Sunday 5 August 2018

क्या कश्मीरी पंडितों की घर वापसी कराने की हिम्मत मोदी सरकार में है ? : शिवसेना


शिवसेना ने एनआरसी के मुद्दे पर केंद्र का समर्थन किया है। साथ ही उन्होने पूछा है कि क्या मोदी सरकार में विस्थापित कश्मीरी हिन्दुआें की ‘घर वापसी’ कराने की हिम्मत है ? राजग में सहयोगी शिवसेना ने कहा कि भारत की सुरक्षा के लिए खतरा बननेवालों को देश से बाहर फेंक देना चाहिए। कश्मीर में घुसपैठियों को हर हाल में मार गिराना चाहिए।
शिवसेना के मुखपत्र सामना में छपे लेख में कहा गया है कि, जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देनेवाले अनुच्छेद-३७० को हटाना भी एनआरसी लागू करने की तरह राष्ट्रवादी काम है।
भाजपा असम से ४० लाख से ज्यादा घुसपैठियों को खदेडने के लिए बहुत मेहनत कर रही है। ऐसे अवैध प्रवासियों को देश से निकालाना राष्ट्रभक्ति का काम है। असम से अवैध बांग्लादेशी, श्रीलंकाई, पाकिस्तानी और रोहिंग्या मुसलमानों को हर हाल में भगाया जाना चाहिए।
शिवसेना ने लिखा कि राष्ट्रीय सुरक्षा का मुद्दा केवल असम तक सीमित नहीं है। कश्मीर में हालात दिन-ब-दिन बदतर होते जा रहे हैं। घाटी में पाकिस्तान से ज्यादा खतरा है। पाकिस्तान में इमरान खान के नेतृत्व में सेना का राज कायम होने वाला है।
अवैध अप्रवासियों ने असम की भौगोलिक, ऐतिहासिक और सांस्कृतिक स्थिति को बदल दिया है। यही स्थिति कश्मीर में भी है।
शिवसेना ने सवाल उठाया है कि क्या सरकार इसी तरह १.५ लाख विस्थापित कश्मीरी हिन्दुआें की घर वापसी सुनिश्चित कराने की हिम्मत भी दिखाएगी। कश्मीर का मसला केवल हिन्दुत्व से ही नहीं जुडा है, बल्कि यह देश की सुरक्षा और संस्कृति का मामला है। आतंकवाद का उपयोग कर हिन्दुओं को कश्मीर से भगा दिया गया।
लेख में कहा गया है कि पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी, राजीव गांधी और मनमोहन सिंह में अनुच्छेद-३७० हटाने की हिम्मत नहीं थी। नरेंद्र मोदी ने सत्ता संभालने से पहले अनुच्छेद-३७० हटाने और घाटी में तिरंगा फहराने का वादा किया था। मोदी सरकार को कश्मीर में राष्ट्रधव्ज जलाने वाले और पाकिस्तानी झंडे लहराने वालों पर सख्त कार्रवाई करनी चाहिए।
स्त्रोत : अमर उजाला

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