नागरिकों के लिए काम करने की अनुमति (वर्क परमिट) देनेवाला कानून संसद में पारित हो ।
दंगों के पश्‍चात पीडितों को हानिभरपाई देने के लिए नियुक्त की गई पूछताछ समिति में हिन्दुत्वनिष्ठों को भी सम्मिलित किया जाए ।
गत ५ वर्षों में हिन्दुआें के विरोध में हुए दंगों में पीडितों का पुनर्वसन, उन्हें दी जानेवाली सहायता राशि की योग्यता-अयोग्यता और उस पर हुई प्रत्यक्ष कार्यवाही की पूछताछ के लिए एक समिति नियुक्त की जाए । उस समिति की सिफारिशों के अनुसार दंगे पीडितों को सहायता राशि दी जाए ।
दंगों में जिन हिन्दुआें के घर नष्ट हो गए हों, उनका पुनर्वसन किया जाए ।
स्वतंत्रता के पश्‍चात आज तक हुए दंगों में मृत हुए मुसलमानों के लिए उनके परिजनों को दी गई सहायता राशि में जो सर्वाधिक सहायता राशि हो, उतनी ही राशि मृत हिन्दू के परिजनों को दी जाए ।  उपस्थित हिन्दुत्वनिष्ठों ने ये सभी प्रस्ताव ‘जयतु जयतु हिन्दुराष्ट्रम ।’ के  जयघोष में हाथ उठाकर पारित किए ।

Wednesday, 28 June 2017

मुंबई : पिछले ३० वर्षों से अवैध तरीके रहनेवाले ३ बांग्लादेशी गिरफ्तार


मुंबई : शिवाजी नगर पुलिस के आतंकवाद निरोधक दस्ता (एटीसी) द्वारा गोवंडी के रफीक नगर से एक महिला समेत तीन बांग्लादेशियों की गिरफ्तारी कीया गया है। सभी आरोपी गैरकानूनी तरीके से पिछले ३० वर्षों से मुंबई में रह रहे थे। पुलिस की गिरफ्त में आए इन बांग्लादेशी नागरिकों का नाम जाकिर सगीर हुसैन (५२), सुल्ताना जाकिर हुसैन (३८) और खुशाब जाकिर हुसैन (२१) हैं, जो गोवंडी में दर्जी का काम करते हैं।
पुलिस ने आईपीसी की धारा ४२०, ४६५, ४६७, ४६८, ४७ और ३१ के अलावा पासपोर्ट ऐक्ट के तहत मामला दर्ज कर इन्हें स्थानीय न्यायालय में पेश किया, जहां से सभी को पुलिस रिमांड में भेज दिया गया है। बताया जा रहा है कि, गोवंडी, शिवाजी नगर, मानखुर्द और चेंबूर बांग्लादेशियों के लिए सबसे आसान जगह बन गई है। यह कार्रवाई २३ जून को की गई थी।

फर्जी दस्तावेज बरामद

शिवाजी नगर पुलिस स्टेशन के पुलिस अधिकारी नारायण तुरकुंडे के अनुसार, तीनों आरोपी गोवंडी के शिवाजी नगर स्थित रफीक नगर में रहते थे। पेशे से दर्जी का काम करते हैं। गुप्त सूचना के आधार पर जब कार्रवाई की गई, तो पाया गया कि, तीनों आरोपियों के जन्म प्रमाणपत्र फर्जी हैं।
ये लोग ऐसे ही फर्जी प्रमाणपत्र के आधार पर नकली मतदान कार्ड, आधार कार्ड, राशन कार्ड, पैन कार्ड एवं अन्य दस्तावेज बना कर भारत में गैरकानूनी तरीके से रहने लगते हैं। पुलिस ने सोशल सर्विस ब्रांच की मदद से कार्रवाई को अंजाम दिया है। गोवंडी, शिवाजी नगर, मानखुर्द जैसे क्षेत्र में पुलिस अक्सर कॉम्बिंग ऑपरेशन चला कर गैरकानूनी तरीके से रहने वालों को गिरफ्तार करती रहती है।

पहले भी पकडे गए हैं बांग्लादेशी

स्थानीय सूत्र बताते हैं, ‘गोवंडी, शिवाजी नगर और मानखुर्द पुलिस की हद में अभी भी सैकडों बांग्लादेशी गैरकानूनी तरीके से रह रहे हैं। जब इनकी जांच की जाती है तो ये लोग भारतीय कागजात दिखाकर पुलिस से बच निकलते हैं। हालांकि, पुलिस अब इन बांग्लादेशियों के विरुध्द सख्त कार्रवाई करने के तयारी में हैं। इनके दस्तावेजों की भी बारीक जांच-पडताल की जा रही है।
शिवाजी नगर पुलिस स्टेशन के एटीसी अधिकारी सतीशचंद्र राठौड के अनुसार, पुलिस गिरफ्तार आरोपियों के दस्तावेज की जांच रही है। हमारे पुलिस हवलदार नवनाथ लोंडे, नलावडे और झेरडे ने इससे पहले भी पांच ऐसे आरोपियों को सोशल ब्रांच की मदद से गिरफ्तार किया था, जो गैरकानूनी तरीके से गोवंडी में छुपे हुए थे।
स्त्रोत : नवभारत टाइम्स

Saturday, 25 March 2017

बांग्लादेश से भागकर बंगाल, असम व त्रिपुरा में शरण ले रहे आतंकी : रिपोर्ट


कोलकाता : बांग्लादेश सरकार की एक रिपोर्ट पश्चिम बंगाल सरकार और भारत सरकार की चिंता बढ़ा दी है। बांग्लादेश सरकार द्वारा भारतीय गृह मंत्रालय को भेजी रिपोर्ट में पुष्टि की गई है कि बंगाल, असम और त्रिपुरा में आतंकी नेटवर्क तेजी से फैल रहा है।
बांग्लादेश में सक्रिय कई आतंकी संगठनों को इन राज्यों में पनाह मिल रही है। बांग्लादेश और भारत की सीमा के आर-पार जाना आसान है। आतंकी इसी का फायदा उठाकर बंगाल में घुसपैठ कर रहे हैं। बंगाल की लगभग २२००० किलोमीटर की सीमा बांग्लादेश से लगी है। हरकत-उल-जिहादी अल-इस्लामी और जमात-उल-मुजाहिदीन बांग्लादेश सीमा पर कमजोर सुरक्षा का फायदा उठा रहे हैं। बंगाल की सीमा से भारत में घुसपैठ करने वाले कई आतंकियों के अलकायदा व इस्लामिक स्टेट से भी संबंध बताए जाते हैं।
एक रिपोर्ट के अनुसार, बंगाल में वर्ष २०१६ में जमात-उल-मुजाहिदीन और हरकत-उल-जिहादी अल इस्लामी यानी हूजी के कई आतंकियों ने घुसपैठ की है। खुफिया रिपोर्ट बताती हैं कि, इन दोनों संगठनों के दो हजार से ज्यादा आतंकियों ने भारत में घुसपैठ की। इनमें से ७२० पश्चिम बंगाल के रास्ते से पहुंचे हैं। हालांकि, पश्चिम बंगाल के अधिकारी इस रिपोर्ट पर सवाल उठाते हैं।
इन आंकड़ों पर विश्वास न भी करें तो भी जिस तरह से बांग्लादेश से घुसपैठ बढ़ रही है, वह बेहद खतरनाक है।
पिछले वर्ष जुलाई में ढाका के गुलशन कैफे में हुए धमाके का एक मास्टरमाइंड बंगाल के एक होटल में ठहरा था। इस आतंकी हमले के तार सीधे आईएस (इस्लामिक स्टेट) से जुड़े थे। आतंकी हमला बांग्लादेशी मूल के कनाडाई नागरिक तमीम चौधरी ने कराया था। बाद में वह खुद भी बांग्लादेश पुलिस को हाथों मारा गया था।
माना जाता है कि, तमीम और जेएमबी (जमात–उल मुजाहिदीन बांग्लादेश) का आतंकी मोहम्मद सुलेमान, ढाका हमले से पहले भारत आए थे। यहां वे मालदा जिले में भारत के अबू मूसा से मिले थे। सुलेमान और उसके साथ आया तमीमी, बंगाल के एक होटल में ठहरे थे। बंगाल मे इस आतंकी नेटवर्क का एक और सबूत उस समय मिला जब कोलकाता पुलिस ने ढाका के गुलशन कैफे में हुए हमले के एक आरोपी इदरिस अली को गिरफ्तार किया।
इदरिस अली को कोलकाता के बड़ा बाजार क्षेत्र से पकड़ा गया था। कोलकाता पुलिस को इदरिस के बड़ा बाजार में होने की जानकारी दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल से मिली थी। बंगाल में अवैध घुसपैठियों की दिक्कत राजनैतिक भी है और सुरक्षा का मामला भी।
स्त्रोत : जागरण