Monday 26 November 2018

लूट के बाद महिलाओं पर बलात्कार करता था बांग्लादेशी गैंग, डर से पुलिस को नहीं बुलाते थे पीडित

भारत-बांग्लादेश सीमा पर कोई भी व्यक्ति गैर-कानूनी तरीके से आर-पार नहीं जा सकता। परंतु देहली पुलिस ने जो बांग्लादेशी लुटेरे पकडे हैं, उनका नेटवर्क जानकर आप हैरान रह जाएंगे ! इनके पास भारत का कोई भी दस्तावेज नहीं है, परंतु ये वारदात को अंजाम देकर इस तरह से बांग्लादेश निकल जाते हैं जैसे इनके पास लीगल वीजा और पासपोर्ट सब कुछ हो !
यह बांग्लादेशी गैंग लूट के बाद महिलाओं की इज्जत से खेलता था। गैंग के सदस्य लूट के बाद रेप की वारदात को इसलिए अंजाम देते थे ताकि पीडित परिवार अपमान के डर से पुलिस को लूट या डकैती की सूचना न दे। सामने आया है कि ऐसे परिवार पुलिस को केवल हल्की-फुल्की चोरी की ही जानकारी देते थे !
देहली पुलिस के अतिरिक्त आयुक्त राजीव रंजन के अनुसार, यह गैंग देहली-एनसीआर के अलावा गोवा, आगरा, कोटा, गुजरात व राजस्थान सहित करीब दर्जनभर राज्यों में सक्रिय रहा है। गैंग के सदस्य बिना किसी रोक-टोक के बांग्लादेश से भारतीय सीमा में प्रवेश कर जाते थे। इसके बाद वे अपना टारगेट तय कर वहां की तीन-चार बार रेकी करते थे।
वारदात को अंजाम देकर वे बडी आसानी से बांग्लादेश चले जाते थे। यह गैंग एक राज्य में महीने भर तक किराये के मकान में रहकर लगातार वारदात करता रहता है। जल्दी-जल्दी ठिकाना बदलने की वजह से ये न तो स्थानीय लोगों में पहचाने जाते हैं और न ही वहां की पुलिस इनका अता-पता लगाने में सक्षम होती है। देहली में इस गैंग के सदस्य सीमापुरी, लोनी और सोनिया विहार जैसे इलाकों में झुग्गी किराये पर लेकर रहते हैं !

शुक्रवार रात हुई मुठभेड में दो बदमाशों को लगी गोली, तीन काबू

क्राइम ब्रांच को सूचना मिली थी कि तैमूर नगर में बांग्लादेशी लुटेरों का एक गैंग वारदात करने के लिए आ सकता है। पुलिस ने लुटेरों के आने से पहले ही उन्हें पकड़ने के लिए जाल बिछा दिया था। रात को पुलिस ने जब उन्हें ललकारा तो गैंग ने पुलिस पर गोली चला दी। मुठभेड़ में गैंग के दो सदस्यों को गोली लगी है।डीसीपी जी. रामगोपाल नाइक ने बताया कि पकड़े गए बांग्लादेशी लुटेरों की पहचान फारुख, जाकिर, इंदादुल, असलम और कबीर के तौर पर हुई है।

हुलिया हमारे जैसा है और आम लोगों की तरह हिंदी बोलते हैं

पुलिस का कहना है कि बांग्लादेशी गिरोह के सदस्यों का हुलिया भारतीय नागरिकों से मेल खाता है।स्थानीय लोगों को उन पर शक न हो, इसके लिए वे अच्छे से हिंदी बोलना सीख लेते हैं। इनका पहनावा भी भारतीयों जैसा होता है। इस वजह से स्थानीय लोग इन्हें रहने के लिए मकान आदि किराये पर दे देते हैं। वारदात के बाद ये चुपके से खिसक लेते हैं। यह गैंग बॉर्डर के उस हिस्से से बांग्लादेश चला जाता है, जहां सीमा पर घनी आबादी बसती है। वहां के लोगों से जान पहचान होने के कारण इन्हें आने-जाने में कोई खास दिक्कत नहीं आती !
स्त्रोत : अमर उजाला

Wednesday 3 October 2018

୭ ରୋହିଙ୍ଗ୍ୟାଙ୍କୁ ବିଦା କଲା ଭାରତ


ନୂଆଦିଲ୍ଲୀ, ୩/୧୦ : ମିଆଁମାରରୁ ପ୍ରାୟ ୭ ଲକ୍ଷ ରୋହିଙ୍ଗ୍ୟା ବାଂଲାଦେଶରେ ପଶିଛନ୍ତି  । ସେମାନଙ୍କ ମଧ୍ୟରୁ କୁଆଡ଼େ ମାତ୍ର ୪୦ ହଜାର ଭାରତରେ ପଶିଛନ୍ତି ଓ ୧୫ ହଜାରଙ୍କୁ ଚିହ୍ନଟ କରାଯାଇଛି  । ତେବେ ପ୍ରକୃତ ସଂଖ୍ୟା କାହାରିକୁ ଜଣାନାହିଁ  । ହେଲେ ୨୦୧୨ରୁ ଏ ପର୍ଯ୍ୟନ୍ତ ଗିରଫ ହୋଇଥିବା ୭ ଜଣ ରୋହିଙ୍ଗ୍ୟାଙ୍କୁ ଭାରତ ସରକାର ମିଆଁମାରକୁ ବିଦା କରିଛନ୍ତି  । ନୂଆଦିଲ୍ଲୀ, ହାଇଦ୍ରାବାଦ, ଉତ୍ତରପ୍ରଦେଶ, ଜମ୍ମୁ-କାଶ୍ମୀର, ଆସାମ, କେରଳ ବ୍ୟତୀତ ପଶ୍ଚିମବଙ୍ଗ ରୋହିଙ୍ଗ୍ୟାଙ୍କ ଗଡ଼ ପାଲଟିଛି  । ସେମାନଙ୍କୁ ଚିହ୍ନଟ କରି ବିଦା କରିବା ପାଇଁ ଭାରତ ସରକାର ଉଦ୍ୟମ କରୁଛନ୍ତି  ।
  

Sunday 23 September 2018

बांग्लादेशी घुसपैठिये दीमक की तरह – अमित शाह


जयपुर : भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने एक बार फिर कहा है कि, भाजपा सरकार घुसपैठियों को चुन-चुनकर मतदाता सूची से निकालेगी। शनिवार को राजस्थान के सवाई माधोपुर जिले में एक जनसभा में शाह ने कहा कि बांग्लादेशी घुसपैठिये दीमक की तरह हैं। इनको निकालने के लिए सरकार ने एनआरसी की प्रक्रिया शुरू की और प्राथमिक रूप से ४० लाख घुसपैठियों को चिह्नित कर लिया, परंतु कांग्रेस को इसमें भी दिक्कत है। उसे अपने वोट बैंक की चिंता है।
भाजपा चीफ ने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि कांग्रेस देश का भला नहीं कर सकती क्योंकि उसके पास न कोई नेता है और न ही कोई नीति। कांग्रेस द्वारा राजस्थान में आगामी विधानसभा चुनावों के लिए मुख्यमंत्री पद का कोई चेहरा पेश नहीं करने पर उन्होंने चुटकी ली। उन्होंने कहा कि जिसका नेता और नीति तय न हो क्या उसे वोट देना चाहिए।

राहुल गांधी पर तीखा तंज

उन्होंने राहुल गांधी को राहुल बाबा संबोधित करते हुए कहा कि वह भाजपा के कामों का हिसाब चाहते हैं। जनता उनसे पूछना चाहती है कि उनके परिवार की चार पीढ़ियों ने क्या किया ? कांग्रेस के शासन में राजस्थान बीमारू राज्य था। मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे इसे प्रगति के रास्ते पर ले आई हैं। शाह ने कहा कि राजस्थान में भाजपा की सरकार अंगद के पांव की तरह है, जिसे कोई हटा नहीं सकता।
स्त्रोत : नवभारत टाइम्स

Wednesday 19 September 2018

झारखंड में बांग्लादेशी घुसपैठियों की मदद कर रहे सात कट्टरपंथी : खुफिया विभाग


खुफिया विभाग की मानें तो जमशेदपुर शहर और उसके आसपास के इलाकों में अवैध रूप से बसे बांग्लादेशी घुसपैठियों को सात कट्टरपंथी नेता संरक्षण दे रहे हैं !
जमशेदपुर : जमशेदपुर शहर और उसके आसपास के इलाकों में अवैध रूप से बसे ५ हजार बांग्लादेशी घुसपैठियों की सात कट्टरपंथी हर तरह से मदद करते हैं ! गत कुछ वर्षों में जिले में घुसपैठियों की कुल जनसंख्या बढकर ४३ हजार हो गई हैं। खुफिया विभाग ने अपनी रिपोर्ट में इस बात का उल्लेख करते हुए सभी कट्टरपंथियों पर कडी नजर रखने की सलाह दी है। मुख्यालय प्रेषित इस रिपोर्ट में कहा गया है कि बांग्लादेशी घुसपैठियों को स्थानीय स्तर पर छुटभैए नेताओं का संरक्षण प्राप्त रहता है !
ये अपने प्रभाव का उपयोग कर सड़क किनारे स्थान इन्हें दिलाने से लेकर विभिन्न प्रकार के रोजगार दिलाने में मदद करते हैं। बडी संख्या में ये फेरी लगाकर सामान बेचने का धंधा करते हैं। मतदाता कार्ड, ड्राइविंग लाइसेंस, आधारकार्ड और पासपोर्ट तक बनवा चुके इन घुसपैठियों ने कुछ इलाकों में जमीन खरीदकर मकान भी बना लिया है ! कट्टरपंथी अपनी विचारधारा फैलाने के लिए इनकी मदद करते हैं। कई घुसपैठियों को अब पहचान पाना मुश्किल हो गया है। वे स्थानीय नागरिक की तरह हर तरह की सुविधाएं प्राप्त करने लगे हैं !

ये हैं आठ कट्टरपंथी

खुफिया विभाग द्वारा मुख्यालय भेजी गई रिपोर्ट के अनुसार, सात कट्टरपंथी नेताओं में जवाहर नगर मानगो के मो. सलाउद्दीन अंसारी, गौसनगर कपाली के शहादत हुसैन, ओल्ड पुरुलिया रोड के आफताब आलम उर्फ सोनू, मानगो रोड नंबर १३ के अमजद, मानगो आजादनगर के नुरूलहक, जाकिरनगर आजादनगर के शाहनवाज और जाकिरनगर आजादनगर के ही तारिक खान शामिल हैं !

कहां कितनी जनसंख्या

साकची के आसपास – १०००, बारीनगर टेल्को – ७००, कीताडीह क्षेत्र – १५००, मकदमपुर क्षेत्र – ८००, जुगसलाई क्षेत्र – ५०००, धतकीडीह आसपास – ८००, शास्त्रीनगर क्षेत्र – ७००, आजादबस्ती कपाली – २५०००, डिमना मस्जिद क्षेत्र – २०००, हल्दीपोखर क्षेत्र – ५०००, गोविंदपुर क्षेत्र – ५००
जानें, क्या-क्या कर रहे धंधे पूर्वी सिंहभूम जिले में रह रहे बांग्लादेशी घुसपैठिए साकची बाजार तथा आसपास के क्षेत्रों में कपड़ा, मोजा, फल, चप्पल, जूता बेचने के साथ-साथ गांवों में फेरी लगाकर सामान बेच रहे हैं। गोविंदपुर क्षेत्र में बसे घुसपैठिए स्टील स्ट्रीप्स में काम के बहाने रह रहे हैं। खुफिया की रिपोर्ट कहती है कि इन्होंने अवैध तरीके से आधारकार्ड, वोटर कार्ड, राशनकार्ड तथा अन्य दस्तावेज बना लिए हैं !
स्त्रोत : जागरण

Tuesday 28 August 2018

ଓଡିଶାରେ ଅନୁପ୍ରବେଶକାରୀ











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QZâ_êe,28/8: bûeZúd cR\êe iõN QZâ_êe aäK _leê cwkaûe _~ðýûaeY \òai cdû_ûUYû Mâûc KfýûY cŠ_ Vûùe _ûkòZ ùjûA~ûAQòö G[ôùe @fþ IWògû @w^IßûWðú ùfWòR IßûKðeið Ròfû iõ_û\òKû c¬êaûkû _ûYòMâûjò @]ýlZû Keò[ôùfö _eòùagKê iêiÚ eLôaû I _äûÁòK aÉê aýajûe ^Keòaû _ûAñ Mâûcaûiúuê iùPZ^Zû Keû~ûA[ôfûö G[ôùe cR\êe iõNe Kû~ðýKZðû , @fþ IWògû @w^IßûWðú ùfWòR IßûKðeið @ûùiûiòGi^, IWògû eûRý @ûgûKcðú iõN, IWògû KéhòMâûcúY cR\êe iõNe KcðKZðûcûù^ ù~ûMù\A[ôùfö aòbò^Ü _âKûe Pûeû ùeû_Y Keû~ûA[ôfûö G[ôùe cR\êe iõN Ròfû iõ_û\K cêefú]e _ûYòMâûjò, IWògû KéhòMâûcúY cR\êe iõNe Ròfû C_ibû_Zò _ò.eNê^û[ ùeWØòu iùcZ Mâûce gZû]ôK _êeêh I cjòkû ù~ûMù\A[ôùfö

Thursday 16 August 2018

अंडमान निकोबार में फर्जी दस्तावेजों के साथ दस बांग्लादेशी गिरफ्तार


पोर्ट ब्लेयर : उत्तरी अंडमान के दिगलीपुर क्षेत्र से दस बांग्लादेशियों को गिरफ्तार किया गया है ! पुलिस ने मंगलवार को यहां बताया कि ये लोग फर्जी दस्तावेजों के आधार पर अवैध रूप से भारत में रह रहे थे। पर्यटन के लिए प्रसिध्द दिगलीपुर प्रांतीय राजधानी पोर्ट ब्लेयर से ३२५ किलोमीटर दूर है !
दिगलीपुर पुलिस थाने के प्रभारी महेश यादव ने कहा, ‘पकडे गए सभी लोगों ने दावा किया था कि वह पश्चिम बंगाल के रहनेवाले हैं ! उन्होंने हमें राशन और वोटर कार्ड भी दिखाए। परंतु जांच करने पर सब फर्जी निकले !’
यादव ने बताया कि इन लोगों को अब पोर्ट ब्लेयर ले जाया जाएगा और उनके खिलाफ कानून के तहत कार्रवाई की जाएगी !
स्त्रोत : जागरण

Wednesday 15 August 2018

अंडमान निकोबार में फर्जी दस्तावेजों के साथ दस बांग्लादेशी गिरफ्तार


पोर्ट ब्लेयर : उत्तरी अंडमान के दिगलीपुर क्षेत्र से दस बांग्लादेशियों को गिरफ्तार किया गया है ! पुलिस ने मंगलवार को यहां बताया कि ये लोग फर्जी दस्तावेजों के आधार पर अवैध रूप से भारत में रह रहे थे। पर्यटन के लिए प्रसिध्द दिगलीपुर प्रांतीय राजधानी पोर्ट ब्लेयर से ३२५ किलोमीटर दूर है !
दिगलीपुर पुलिस थाने के प्रभारी महेश यादव ने कहा, ‘पकडे गए सभी लोगों ने दावा किया था कि वह पश्चिम बंगाल के रहनेवाले हैं ! उन्होंने हमें राशन और वोटर कार्ड भी दिखाए। परंतु जांच करने पर सब फर्जी निकले !’
यादव ने बताया कि इन लोगों को अब पोर्ट ब्लेयर ले जाया जाएगा और उनके खिलाफ कानून के तहत कार्रवाई की जाएगी !
स्त्रोत : जागरण

Monday 6 August 2018

असम व बंगाल की तरह बिहार के सीमांचल में भी हैं बांग्लादेशी घुसपैठिए : गिरिराज सिंह


केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने शनिवार को एनआरसी मुद्दे पर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर हमला करते हुए कहा कि बंगाल और असम के साथ-साथ बिहार के सीमांचल इलाकों में भी बांग्लादेशी घुसपैठिए मौजूद हैं ! कटिहार दौर पर पहुंचे सिंह ने उक्त बयान भारतीय जनता पार्टी युवा मोर्चा के प्रशिक्षण कार्यक्रम में शिरकत करने के दौरान दिया।
फायर ब्रांड नेता गिरिराज सिंह भाजयुमो के प्रशिक्षण के दौरान युवा कार्यकर्ताओं को जोश भरने के बाद मीडिया से मुखातिब हुए और एनआरसी जैसे कई मुद्दों पर अपनी बेबाक राय रखी। उन्होंने पाकिस्तान में इमरान खान के प्रधानमंत्री बनने पर भारत के साथ रिश्तों पर पूछे गए एक सवाल पर कहा कि दोनों देशों के बीच रिश्ते मधुर होने की उम्मीद है, अगर नहीं हुए तो भाजपा ‘टिट फॉर टैट की नीति पर कायम है !
वहीं, बढ़ती आबादी की ओर इशारा करते हुए उन्होंने कड़े कानून लाकर दो बच्चे से अधिक पैदा करनेवाले लोगों को मताधिकार के साथ-साथ अन्य तमाम अधिकारों को छीनने की भी मांग की है !
स्त्रोत : न्यूज 18

Sunday 5 August 2018

क्या कश्मीरी पंडितों की घर वापसी कराने की हिम्मत मोदी सरकार में है ? : शिवसेना


शिवसेना ने एनआरसी के मुद्दे पर केंद्र का समर्थन किया है। साथ ही उन्होने पूछा है कि क्या मोदी सरकार में विस्थापित कश्मीरी हिन्दुआें की ‘घर वापसी’ कराने की हिम्मत है ? राजग में सहयोगी शिवसेना ने कहा कि भारत की सुरक्षा के लिए खतरा बननेवालों को देश से बाहर फेंक देना चाहिए। कश्मीर में घुसपैठियों को हर हाल में मार गिराना चाहिए।
शिवसेना के मुखपत्र सामना में छपे लेख में कहा गया है कि, जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देनेवाले अनुच्छेद-३७० को हटाना भी एनआरसी लागू करने की तरह राष्ट्रवादी काम है।
भाजपा असम से ४० लाख से ज्यादा घुसपैठियों को खदेडने के लिए बहुत मेहनत कर रही है। ऐसे अवैध प्रवासियों को देश से निकालाना राष्ट्रभक्ति का काम है। असम से अवैध बांग्लादेशी, श्रीलंकाई, पाकिस्तानी और रोहिंग्या मुसलमानों को हर हाल में भगाया जाना चाहिए।
शिवसेना ने लिखा कि राष्ट्रीय सुरक्षा का मुद्दा केवल असम तक सीमित नहीं है। कश्मीर में हालात दिन-ब-दिन बदतर होते जा रहे हैं। घाटी में पाकिस्तान से ज्यादा खतरा है। पाकिस्तान में इमरान खान के नेतृत्व में सेना का राज कायम होने वाला है।
अवैध अप्रवासियों ने असम की भौगोलिक, ऐतिहासिक और सांस्कृतिक स्थिति को बदल दिया है। यही स्थिति कश्मीर में भी है।
शिवसेना ने सवाल उठाया है कि क्या सरकार इसी तरह १.५ लाख विस्थापित कश्मीरी हिन्दुआें की घर वापसी सुनिश्चित कराने की हिम्मत भी दिखाएगी। कश्मीर का मसला केवल हिन्दुत्व से ही नहीं जुडा है, बल्कि यह देश की सुरक्षा और संस्कृति का मामला है। आतंकवाद का उपयोग कर हिन्दुओं को कश्मीर से भगा दिया गया।
लेख में कहा गया है कि पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी, राजीव गांधी और मनमोहन सिंह में अनुच्छेद-३७० हटाने की हिम्मत नहीं थी। नरेंद्र मोदी ने सत्ता संभालने से पहले अनुच्छेद-३७० हटाने और घाटी में तिरंगा फहराने का वादा किया था। मोदी सरकार को कश्मीर में राष्ट्रधव्ज जलाने वाले और पाकिस्तानी झंडे लहराने वालों पर सख्त कार्रवाई करनी चाहिए।
स्त्रोत : अमर उजाला

देखिए कैसे भारत में घुसते हैं बांग्‍लादेशी


असम में एनआरसी ड्राफ्ट जारी होने के बाद सडक से लेकर संसद तक हलचल मची हुई है ! इसमें ४० लाख लोगों का नाम शामिल नहीं हैं। उनकी नागरिकता पर सवाल खडे हो गए हैं। हालांकि, गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने यह स्पष्ट कर दिया है, यह फाइनल लिस्ट नहीं है। अभी इसमें और सुधार किया जाएगा। वहीं, इस मसले पर ममता बनर्जी ने कहा कि मोदी सरकार बांटों और राज करो की नीति अपना रही है ! इससे देश में गृह युद्ध छिड जाएगा। परंतु इन सब के बीच बडी बात यह है कि आखिर एनआरसी ड्राफ्ट की आवश्यकता क्यों पडी ? दरअसल असम राज्य में बांग्लादेशी घुसपैठ की समस्या काफी समय से है। यह यहां की बडी समस्या बन गई है। आज हम आपको बता रहे हैं कि असम में किस तरह से घुसपैठ हो रहा है। घुसपैठ से जुडा एक वीडियो सामने आया है, जिसमें यह साफ दिख रहा है कि बांग्लादेशी भारत में किस तरह से घुस रहे हैं !
इंडिया टीवी की एक रिपोर्ट के अनुसार, १६ मिनट के इस वीडियो में यह दिखाया गया है कि असम से सटे भारत-बांग्लादेश बार्डर पर वह कौन-कौन से इलाके हैं, जहां से बांग्लादेशी भारत में घुसपैठ कर रहे हैं। बार्डर की स्थिति क्या है ? यह वीडियो उस एक सदस्यीय जांच कमेटी की रिपोर्ट का हिस्सा है, जिसे उच्चतम न्यायालय ने असम में घुसपैठ का स्थिति का पता लगाने के लिए गठन किया था। वैसे यह रिपोर्ट २०१५ में ही उच्चतम न्यायालय को सौंपी गई थी, परंतु इसमें जो बातें बताई गई है, वो बेहद चौंकानेवाली है !
भारत और असम के बीच अंतरराष्ट्रीय सीमा ४००० किलोमीटर की है, परंतु असम से लगनेवाली यह सीमा २७२ किलोमीटर है। इसमें ९५ किलोमीटर नदी सीमा है। इस सुरक्षा की जिम्मेदारी बीएसएफ की है। इस रिपोर्ट में असम के टाकमारी गांव का उल्लेख है, जो बार्डर पर स्थित है। एक बीएसएफ अधिकारी ने बताया कि, “इसकी दूरी बार्डर से महज २० से ३० मीटर है। यहां एक आेर भारतीयों के घर है तो दूसरी ओर बांग्लादेशियों के घर। यहां किसी तरह की घेराबंदी नहीं की गई है। इस गांव में काफी संख्या में लोग रहते हैं। यहां से घुसपैठ भी काफी होता है। ऐसे में यह आवश्यक है कि यहां रहनेवाले लोगों को दूसरे जगह पर शिफ्ट कर देना चाहिए। यह घुसपैठ के लिहाज से काफी संवेदनशील है। यदि कभी संदिग्ध लोगों का पीछा करते किसी घर में घुस जाते हैं तो गांववाले सेना के उपर ही गंभीर आरोप लगाने लगते हैं !”
इस रिपोर्ट में बताया गया है कि असम की जनसंख्या में तेजी से वृद्धि हुई है। यहां अचानक कई परिवारों का नाम वोटर लिस्ट में जुड गया। रिपोर्ट में मवेशी हार्ट को सीमा से कम से कम २० किलोमीटर दूर लगाने और बार्डर पर स्थित गांव को फेंसिग से रिलोकेट करने की बात कही। रिपोर्ट में कहा गया था कि एक बांग्लादेशी पासपोर्ट धारक न केवल आसानी से असम में जमीन खरीद सकता है, बल्कि यहां से चुनाव भी लड सकता है ! कई जगह खुली बार्डर है तो कई जगह मवेशियों के सहारे घुसपैठ होता है। असम से बांग्लादेश तक ब्रह्मपुत्र नदी बहती है। कई जगह इस नदी का एक सीमा भारत में है तो दूसरा सीमा बांग्लादेश में। इस नदी के सहारे काफी लोग भारत में घुसपैठ करते हैं, मवेशियों की तस्करी होती है !
स्त्रोत : जनसत्ता

Vote Bank हेतु बांग्लादेशियों को भारत में बसाने के लिए सोनिया गांधी लाना चाहती थी कानून – विकिलीक्स का खुलासा


कांग्रेस का हाथ घुसपैठियों के साथ

नई देहली : नैशनल रजिस्टर ऑफ सिटीजन के मुद्दे पर देश में गर्म राजनीति के बीच विकीलीक्स ने एक नया खुलासा किया है। विकीलीक्स के नए खुलासे में यू.पी.ए. चेयरपर्सन सोनिया गांधी और कांग्रेस पर निशाना साधा गया है। खुलासे में कांग्रेस पर बंगलादेशी घुसपैठियों का साथ देने का आरोप लगाया गया है।
खुलासे में कहा गया कि, २००६ में जो कानून लाया गया था उसके तहत असम में रह रहे बंगलादेशीयों को विदेशी साबित करने की जिम्मेदारी प्रशासन की थी। जिसके बाद कांग्रेस ने २००६ में नए कानून को पेश किया था। विकीलीक्स ने आरोप लगाया है कि मुस्लिम वोटों को अपने पक्ष में करने के लिए तत्कालीन कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने अपील की थी कि उनकी सरकार प्रवासियों के कानून को बदलने पर विचार कर सकती है।
विकीलीक्स के खुलासे में लिखा गया है कि कांग्रेस को डर था कि उसके हाथ से मुस्लिम वोट खिसक रहे हैं जिसको देखते हुए यह अपील की गई थी। लिखा गया है कि मुस्लिम कांग्रेस का वोट बैंक रहा है और उनका रुख बंगलादेशी प्रवासियों के हक में रहा है। बता दें कि इसी से जुड़े कानून को २०११ में उच्चतम न्यायालय ने असंवैधानिक करार दिया था।
स्त्रोत : पंजाब केसरी

Saturday 4 August 2018

ମୁକୁଳା ପଡ଼ିଛି ତାଳଚୁଆ ସାମୁଦ୍ରିକ ଥାନା ଅନୁପ୍ରବେଶକାରୀଙ୍କୁ ରୋକିବ କିଏ?


ରାଜନଗର,୪ା୮  ; ଓଡିଶାରେ ବାଙ୍ଗଲାଦେଶୀ ଅନୁପ୍ରବେଶକାରୀ ପ୍ରବେଶ ନେଇ ଘନଘନ ବୈଠକ ଚାଲିଛି । ତଳୁ ଉପର ପର୍ଯ୍ୟନ୍ତ ସମସ୍ତ ପ୍ରଶାସନିକ ଅଧିକାରୀଙ୍କୁ ସଜାଗ ରହିବା ପାଇଁ ନିର୍ଦ୍ଦେଶ ଦିଆଯାଉଛି । ଉପକୂଳକୁ ସୁରକ୍ଷା ଦେବା ପାଇଁ ସମୁଦ୍ର ତଟବର୍ତୀ ଇଲାକାରେ ସାମୁଦ୍ରିକ ଥାନା ପ୍ରତିଷ୍ଠା କରାଯାଇଛି । ସରକାର କେବଳ ନାମକୁ ମାତ୍ର ଏହି ଥାନା ପ୍ରତିଷ୍ଠା କରିଥିବା ଅଭିଯୋଗ ହେଉଛି । ୨୦୧୪ମସିହା ଜୁନ୍ ୪ତାରିଖରେ ତାଳଚୁଆଠାରେ ଫାଣ୍ଡିକୁ ତାଳଚୁଆ ସାମୁଦ୍ରିକ ଥାନାରେ ପରିଣତ କରାଗଲା । ଇତି ମଧ୍ୟରେ ଏହି ସାମୁଦ୍ରିକ ଥାନାକୁ ୪ବର୍ଷ ପୂରି ୫ବର୍ଷ ଚାଲିଲାଣି । ବିଧିବଦ୍ଧ ଭାବରେ ଏହି ଥାନା କାର୍ଯ୍ୟକ୍ଷମ ହେବା ପାଇଁ ଆବଶ୍ୟକୀୟ କର୍ମଚାରୀ ନିଯୁକ୍ତି କରାଯାଇନାହିଁ । ଏପରିକି ଏହି ସାମୁଦ୍ରିକ ଥାନାର ନିଜସ୍ୱ ବୋଟ ଖଣ୍ଡେ ବି ନାହିଁ । ସାମୁଦ୍ରିକ ଥାନା ଅଧିକାରୀଙ୍କ ବଦଳି ପରେ ରାଜନଗର ଥାନା ଅଧିକାରୀଙ୍କୁ ଅତିରିକ୍ତ ଦାୟିତ୍ୱ ଦିଆଯାଇଛି । ଏହି ଥାନା ପାଇଁ ଜଣେ ଥାନାଧିକାରୀ(ଆଇଆଇସି)ଙ୍କ ସହ ୭ଜଣ ସବ-ଇନ୍ସିପେକ୍ଟର, ୭ଜଣ ଏଏସଆଇ, ୧୬ଜଣ ହାବିଲଦାର, ୪୮ଜଣ କନେଷ୍ଟବଳ ପଦବୀ ମଂଜୁର ପାଇଛି । କିନ୍ତୁ ବାସ୍ତବ କଥା ନିଆରା । ଏହି ଥାନାର ଆଇଆଇସି ପଦବୀ ଖାଲି ରହିଛି । ଏପରିକି ୭ଟି ସବ-ଇନ୍ସିପେକ୍ଟର ପଦବୀ ମଧ୍ୟ ଖାଲି ପଡିଛି । ୭ଜଣ ଏଏସଆଇ ପଦବୀରୁ ଜଣେ ମାତ୍ର କାମ ଚଳାଉଛନ୍ତି । ୧୬ଜଣ ହାବିଲଦାର ମଧ୍ୟରୁ ମାତ୍ର ୨ଜଣ ଅଛନ୍ତି । ସେହିଭଳି ୪୮ଟି କନେଷ୍ଟବଳ ପଦବୀ ମଧ୍ୟରୁ ମାତ୍ର ୫ଜଣ କାର୍ଯ୍ୟ କରୁଛନ୍ତି । ଏହି ଥାନା ଅଧିନରେ ତାଳଚୁଆ, ବାଘମାରୀ, ରଙ୍ଗଣୀ, କେରୁଆଁପାଳ, କୃଷ୍ଣନଗର, ଡାଙ୍ଗମାଳ ଓ ଖମାରସାହି ପଚାଂୟତ ରହିଛି । ଏହି ପଚାଂୟତଗୁଡିକ ବଙ୍ଗୋଭାଷୀ ଅଧୁଷିତ ଅଂଚଳ ଭାବେ ଜଣାଶୁଣା । ସର୍ବୋପରି ଏହି ଅଂଚଳରେ ରହିଛି ଭିତରକନିକା ଜାତୀୟ ଉଦ୍ୟାନ । ପୂର୍ବରୁ ଅନେକ ସମୟରେ ଏହି ଅଂଚଳରେ ଜାଲନୋଟ କାରବାର, ମୂର୍ତି ଚୋରୀ ର୍ୟାକେଟ, ହାମ ରେଡିଓ ସେଂଟର ପ୍ରଭୃତି ଧରା ପଡିଛି । ଏହାଛଡା ଜାତୀୟ ଉଦ୍ୟାନର ବିଭିନ୍ନ ଜୀବଜନ୍ତୁଙ୍କ ମାଂସ, ଚମଡା ଓ ସାପ ବାହାରକୁ ଚୋରା ଚାଲାଣ ଘଟଣା ଚର୍ଚ୍ଚାରେ ରହି ଆସିଛି । ଜଳପଥରେ ବାଙ୍ଗଲା ଜଳଦସ୍ୟୁମାନେ ଫରେଷ୍ଟ ଗାର୍ଡ ଶ୍ୟାମ ସିଂହଙ୍କୁ ସମୁଦ୍ର ମଧ୍ୟରେ ଗୁଳି କରି ମାରିଦେବା ଘଟଣା ସମଗ୍ର ରାଜ୍ୟରେ ଆତଙ୍କ ଖେଳାଇ ଦେଇଥିଲା । ଅପରପକ୍ଷରେ ଆତଙ୍କବାଦୀମାନେ ଅତ୍ୟାଧୁନିକ ଅସ୍ତ୍ରଶସ୍ତ୍ର ବ୍ୟବହାର କରୁଥିବା ନଜିର ରହିଛି । କିନ୍ତୁ ଯେଉଁ କେତେକ ସ୍ୱଳ୍ପ କର୍ମଚାରୀ ଅଛନ୍ତି ସେମାନଙ୍କୁ ଚିରାଚରିତ ଠେଙ୍କା ଓ ପୁରୁଣା ବନ୍ଧୁକ ସାହାଯ୍ୟରେ କିଭଳି ଏମାନଙ୍କ ମୁକାବିଲା କରିବେ, ଯାହାକୁ ନେଇ ଆଶଙ୍କା ପ୍ରକାଶ ପାଇଛି । ସମୁଦ୍ର କୂଳବର୍ତୀ ଏଭଳି ଏକ ସ୍ପର୍ଶକାତର ଅଂଚଳରେ ସାମୁଦ୍ରିକ ଥାନା ପ୍ରତିଷ୍ଠା ପରେ ଲୋକମାନେ ନିଜକୁ ନିରାପଦ ମଣୁଥିଲେ । ସରକାର ବାହାରକୁ ଦେଖାଇ ହେବା ଭଳି ସାମୁଦ୍ରିକ ଥାନା ପ୍ରତିଷ୍ଠାର ଦୀର୍ଘ ୪ବର୍ଷ ପରେ ମଧ୍ୟ ପଦବୀ ଖାଲି ପଡିବା ସହ ଜଳ ପଥରେ ଦେଖାଶୁଣା କରିବା ପାଇଁ ବୋଟ ଖଣ୍ଡେ ନମିଳିବା ଘଟଣାରେ ବାଙ୍ଗଲାଦେଶୀ ଅନୁପ୍ରବେଶକାରୀଙ୍କ ଅବାଧ ପ୍ରବେଶକୁ କିଏ ରୋକିବ, ଯାହାକୁ ନେଇ ଉପକୂଳବର୍ତୀ ଅଂଚଳବାସୀଙ୍କ ମଧ୍ୟରେ ପ୍ରଶ୍ନବାଚୀ ସୃଷ୍ଟି ହୋଇଛି ।

ମମତାଙ୍କର ମମତା ନା ବିଭାଜନକାରୀ ମାନସିକତା



                                                        -ଗୋଲଖ ଚନ୍ଦ୍ର ଦାସ
କହିଲେ କଲେନି କିନ୍ତୁ ନକହି ନକହି କରିଦେଲେ । ଯିଏ ହୋ ହାଲ୍ଲା କରି ବିରୋଧ କରୁଥିଲେ ଆଜି ସେମାନେ ରକ୍ଷକ ହେବା ପାଇଁ ପାଟିତୁଣ୍ଡ କରୁଛନ୍ତି । କଣ ପାଇଁ ନାଟକ । ଏ ନାଟକ ପାଇଁ କୁଆଡେ ଦେଶରେ ଗୃହ ଯୁଦ୍ଧ ହେବ,ରକ୍ତର ନଦୀ ବୋହିବ, ଏକଥା କେହି ସାଧାରଣ ଜନତା କହୁନି,ଜଣେ ଦାୟିତ୍ୱବାନ ନାଗରୀକ କହୁଛନ୍ତି, ଜଣେ ମୁଖ୍ୟମନ୍ତ୍ରୀ କହୁଛନ୍ତି, କଣ ପାଇଁ କହୁଛନ୍ତି ? ସେ ଠିକ୍ କହୁଛନ୍ତି ନା ଭୂଲ କହୁଛନ୍ତି, ଆପଣ କେବେ ବିଚାର କରିଛନ୍ତି ?
 ଆସାମରେ ଜାତୀୟ ନାଗରିକ ପଞ୍ଜୀକରଣ (ଏନ୍ଆରସି) ଚିଠା ବିଭ୍ରାଟରୁ ସୃଷ୍ଟି ହୋଇଛି ଏ ନାଟକ । ପଲ୍ଲୀରୁ ଦିଲ୍ଲୀ ପର୍ଯ୍ୟନ୍ତ ଚାଲିଛି ଏହି ଚର୍ଚ୍ଚା । ଆସାମ ସରକାର କୁଆଡେ ଗଣତନ୍ତ୍ରକୁ ହତ୍ୟା କରିଛନ୍ତି ବୋଲି ଟିଏମ୍ସି ନେତାମାନେ ଦାବି କରିଛନ୍ତି । ଦେଶରେ ଅନ୍ୟାୟ, ଅତ୍ୟାଚାର ବଢି ଚାଲିଛି । ଭାରତରେ ସୁପର  ଇମରଜେନ୍ସି  ଲାଗୁ ହୋଇଛି  । ଖୋଦ ପଶ୍ଚିମବଙ୍ଗର ମୁଖ୍ୟମନ୍ତ୍ରୀ ଆଶଙ୍କା ପ୍ରକାଶ କରିଛନ୍ତି ଯେ, ଦେଶରେ ଗୃହ ଯୁଦ୍ଧ ହୋଇଯିବ । ଏଥିରୁ ନିଶ୍ଚୟ ଅବଗତ ହେଉଥିବେ ଯେ,ଦେଶ ରକ୍ଷା ପାଇଁ  ମମତାଙ୍କର ମମତା କେତେ ବଢି ଯାଇଛି ।  ଦିନଥିଲା ୨୦୦୫ରେ ବିରୋଧୀ ଦଳର ସଦସ୍ୟ ଥିବା ମମତା ପଶ୍ଚିମବଙ୍ଗରେ ବାଂଲାଦେଶୀଙ୍କ ଅବାଧ ଅନୁପ୍ରବେଶକୁ ଏକ ବିପର୍ଯ୍ୟୟ ସହିତ ତୁଳନା କରିବା ସହିତ ଭୋଟର ତାଲିକାରେ ସେମାନଙ୍କ ନାମ ଥିବାରୁ ଉଦ୍ବେଗ ପ୍ରକାଶ କରିଥିଲେ  । ଲୋକସଭାରେ ଏହି ପ୍ରସଙ୍ଗରେ ଆଲୋଚନା ପାଇଁ ମମତା ସଂସଦରେ ଦାବି କରିଥିଲେ ।  ମାତ୍ର ଏହି ପ୍ରସ୍ତାବକୁ ଖାରଜ କରିଦେଇଥିଲେ ତକ୍ରାଳୀନ ଲୋକସଭା ବାଚସ୍ପତି ସୋମନାଥ ଚାଟାର୍ଜୀ   । ମମତା ରାଗି ଯାଇ ଗୃହରେ ଅଧ୍ୟକ୍ଷତା କରୁଥିବା ଉପବାଚସ୍ପତି ଚରଣଜିତ ସିଂହ ଅଟୱଲଙ୍କ  ଉପରକୁ କିଛି କାଗଜପତ୍ରକୁ   ଫୋପାଡ଼ି ଥିଲେ । ଲୋକସଭା ସାଂସଦ ପଦରୁ ମଧ୍ୟ  ଇସ୍ତଫା ଦେଇଥିଲେ  । କହିଥିଲେ ଯଦି କେହି ଜଣେ ହେଲେ ଅନୁପ୍ରବେଶକାରୀ ପଶ୍ଚିମବଙ୍ଗକୁ ଆସିବେ ମୁଁ ତାଙ୍କୁ ଛାଡିବି ନାହିଁ । ଆଜି କିନ୍ତୁ ଭୋଟ ବ୍ୟାଙ୍କ ରାଜନୀତି ପାଇଁ ସେମାନଙ୍କ ପାଇଁ ଓକିଲାତି କରୁଛନ୍ତି । ସେତେବେଳେ ଏତେ ହଟ ଚମକ କରିଥିବା ମମତା ୧୩ ବର୍ଷ ପରେ  ଆଜି କାହିଁକି ପରିବର୍ତ୍ତନ ହୋଇଗଲେ । ୨୦୦୫ର ମମତା ଆଜିର ମମତା ଭିତରେ ଆକାଶ ପାତାଳ ଫରକ । ତାଙ୍କ ହୃଦୟରେ ଅବୈଧ ଭାବେ ଦେଶରେ ବସ ବାସ କରୁଥିବା ଅନୁପ୍ରବେଶକାରୀଙ୍କ ପ୍ରତି ମମତା ବଢି ଯାଇଛି । ଆଜି ସେହି ମମତା ଅନୁପ୍ରବେଶକାରୀମାନଙ୍କୁ ନିଜେ ବାତ୍ସଲ୍ୟ ମମତା ଦେଇ କୋଳେଇ ନେବେ ବୋଲି କହିଛନ୍ତି । ସେଇଥିପାଇଁ ସେ ଆସାମକୁ ଏନ୍ଆରସି ତାଲିକାରୁ ବାଦ୍ ପଡିଥିବା ଲୋକଙ୍କ ସହ ଭେଟିବାକୁ ପ୍ରତିନିଧି ଦଳ ପଠାଇଥିଲେ କିନ୍ତୁ ଆସାମ ସରକାର ସିଲଚର ବିମାନବନ୍ଦରରେ ତାଙ୍କୁ ଅଟକାଇ ଦେଲେ ।  ଏଥିପାଇଁ ଆସାମ ସରକାର ଗଣତନ୍ତ୍ରକୁ ହତ୍ୟା କରିଛି ବୋଲି ଟିଏମ୍ସି ନେତାମାନେ କହି ବୁଲୁଛନ୍ତି ।
 ସତରେ ମମତା ଭାରି ଦରଦୀ ମଣିଷ । ସେଇଥି ପାଇଁତ ଅବୈଧଭାବେ ଭାରତେ ପ୍ରବେଶ କରିଥିବା ଲୋକମାନଙ୍କ ପ୍ରତି ତାଙ୍କର ମମତା ଉଛୁଳି ପଡିଛି । ଖାଲି ସେତିକି ନୁହେଁ ତାଙ୍କ ନେତାମାନେ କହୁଛନ୍ତି ଦେଶରେ ଯେଉଁଠି ଜନତା ବିପନ୍ନରେ ପଡିବେ  ସେଠିକି ତାଙ୍କର ସୁପ୍ରିମୋ ଓ ନେତାମାନେ ଯାଇ ସୁଖଦୁଃଖରେ ଭାଗି ହେବେ । ତାଙ୍କର ଏ ଦରଦ କେବଳ ଗୋଟିଏ ଗୋଷ୍ଠୀର ଲୋକଙ୍କ  ପାଇଁ । କାଶ୍ମୀର ଓ କୌରାନାରେ ହିନ୍ଦୁଙ୍କ ଉପରେ ଅତ୍ୟାଚାର ହେଉଥିବା ବେଳେ ସେମାନଙ୍କୁ  ଦୃଶ୍ୟ ହେଉନଥିଲା, କାରଣ ସେ ରାଜନୀତିର କଳା ଚଷମା ପିନ୍ଧିଥିଲେ । ନଚେତ ସେଠାକୁ ଯାଇ ଆହା ବୋଲି କହିଥାନ୍ତେ । ଦେଖୁନାହାଁନ୍ତି ତାଙ୍କ ରାଜ୍ୟରେ ଅନେକ ସ୍ଥାନରେ ହିନ୍ଦୁଙ୍କ ଉପରେ ଅତ୍ୟାଚର ହେଉଛି, ସେଠାକୁ ସେ କେତେଥର ଯାଉଛନ୍ତି !
 ୨୦୦୫ ମସିହାର ମମତା  ଆଉ ୨୦୧୮ ମସିହାର ମମତା । କାହିଁକି ଏତେ ପରିବର୍ତ୍ତନ ? କେବଳ ଗୋଟିଏ ସ୍ୱାର୍ଥ-ଭୋଟ ବ୍ୟାଙ୍କ । ୨୦୦୬ରେ ହୋଇଥିବା ନିର୍ବାଚନରେ ବାଂଲାଦେଶୀ ଅନୁପ୍ରବେଶକାରୀଙ୍କ ଅନୁକମ୍ପା ଭୋଟ୍  ସିପିଏମ୍ ପାଇଥିଲା ବୋଲି ମମତା ଆକଳନ କରିଥିଲେ  । ନିର୍ବାଚନରେ ଅନୁପ୍ରବେଶକାରୀ ବାଂଲାଦେଶୀଙ୍କ ଭୋଟ୍ ଅନେକ ମହତ୍ୱ ରଖୁଥିବାରୁ ମମତା ମଧ୍ୟ ପରବର୍ତ୍ତୀ ସମୟରେ ସେମାନଙ୍କୁ ସମର୍ଥନ ଦେବାକୁ ବାଧ୍ୟ ହୋଇଛନ୍ତି । ସେମାନଙ୍କ ପାଇଁ ସମସ୍ତ ପ୍ରକାର ବ୍ୟବସ୍ଥା କରିବାକୁ ଦୁଇ ପାଦ ଆଗକୁ ବଢାଇଛନ୍ତି ।
 ସୁପ୍ରିମକୋର୍ଟ ଯେଉଁ ଆଦେଶ ଦେଉଛନ୍ତି ତାକୁ ପାଳନ କରିବା ଏବଂ ସେହି ଆଦେଶ ଅନୁସାରେ କାମ କରିବା ଭାରତୀୟ ସମ୍ବିଧାନର ଧର୍ମ ନା ସୁପର ଇମରଜେନ୍ସି । ଗଣତନ୍ତ୍ରରେ ପ୍ରଚାର କରିବା ପାଇଁ ସମସ୍ତଙ୍କର ଅଧିକାର ଅଛି । ପଶ୍ଚିମ ବଙ୍ଗଳାରେ ବିରୋଧିଙ୍କୁ ମାରି କରି ଟାଙ୍ଗି ଦେଉଛନ୍ତି ।  ସଂସ୍କୃତି ଓ ପରମ୍ପରାର ସୁରକ୍ଷା ଏବଂ ମାନବ ସେବାରେ ନିଜକୁ ନିଯୋଜିତ କରିଥିବା ସମାଜସେବୀମାନଙ୍କୁ ପଶ୍ଚମବଙ୍ଗକୁ ଯିବାକୁ ବାରଣ କରାଯାଉଛି । ସଭାସମିତି କରିବାକୁ ଅନୁମତି ଦିଆଯାଉନାହିଁ । ହିନ୍ଦୁମାନେ ପର୍ବ ପର୍ବାଣୀରେ ଉତ୍ସବ କରିବାକୁ ହେଲେ ଅଦାଲତର ସାହାରା ନେବାକୁ ପଡୁଛି । ଆସାମରେତ ଏହା ହୋଇ ନାହିଁ ।  ଦେଶରେ ଏତେ ବଡ କାମ ହେଲା । ସେଥିପାଇଁ ରାଜ୍ୟବାସୀ ଏହା ବିରୋଧରେ ଆନ୍ଦୋଳନ କରି ନାହିାଁନ୍ତି କି ଆସାମରେ ଗୋଟିଏ ହେଲେ ବି ହିଂସାକାଣ୍ଡ ହୋଇ ନାହିଁ ।  ସେଥିପାଇଁ ଆସାମ ସରକାଙ୍କୁ ଧନ୍ୟବାଦ ଦେବା ଉଚିତ । ଆସାମରେ ସବୁ ଠିକ୍ ଠାକ୍ ଚାଲିଥିବା ବେଳେ କଣ ପାଇଁ ଅନ୍ୟମାନେ ସେଠାକୁ ଯିବେ । ସେଠାରେ ଦଙ୍ଗା ପାଇଁ ଉସୁକାଇବେ,ପଶ୍ଚିମବଙ୍ଗ ସରକାର ଯାହା କରୁଛନ୍ତି ତାହା ଇମରଜେନ୍ସି ନା ଆସାମ ସରକାର ଯାହା କଲେ ତାହା ଇମରଜେନ୍ସି ?
 ମମତା ବାନାର୍ଜି ପ୍ରଥମରୁ ସ୍ପଷ୍ଟ କରି ଦେଇଛନ୍ତି ଯେ, ଏ ଘଟଣା ପାଇଁ ଦେଶରେ  ଗୃହ ଯୁଦ୍ଧ ହେବ, ରକ୍ତ ପାତ ହେବ । ଗୃହ ଯୁଦ୍ଧ କରିବ କିଏ, ରକ୍ତ ପାତ କରିବ କିଏ ? ଆସାମର କୌଣସି ରାଜନୈତିକ ନେତା ଏ ବିଷୟରେ ଟିପ୍ଣୀ ଦେଇ ନାହାଁନ୍ତି । ଏନଆରସି ବିରୋଧରେ ବି କହି ନାହିାଁନ୍ତି । ଆସାମ ଶାନ୍ତ ଥିବା ବେଳେ ତୃଣମୃଳ ନେତାମାନେ ସେଠାକୁ କାହିଁକି ଯିବେ । ଏହି ଘଟଣା ନେଇ ତୃଣମୂଳ କଂଗ୍ରେସର ଆସାମ ସଭାପତି ନିଜ ପଦରୁ ଇସ୍ତଫା ଦେଇ ଦେଇଛନ୍ତି । କାରଣ ସେ ଜାଣିସାରିଥିଲେ ଯେ ତାଙ୍କର ନେତାମାନେ ଏଠାକୁ ଆସିଲେ ଉସୁକାଇବେ,ଦଙ୍ଗାହେବ, ରକ୍ତପାତ ହେବ । ତେଣୁ ସେ ଆଗରୁ ଇସ୍ତଫା ଦେଇଦେଲେ । ଆସାମର ଲୋକ ବଡ ବୁଦ୍ଧିମତାର ସହିତ କାମ କରୁଛନ୍ତି । ଶାନ୍ତିପ୍ରିୟ ଭାବେ କାମ କରୁଛନ୍ତି । ଦେଶର ବିଧିବ୍ୟବସ୍ଥା  ସହିତ ସହଯୋଗ କରୁଛନ୍ତି । ନିଜର ପରିଚୟ ପତ୍ର ଇତ୍ୟାଦି ଯୋଗାଡକରି ଆଇନ୍କୁ ସହଯୋଗ କରୁଛନ୍ତି ।  ଟିଏମ୍ସି ତାଙ୍କର ଏମ୍ପି ମାନଙ୍କୁ ପଠାଇ ପରିସ୍ଥିତିକୁ ଉତେଜିତ କରିବ ବୋଲି ଆଶାକରି ଆସାମ ସରକାର ସେମାନଙ୍କୁ ବିମାନବନ୍ଦରରେ ଅଟକାଇ ଦେଇଥିଲା । ଏଥିରେ ଭୁଲରହିଲା କେଉଁଠି ?
 ସବୁ କ୍ଷେତ୍ରରେ ରାଜନୀତି କଲାଭଳି ଏହି ଭଳି ସମ୍ବେଦନଶୀଳ ଘଟଣାରେ ମଧ୍ୟ ବିରୋଧି ରାଜନୀତି କରିବାରୁ ପଛାଉ ନାହାଁନ୍ତି । ଦେଶରକ୍ଷା ପାଇଁ ନା ବିଜେପିର ଦରଦ ଅଛି ନା ବିଜେଡିର ଦରଦ ଅଛି । ଭୋଟ ବ୍ୟାଙ୍କ ପାଇଁ ସେମାନେ ରାଜନୀତି କରୁଛନ୍ତି ବୋଲି ସମସ୍ତ ଅଣବିଜେପି ଦଳମାନେ ଅଭିଯୋଗ କରୁଛନ୍ତି । ଯେଉଁ କଂଗ୍ରେସ ସମୟରେ ଏହି ଘଟଣା ଆରମ୍ଭ ହୋଇଥିଲା ଏବେ ସେହି କଂଗ୍ରେସ ଏହି ଘଟଣାକୁ ହିନ୍ଦୁ-ମୁସଲିମ,ହିନ୍ଦୁ -ମୁସଲିମ କହିଚାଲିଛି । ଅବୁଝା କଂଗ୍ରେସ ବୁଝାଇବ କିଏ ? ସମସ୍ତେ ଜାଣି ରଖିହବା ଉଚିତ ଏହା ହିନ୍ଦୁ ମୁସଲିମ ବିଷୟ ନୁହେଁ । ଏହା ହିନ୍ଦୁସ୍ତାନୀ-ଅଣହିନ୍ଦୁସ୍ତାନୀ ବିଷୟ ଅଟେ । ହିନ୍ଦୁ-ମୁସଲମାନ କହି ଦେଶର ମୁସଲମାନମାନଙ୍କୁ ଭୟଭିତ କରିବା ବନ୍ଦ କରାଯିବା ଉଚିତ । ମୁସଲମାନ ବିଦ୍ୱାନମାନେ   କହୁଛନ୍ତି ଯେ, ଏହାକୁ ହିନ୍ଦୁ ମୁସଲମାନ ଇସ୍ୟୁ ନକରିବା ଭଲ । ଏହାକଲେ ମୁସଲମାନମାନଙ୍କର ବେଶି କ୍ଷତି ହେବ ।  ପୂର୍ବତନ ସାଂସଦ ସହିଦ୍ ସଦ୍କୀ କହିଛନ୍ତି ଯେ ସୁପ୍ରିମକୋର୍ଟ ଦ୍ୱାରା ଚାଲିଥିବା ଏହି କାମରେ କୌଣସି ଭେଦଭାବ ନହେବା ଉଚିତ  କି ହିନ୍ଦୁ ମୁସଲମାନ ଇସ୍ୟୁ ନହେବା ଉଚିତ ।
 ନ୍ୟାସନାଲ ରେଜିଷ୍ଟାର ଅଫ ସିଟିଜେନ (ଏନଆରସି) ପକ୍ଷରୁ ଜାରି ହୋଇଥିବା  ଡ୍ରାଫ୍ଟ ଅନୁଯାୟୀ ଆସାମରେ ୨ କୋଟି ୮୯ଲକ୍ଷ ୮୩ ହଜାର ୬୭୭ ବ୍ୟକ୍ତିଙ୍କୁ ନାଗରିକତ୍ୱ ମିଳିଥିବାବେଳେ ୪୦, ୦୭, ୭୦୭ ଜଣ ବାଦ୍ ପଡିଛନ୍ତି  । ଏହାକୁ ନେଇ କଂଗ୍ରେସ ସଂସଦରେ ବେଶ ହଙ୍ଗାମା କରିବା ସହ କେନ୍ଦ୍ର ସରକାରଙ୍କୁ ଦୋଷ ଦେଇ ନାଟକ କରୁଛି । କଂଗ୍ରେସ ସହ ଟିଏମସି ଓ ସପା ବସପା ମଧ୍ୟ ଏହାକୁ ନେଇ ହଟ୍ଟଗୋଳ କରୁଛନ୍ତି ।  ତେଣୁ ଆପାତତ ବର୍ତ୍ତମାନ ଏହି ଲୋକମାନଙ୍କର ନଗରୀକତାକୁ ନେଇ ପ୍ରଶ୍ନବାଚୀ ଉଠିଛି । ଏମାନେ ଆଗାମୀ ଅଗଷ୍ଟ ୩୦ ରୁ ସେପ୍ଟେମ୍ବର ୨୮ ଯାଏଁ ୩୦ ଦିନଧରି ଚାଲିବାକୁ ଥିବା ସଂଶୋଧନୀ ପ୍ରକିୟାରେ ଭାଗନେଇ ତାଙ୍କ ନାଗରୀକତ୍ୱର ପ୍ରମାଣ ଦେବେ । ଭାରତର ରେଜିଷ୍ଟାର ଜେନେରାଲ ପଂଜୀକୃତ ଏବଂ ବାଦ୍ ପଡିଥିବା ଲୋକମାନଙ୍କୁ ଯଥା ଭାରତୀୟ ବା ଅଣ ଭାରତୀୟ ଆଖ୍ୟା ନଦେଇ ସମସ୍ତଙ୍କୁ ଆବେଦନ କରୀ ଭାବେ ଗ୍ରହଣ କରିଛନ୍ତି । ସେହିଭଳି ଲୋକସଭାରେ ସ୍ୱରାଷ୍ଟ୍ରମନ୍ତ୍ରୀ ରାଜନାଥ ସିଂ ଜଣେ ହେଲେ ଭାରତୀୟଙ୍କୁ ଏନଆରସିରୁ ବଂଚିତ କରାଯିବନାହିଁ ବୋଲି କହିଛନ୍ତି । ଏକ ସାକ୍ଷାତକାରରେ ବିଜେପିର ରାଷ୍ଟ୍ରୀୟ ମହାସଚିବ ରାମମାଧବ ସମସ୍ତ ତଥ୍ୟର ତନଖିପରେ ସନ୍ଦିଗ୍ଧ ବ୍ୟକ୍ତିମାନେ ନିଜକୁ ଭାରତର ନାଗରୀକ ଭାବେ ସାବ୍ୟସ୍ତ କରିନପାରିଲେ ସେମାନଙ୍କ ପାଇଁ ୧୯୮୩ ମସିହାରେ ଶ୍ରୀମତୀ ଇନ୍ଦିରା ଗାନ୍ଧୀ ସଂସଦରେ ୧୯୮୩ ମସିହାରେ ପ୍ରୟଣନ କରିଥିବା “ଦି ଇଲିଗାଲ ମାଇଗ୍ରାଂଟସ (ଡିଟରମିନିସନ ବାଏ ଟ୍ରିବୁନାଲସ) ଆକ୍ଟ ୧୯୮୩” ଅନୁସାରେ ସେମାନେ ଟ୍ରିବୁନାଲର ଆଶ୍ରୟ ନେଇପାରିବେ । ଏହାପରେ ସେମାନେ ବଂଚିତ ହେଲେ ଆଇନ୍ ଅନୁସାରେ ନ୍ୟାୟଳୟର ସାହାଯ୍ୟ ନେଇ ପାରିବେ । ସେଥିରେ ଯଦି ଅସଫଳ ହୁଅନ୍ତି ତେବେ ସେମାନଙ୍କୁ ଦେଶରୁ ବିଦା ହେବାକୁ ପଡିବ । କିନ୍ତୁ ଏହି ସଂଖ୍ୟା ଅଧିକା ହେଲେ ତାଙ୍କ ମୂଳ ଦେଶ ସହିତ କୂଟନୈତିକ ସ୍ତରରେ ଆଲୋଚନା କରାଯିବ । ଆଲୋଚନା ଫଳପ୍ରଦ ନହେବା ପର୍ଯ୍ୟନ୍ତ ସେମାନେ ଆମ ଦେଶରେ ଶରଣାଥି ଭାବେ ମଧ୍ୟ ରହିପାରିବେ । ନିର୍ବାଚନ କମିଶନର କହିଛନ୍ତି ସେମାନେ ମଧ୍ୟ ଭୋଟଦାନ ପ୍ରକ୍ରିୟାରେ ଭାଗ ନେଇ ପାରିବେ । ପ୍ରତ୍ୟେକ ଜିଲ୍ଲାରେ ଗୋଟିଏ ଲେଖାଏ ଟିମ୍ ଗଠନ କରାଯାଇଛି । ସେମାନେ ପ୍ରତ୍ୟେକ ଲୋକପାଇଁ ତଥ୍ୟ ସଂଗ୍ରହ କରିବେ ।  ଏହାଦ୍ୱାରା କୌଣସି ଭାରତୀୟ ଅସୁବିଧାରେ ପଡିବେ ନାହିଁ ।  ଲକ୍ଷ ଅନୁପ୍ରବେଶକାରୀ ପଛେ ଭାରତରେ ରହି ଯାଆନ୍ତୁ କିନ୍ତୁ ଜଣେ ହେଲେବିି ଭାରତୀୟ ଯେମିତି ଅସୁବିଧାରେ ନପଡୁ ଏ ବିଷୟ ଭାରତ ସରକାର ସଚେତନ ଅଛନ୍ତି । ୪୦ଲକ୍ଷ ଲୋକଙ୍କ ନାମ ପଞ୍ଜିକୃତ ହୋଇ ନଥିବା ବେଳେ ସେମାନଙ୍କୁ ଏକ ମାସ ସମୟ ଦିଆଯାଇଛି । ଭୁଲ ତୃଟି ସଜାଡିବା ପାଇଁ ସମୟ ଦିଆ ଯାଇଛି ।
 ଭାରତୀୟ ଜାତୀୟ କଂଗ୍ରେସ ଶ୍ରୀମତୀ ଗାନ୍ଧୀଙ୍କ ବେଳେ ୧୯୮୩ ଡିସେମ୍ବରରେ ଏଥିପାଇଁ ଟ୍ରିବୁନାଲ ଗଢିବାକୁ ଆଇନ୍ ପ୍ରଣୟନ କରିଥିଲେ ମଧ୍ୟ ଟ୍ରିବୁନାଲ ଗଢି ଅନୁପ୍ରବେଶକାରୀଙ୍କୁ ଦେଶରୁ ତଡିବା ପାଇଁ ସକ୍ଷମ ହୋଇନଥିଲେ ।  ଅନୁପ୍ରବେଶ ଯୋଗୁଁ ଆସାମରେ ଦୀର୍ଘକାଳଧରି ଆନ୍ଦୋଳନ ହେବା ସହିତ ଧନଜୀବନ ନଷ୍ଟ ହୋଇଛି । ଏଥିପାଇଁ ଲଢେଇ କରୁଥିବା ଆସାମ ଛାତ୍ର ପରିଷଦ ନିର୍ବାଚନ ରାଜନୀତିରେ ଭାଗନେଇ ବିପୁଳ ସଂଖ୍ୟାଗରିଷ୍ଠତା ଲାଭ କରିବା ସହିତ ଆସାମରେ ସରକାର ଗଠନ କରିଥିଲା । ୧୯୮୫ ମସିହାରେ ଆସାମ ସରକାର ଓ ଆସାମ ଗଣପରିଷଦର ନେତୃମଣ୍ଡଳୀ ସହିତ ମିଶି ନୂଆଦିଲ୍ଲୀ ଠାରେ ଆସାମ ଆକଡରେ ଦସ୍ତଖତ କରିଥିଲେ । ୧୯୫୧ରେ ପ୍ରସ୍ତୁତ ଏନ୍ଆରସି ଏବଂ ପାକିସ୍ତାନ ସହିତ ପୂର୍ବପାକିସ୍ତାନ ଓ ଭାରତର ଯୁଦ୍ଧ (୨୬ ମାର୍ଚ୍ଚ ରୁ ୧୬ ଡିସେମ୍ବର ୧୯୭୧) ପୂର୍ବରୁ ଅର୍ଥାତ ୧୯୭୧ ମାର୍ଚ୍ଚ ୨୫ ପୂର୍ବରୁ ଯେଉଁମାନେ ଭାରତରେ ପ୍ରବେଶ କରିଥିବେ କେବଳ ସେହିମାନଙ୍କୁ ନେଇ ଏନ୍ଆରସି ପ୍ରସ୍ତୁତ କରାଯିବ ବୋଲି ଆସାମ ଆକଡରେ ଉଲ୍ଲେଖ କରିଥିଲେ କିନ୍ତୁ ଭୋଟ ବ୍ୟାଙ୍କ ଭୟ ଏବଂ ମୁସଲିମ୍ ତୁଷ୍ଟିକରଣ ନୀତି ଯୋଗୁଁ ଏନ୍ଆରସି ପ୍ରସ୍ତୁତ କରିବାକୁ ସାହସ ଜୁଟାଇ ପାରିନଥିଲେ । ୨୦୧୨ ମସିହାରେ ଏହି ବେଆଇନ ଅନୁପ୍ରବେଶକାରୀଙ୍କୁ ରାଜ୍ୟରୁ ତଡିବାକୁ ନେଇ ଆସାମରେ ସୃଷ୍ଟି ହୋଇଥିବା ହିଂସାକାଣ୍ଡରେ ୪ ଲକ୍ଷ ଲୋକ ବାସହରା ହୋଇଥିଲେ ଏବଂ ୭୦ ଜଣ ଲୋକ ମୃତ୍ୟୁ ବରଣ କରିଥିବାରୁ ଶାସନ କ୍ଷମତାରେ ଥିବା ତତ୍କାଳୀନ ଶ୍ରୀ ତରୁଣ ଗୋଗେଇଙ୍କ ସରକାର  ସୈନ୍ୟବାହିନୀର ସହାୟତା ଲୋଡିଥିଲେ ।  ପରିସ୍ଥିତି ଶାନ୍ତ ହେବାପରେ ରାଜନୈତିକ ଫାଇଦା ପାଇଁ ସଂସଦୀୟ ନିର୍ବାଚନ ପୂର୍ବରୁ ଡିସେମ୍ବର ୨୦୧୩ରେ ଏନ୍ଆରସି ଜରିଆରେ ତୁରନ୍ତ ନାଗରୀକ ପଞ୍ଜିକରଣ ଆରମ୍ଭ ହେବ ବୋଲି ଘୋଷଣା କରିଥିଲେ କିନ୍ତୁ ବାସ୍ତବରେ ଏଥିପାଇଁ କୌଣସି ପଦକ୍ଷେପ ଗ୍ରହଣ କରିବା ନିମନ୍ତେ ସାହସ ବା ଇଛାଶକ୍ତି ପ୍ରଦର୍ଶନ କରିପାରିନଥିଲେ ତତ୍କାଳୀନ କଂଗ୍ରେସ ସରକାର । ୨୦୧୧ ଜନଗଣନା ଅନୁସାରେ ହିନ୍ଦୁମାନଙ୍କ ସଂଖ୍ୟା ୬୧.୪୭% ଥିବା ବେଳେ ମୁସଲିମ୍ଙ୍କ ସଂଖ୍ୟା ୩୪.୨୨%ରେ ପହଂଚିଛି । ଏହି ସଂଖ୍ୟା ବିପଦ ଜନକ ଭାବେ ବଢୁଛି । ୧୯୭୧ ମସିହାରେ ବାଂଲାଦେଶ ସୃଷ୍ଟି ହେବା ଦିନ ଠାରୁ କ୍ରମାଗତ ଭାବେ ବାଂଲାଦେଶରୁ ବେଆଇନ ଅନୁପ୍ରବେଶକାରୀଙ୍କ ସଂଖ୍ୟା ଆସାମ ସମେତ ମେଘାଳୟ, ପଶ୍ଚିମବଙ୍ଗ ଓ ଓଡିଶାରେ ବଢିବଢି ଚାଲିଛି ।
 ସେ ସମୟରେ ଏହା ସମାଧାନ ହୋଇ ପାରିଥାନ୍ତା କିନ୍ତୁ କ୍ଷମତା ଲାଳସାରେ ଏହାକୁ ଆଡେଇ ଦେଇଥିଲେ ।  ଏବେ ମମତା ଓ ରାହୁଳଙ୍କ ପରି କିଛି ଅଦୁରଦର୍ଶୀ ନେତା ଭୋଟ ବ୍ୟାଙ୍କ ଫାଇଦା ପାଇଁ ଏମାନଙ୍କୁ ସମର୍ଥନ ଦେଇ ଭାରତର ଜାତୀୟ ସୁରକ୍ଷା ଓ ନିରାପତ୍ତା ପ୍ରତି ବିପଦର କାରଣ ହୋଇଛନ୍ତି । ଯେତେଶୀଘ୍ର ସମ୍ଭବ ସେମାନେ ନିଜର ଆଭିମୁଖ୍ୟ ପରିବର୍ତ୍ତନ କରିବେ ଦେଶପାଇଁ ତାହା ମଙ୍ଗଳକର ହେବ । ସୁପ୍ରିମକୋର୍ଟ ମତରେ ଆସମରେ ଏତେ ସଂଖ୍ୟାରେ ଅନୁପ୍ରବେଶକାରୀଙ୍କ ଉପସ୍ଥିତି ଦେଶର ଆଭ୍ୟନ୍ତରୀଣ ସୁରକ୍ଷାପ୍ରତି ବିପଦ ସୃଷ୍ଟି କରିବ । ଜାତୀୟ ନିରାପତ୍ତା ଯେପରି ବିପନ୍ନ ନହେଉ ସେଥି ପ୍ରତି ନଜର ଦେଇ ସମସ୍ତ ରାଜନୈତିକ ଦଳ  ବିଚାର କରିବା ଉଚିତ । ଭାରତୀୟମାନଙ୍କୁ ନେଇ ଭାରତର ପରିଚୟ ସୃଷ୍ଟି ହୋଇଛି ।  ଭାରତର ସଂପତି ଭାରତର ନାଗରିକମାନଙ୍କ ପାଇଁ ଏହା କୌଣସି ଅନୁପ୍ରବେଶକାରୀମାନଙ୍କ ପାଇଁ ନୁହେଁ । ଏହି ଅବୈଧ ଅନୁପ୍ରବେଶକାରୀଙ୍କ ଯୋଗୁଁ ଦେଶର ସୁରକ୍ଷା ପ୍ରତି ପ୍ରଶ୍ନବାଚୀ ସୃଷ୍ଟି ହୋଇଛି । ସେମାନଙ୍କ ଦ୍ୱାରା ନାନା ପ୍ରକାର ଅଘଟଣମାନ ସଂଗଠିତ ହେଉଛି । ନିଜକୁ ତଥାକଥିତ ଧର୍ମନିରପେକ୍ଷବାଦୀ,ସହିଷ୍ଣୁତା ବୋଲାଉଥିବା କେତେକ ଚେତନାହୀନ ମାନସର ଅପରିଣାମ ଦର୍ଶିତା ଯୋଗୁଁ ଏଭଳି ପରିବେଶ ସୃଷ୍ଟି ହୋଇଛି । ସେହିମାନେ ସାମାନ୍ୟ ରାଜନୈତିକ ସ୍ୱାର୍ଥପାଇଁ ଭୋଟବ୍ୟାଙ୍କ ଲାଳସାରେ ଜାତୀୟ ସୁରକ୍ଷାକୁ ବିପଦକୁ ଠେଲି ଦେଉଛନ୍ତି । ଏଥିପାଇଁ ଭକ୍ତପ୍ରବର ଜଗନ୍ନାଥ ଦାସଙ୍କ ମହାର୍ଘବାଣୀ ଭାଗବତରେ ରୂପ ପାଇଥିଲା - “ଆପଣା ହସ୍ତେ ଜିହ୍ୱାଛେଦି-କେ ତା’ର ଅଛି ପ୍ରତିବାଦୀ” । ବୁଦ୍ଧିଜୀବିମାନେ ଏହାର ମାର୍ମିକତା ଉପଲବ୍ଧ କରି ପ୍ରମାଦ ଗଣିଲେଣି । ଦେଶକୁ ଯଥାସାଧ୍ୟ ସୁରକ୍ଷା କରିବା ନିମନ୍ତେ ଜନମାନସକୁ ଆହ୍ୱାନ କରିଛନ୍ତି ।
ଭିଏସ୍କେ,ଓଡିଶା
୩୫,ଏନ୍ଏସି ଫ୍ଲାଟ, ୟୁନିଟ-୩, ଭୁବନେଶ୍ୱର
ମୋ-୯୮୬୧୦୨୮୫୫୩

NRC विवाद के बीच केंद्रीय मंत्री रामदास आठवले का विवादित बयान, ‘रोहिंग्या हमारे मेहमान’


एनआरसी विवाद : छत्तीसगढ के मुख्यमंत्री रमन सिंह ने कहां, ‘भारत धर्मशाला नहीं है !’


रायपुर : छत्तीसगढ के मुख्यमंत्री रमन सिंह ने कहा कि, असम के लिए राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) के मुद्दे को प्रचारित नहीं किया जाना चाहिए क्योंकि भारत एक ‘धर्मशाला’ नहीं है जहां विदेशी घुसपैठ करेंगे।
रमन सिंह ने दुर्ग जिले में पत्रकारों से कहा,‘‘इस मुद्दे को उछाले जाने की कोई आवश्यकता नहीं है। क्या यह देश कोई धर्मशाला है जहां विदेशी घुसपैठ करते रहेंगे ?’’ उन्होंने कहा,‘‘कोई भी यहां आता है और रहना शुरू कर देता है। उन्हें बाहर किया जाना चाहिए और इस उद्देश्य के लिए इस तरह के लोगों को (असम में) चिन्हित किया गया है।’’
मुख्यमंत्री ने कहा,‘‘इन ४० लाख लोगों को (जिन्हें एनआरसी से बाहर रखा गया है) जो बाहर से आये है, उन्हें या तो अपनी राष्ट्रीयता साबित करनी चाहिए या फिर वहीं चले जाना चाहिए जहां से वे आये हैं।’’
स्त्रोत : एबीपी न्युज

भारत को पडोसी देशों के मुस्लिमों की आवश्यकता नहीं पर यहां के नेताओं को है’ – तसलीमा नसरीन


निर्वासन में रह रहीं बांग्लादेशी लेखिका तसलीमा नसरीन ने कहा है कि किसी भी व्यक्ति को ‘‘अवैध प्रवासी’’ करार नहीं दिया जाना चाहिए। असम में राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) ड्राफ्ट से ४० लाख लोगों का नाम बाहर होने की पृष्ठभूमि में उनका यह बयान आया है।
नसरीन ने बुधवार को ट्विटर पर लिखा, ‘‘शुरूआती मानव बेहतर जिंदगी के लिए अफ्रीका से एशिया आए। इसके बाद मानव आगे बढता रहा। हमारे पूर्वज मानव अवैध नहीं थे।’’
लेखिका ने ट्वीट किया, ‘‘किसी भी व्यक्ति को अवैध प्रवासी करार नहीं दिया जाना चाहिए। अवैध रूप से भारत घुसने वाले बांग्लादेशी नागरिक, उनका कृत्य भारतीय कानून के अनुसार अवैध है लेकिन वे ‘अवैध’ नहीं हैं।’’
एक अन्य ट्वीट में उन्होंने विश्व बैंक की रिपोर्ट का संदर्भ दिया कि आर्थिक कारणों से आए बांग्लादेशी प्रवासी भारत से अपने वतन लौट सकते हैं क्योंकि बांग्लादेश की अर्थव्यवस्था पहले से बहुत बेहतर हुई है।
एक अन्य ट्वीट में उन्होंने कहा, ‘‘भारत में काफी मुसलमान हैं। भारत को पडोसी देशों से और मुसलमानों की आवश्यकता नहीं है। परंतु दिक्कत है कि भारतीय नेताओं को उनकी आवश्यकता है।’’
स्त्रोत : न्यूज १८

Friday 3 August 2018

ଓଡିଶା ମୁହାଁ ବଙ୍ଗଳାଦେଶୀ


ଭୁବନେଶ୍ୱର, ୩/୮ ନ୍ୟାସନାଲ ରେଜିଷ୍ଟାର ଅଫ ସିଟିଜେନ (ଏନଆରସି) ପକ୍ଷରୁ ଜାରି ହୋଇଥିବା ଚୂଡାନ୍ତ ଡ୍ରାଫ୍ଟ ଅନୁଯାୟୀ ଆସାମରେ ୨ କୋଟି ୮୯ଲକ୍ଷ ୮୩ ହଜାର ୬୭୭ ବ୍ୟକ୍ତିଙ୍କୁ ନାଗରିକତ୍ୱ ମିଳିଥିବାବେଳେ ୪୦ଲକ୍ଷ ନାଗରିକଙ୍କୁ ଅବୈଧ ଦର୍ଶାଯାଇଛି । ଆସାମରେ ନାଗରିକତ୍ୱ ପାଇଁ ୩ କୋଟି ୨୯ ଲକ୍ଷ ୯୧ ହଜାର ୩୮୪ ଜଣ ଆବେଦନ କରିଥିଲେ । ସେମାନଙ୍କ ମଧ୍ୟରୁ ୪୦ଲକ୍ଷ ୭ ହଜାର ୭୦୭ ଜଣଙ୍କ ନାଗରିକତ୍ୱ ବାତିଲ ହୋଇଥିବାବେଳେ ଅବଶିଷ୍ଟଙ୍କୁ ନାଗରିକତ୍ୱର ମାନ୍ୟତା ମିଳିଛି । ବାତିଲ ହୋଇଥିବା ବ୍ୟକ୍ତି ବିଶେଷଙ୍କ ପାଖରେ ପର୍ଯ୍ୟାପ୍ତ ଦସ୍ତାବିଜ ନାହିଁ ଓ ସେମାନେ ନାଗରିକତ୍ୱ ପ୍ରମାଣିତ କରିବାରେ ବିଫଳ ହେବାରୁ ଏଭଳି ପଦକ୍ଷେପ ଗ୍ରହଣ କରାଯାଇଛି । ଏମାନେ ମୁଖ୍ୟତଃ ବାଙ୍ଗଲାଦେଶୀ ଅନୁପ୍ରବେଶକାରୀ । ଏହି ବାଙ୍ଗଲାଦେଶୀ ମାନେ ଏବେ ଓଡିଶା ମୁହାଁ । ସମୁଦ୍ର ଓ ଟ୍ରେନ ଯୋଗେ ସେମାନେ ଓଡିଶା ଆସୁଥିବା ଗୁଇନ୍ଦା ସୂଚନା ମିଳିବା ପରେ ତଟରକ୍ଷୀ ଏଡିଜି ପ୍ରାଣବିନ୍ଦୁ ଆଚାର୍ଯ୍ୟ ଉପକୂଳବର୍ତ୍ତୀ ସବୁ ଜିଲ୍ଲାର ଜିଲ୍ଲାପାଳମାନଙ୍କୁ ସତର୍କ କରିବା ସହ ସମୁଦ୍ରରେ ପାଟ୍ରୋଲିଂ ଜୋର କରିବାକୁ କହିଛନ୍ତି । ବିଶେଷକରି ରାଜ୍ୟର ସମୁଦ୍ର ତଟୀୟ ଅଞ୍ଚଳ କେନ୍ଦ୍ରାପଡ଼ା, ଜଗତସିଂହପୁର, ଚାନ୍ଦିପୁର, ଭଦ୍ରକ, ଧାମରା, ପାରାଦ୍ୱୀପ ଇତ୍ୟାଦି ସ୍ଥାନରେ ହାଇଆଲର୍ଟ ଜାରି କରାଯାଇଛି । ୭୬୦୦ କିଲୋମିଟର ଭାରତୀୟ ସମୁଦ୍ର ତଟୀୟ ଉପକୂଳ ମଧ୍ୟରୁ ଓଡ଼ିଶା ଉପକୂଳରେ ପ୍ରାୟ ୪୮୦ କିଲୋମିଟର ସାମୁଦ୍ରିକ ବେଳାଭୂଇଁ ଦକ୍ଷିଣରେ ଗୋପାଳପୁରଠାରୁ ପୂର୍ବରେ ଦୀଘା ପର୍ଯ୍ୟନ୍ତ ବ୍ୟାପୀ ରହିଛି । ଉପକୂଳବର୍ତ୍ତୀ ସନ୍ତ୍ରାସବାଦୀ ଆକ୍ରମଣ ଓ ଅନୁପ୍ରବେଶ ମୁକାବିଲା ପାଇଁ ୨୦୦୫ ମସିହା ଜେନେରାଲ ସିକ୍ୟୁରିଟି ସ୍କିମ୍‍ ଅନୁଯାୟୀ କେନ୍ଦ୍ର ସରକାର ଏକ ଅତ୍ୟାଧୁନିକ ତ୍ୱରିତ ସାମୁଦ୍ରିକ ପୁଲିସବାହିନୀ ଓ ତଟରକ୍ଷୀ ପୁଲିସ ଥାନାମାନ ସ୍ଥାପନ କରିବାର ନିଷ୍ପତ୍ତି ନେଇଥିଲେ । ରାଜ୍ୟର ୪୮୦ କିମି ବ୍ୟାପ୍ତ ଉପକୂଳରେ ପାଟ୍ରୋଲିଂ ପାଇଁ ୧୮ଟି ବୋଟ ମଧ୍ୟ ରହିଛି । ସେଗୁଡିକ ନିଷ୍କ୍ରୀୟ ପ୍ରାୟ । କିଛି ବର୍ଷ ତଳେ ଉପକୂଳ ଥାନାଗୁଡ଼ିକୁ କେନ୍ଦ୍ର ସରକାର ୧୮ଟି ଯନ୍ତ୍ରଚାଳିତ ଡ଼ଙ୍ଗା ଯୋଗାଇ ଦେଇଥିଲେ  । ମାତ୍ର ଏହି ଯନ୍ତ୍ରଚାଳିତ ଡ଼ଙ୍ଗାଗୁଡ଼ିକ କେବଳ ଗଭୀର ଜଳରେ ଚଳନକ୍ଷମ  । ଅଗଭୀର ଅଞ୍ଚଳରେ ଏହା ଚଳାଚଳ ସକ୍ଷମ ହେଉନାହିଁ । ତେଣୁ ଉଭୟ ଗଭୀର ଓ ଅଗଭୀର ଜଳରେ ଚଳାଚଳ କରି ପାରୁଥିବା ଡ଼ଙ୍ଗା ଯୋଗାଇ ଦେବାକୁ ରାଜ୍ୟ ସରକାର ଅନୁରୋଧ କରି ଚୁପ ହୋଇ ବସିଯାଇଥିଲେ । ଏହାର ସୂଯୋଗ ନେଇ ମତ୍ସ୍ୟଜୀବୀର ଛଦ୍ମବେଶରେ ଛୋଟ ଟ୍ରଲର ଓ ହୁଲି ଡଙ୍ଗା ସାହାଯ୍ୟରେ ବାଂଲାଦେଶୀ ଅନୁପ୍ରବେଶକାରୀଗଣ ଓଡ଼ିଶାର ଉପକୂଳ ଅଞ୍ଚଳମାନଙ୍କରେ ପର୍ଯ୍ୟାପ୍ତ ସଂଖ୍ୟାରେ ଅକ୍ଳେଶରେ ପ୍ରବେଶକରି ପର୍ଯ୍ୟାୟକ୍ରମେ ଏହାର ମାଳ ଅଞ୍ଚଳମାନଙ୍କୁ ମାଡିଗଲେଣି । ଏବେ ଆସାମରୁ ହଜାର ହଜାର ସଂଖ୍ୟକ ବାଙ୍ଗଲାଦେଶୀ ଓଡିଶାକୁ ପଶିଆସିବାକୁ ଉଦ୍ରମ କରୁଛନ୍ତି । ଅନୁପ୍ରବେଶକୁ ରୋକିବାପାଇଁ ଭାରତ ସରକାରଙ୍କ ନିର୍ଦେଶାନୁଯାୟୀ ଓଡ଼ିଶା ସରକାର ଏହାର ବ୍ୟାପକ ଉପକୂଳ ଅଞ୍ଚଳ, ବିଶେଷତଃ ବାଲେଶ୍ୱର, ଯାଜପୁର, କେନ୍ଦ୍ରାପଡ଼ା, କଟକ ଓ ଦକ୍ଷିଣ ଓଡ଼ିଶାର ମାଲକାନଗିରି, ନବରଙ୍ଗପୁର ଓ କୋରାପୁଟ ପ୍ରଭୃତି ଅଞ୍ଚଳରେ ଜବରଦଖଲକାରୀ ଅନୁପ୍ରବେଶକାରୀମାନଙ୍କୁଚିହ୍ନଟ କରିବା ପ୍ରକ୍ରିୟା ଆରମ୍ଭ କରିଥିଲେ । ପ୍ରଥମ ପର୍ଯ୍ୟାୟରେ ଓଡ଼ିଶାର କେନ୍ଦ୍ରାପଡ଼ା ଜିଲାର ୧୫୫୧ ଜଣ ବାଂଲାଦେଶୀ ଅନୁପ୍ରବେଶକାରୀଙ୍କୁ ଚିହ୍ନଟକରି ଦେଶ ତ୍ୟାଗ କରିବାକୁ ନୋଟିସ ଦେବାମାତ୍ରେ ସେମାନଙ୍କ ଭୋଟରେ ଅତୀତରେ ଉପକୃତ ହୋଇଥିବା ଅଥବା ଭବିଷ୍ୟତରେ ଭୋଟ ପାଇବା ଆଶା ରଖି କେତେକ ଦୁର୍ନୀତିଗ୍ରସ୍ତ ରାଜନୈତିକ ଭୋଟ ବେପାରୀ ଏହି ଦେଶାନ୍ତର ନୋଟିସକୁ ରାଜନୈତିକ ରଙ୍ଗ ଦେଇ, ଏମାନଙ୍କ ତରଫରୁ ତତକାଳୀନ ୟୁପିଏ ନେତୃତ୍ୱାଧୀନ କେନ୍ଦ୍ର ସରକାରଙ୍କ ନିକଟରେ ଓକିଲାତି କରିବାପାଇଁ ପରସ୍ପର ମଧ୍ୟରେ ପ୍ରତିଯୋଗିତା ଆରମ୍ଭ କରିଦେଇଥିଲେ । ଫଳ ସ୍ୱରୂପ ଏବେ ଓଡିଶଶରେ ୨୦ ଲକ୍ଷରୁ ଅଧିକ ବାଙ୍ଗଲାଦେଶୀ ରହୁଥିବା ବିଶ୍ୱସ୍ତ ସୂତ୍ରରୁ ଜଣାପଡିଛି । କେବଳ ବାଷଲଶ୍ୱରରେ ୪ଲକ୍ଷ ବାଙ୍ଗଲାଦେଶୀ ରହୁଛନ୍ତି । ଏବେ ରାଜ୍ୟର ଆଦିବାସୀବହୁଳ ଜିଲା ସୁନ୍ଦରଗଡ଼, ଝାରସୁଗୁଡ଼ା, କଳାହାଣ୍ଡି, ସମ୍ବଲପୁର, କୋରାପୁଟ, ମାଲକାନଗିରି ଆଦିକୁ ମଧ୍ୟ ବାଂଲାଦେଶୀମାନେ ପଶିଯାଇ ଯେନତେନ ପ୍ରକାରେ ନିଜର ପରିଚୟପତ୍ର ହାସଲ କରି ରହୁଛନ୍ତି । ଏଥିରେ ସ୍ଥାନୀୟ ନେତା ଓ ସରକାରୀ କର୍ମଚାରୀ ସେମାନଙ୍କୁ ସହାୟତା ଦେଉଛନ୍ତି । ଏଭଳି ସମୟରେ ଆସାମରୁ ଆସୁଥିବା ବାଙ୍ଗଲାଦେଶୀ ଓଡିଶାରେ ବିପର୍ଯ୍ୟୟ ଘଟାଇବେ ବୋଲି ଆଶଙ୍କା କରାଯାଉଛି

असम एनआरसी : तस्लीमा ने ममता से पूछा, ‘मुझे जब बंगाल से बाहर किया गया तब आप कहां थी ?’


नई देहली : असम राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) पर सडक से लेकर संसद तक हंगामा बरपा है ! सत्तापक्ष जिन ४० लाख लोगों का नाम एनआरसी में नहीं है उन्हें नागरिकता साबित करने के लिए मौका देने की बात कही है। वहीं विपक्ष का कहना है कि, सरकार का इरादा ठीक नहीं है, अपने ही घर में इतने लोगों को बेघर किया जा रहा है। इस बीच बांग्लादेशी लेखिका तस्लीमा नसरीन ने कहा है कि घुसपैठिए अवैध नहीं होते हैं।
तस्लीमा ने राजनेताओं पर निशाना साधते हुए कहा, ”भारत में काफी मुस्लिम हैं। भारत को पडोसी देशों से और मुस्लिमों की आवश्यकता नहीं है। परंतु समस्या यह है कि भारतीय राजनेताओं को इनकी आवश्यकता है !”
भारत में निर्वासित तस्लीमा ने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को कठघरे में खडा करते हुए कहा, ”यह देखकर अच्‍छा लगा कि ममता जी ४० लाख बांग्‍ला बोलनेवालों के लिए इतनी ज्‍यादा सहानुभूति रखती हैं। उन्‍होंने यहां तक कह दिया है कि वह असम बाहर किए जानेवाले लोगों को वह शरण देंगी। उनकी यह सहानुभूति तब कहां थी जब उनकी विरोधी पार्टी ने मुझे पश्चिम बंगाल से बाहर कर दिया था ?”
तस्लीमा ने कहा, ”ममता जी के अंदर सभी बेघर बांग्‍ला बोलनेवालों के लिए के सहानुभूति नहीं है। यदि उनके अंदर होता तो उनके अंदर मेरे लिए भी होती और उन्‍होंने मुझे भी पश्चिम बंगाल में आने की अनुमति दी होती !”
आपको बता दें तस्लीमा किताबों को लेकर विवादों में रही हैं। मुस्लिम संगठनों ने बांग्लादेश में तस्लीमा का विरोध किया था। जिसके बाद वो भारत आ गई और पश्चिम बंगाल में शरण ली। परंतु साल २००७ में उनके लेखन को लेकर कोलकाता में हिंसक प्रदर्शन हुआ। तब की लेफ्ट सरकार ने उन्हें राज्य से बाहर जाने के लिए कहा। अब तस्लीमा ने इसी बहाने ममता बनर्जी पर निशाना साधा है !
स्त्रोत : एबीपी न्यूज

Thursday 2 August 2018

अमित शाह ने कहा, ‘विपक्ष फैला रहा भ्रम, घुसपैठियों पर रुख साफ करे कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस’


नई देहली : असम में नैशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजन (एनआरसी) के फाइनल ड्राफ्ट को लेकर मंगलवार को संसद में हुए हंगामे के बाद भाजपा अध्यक्ष और राज्यसभा सांसद अमित शाह ने विपक्ष पर हमला बोला। प्रेस वार्ता के दौरान शाह ने कहा कि एनआरसी से जिन लोगों के नाम हटाए गए हैं, प्राथमिक जांच में पाया गया कि वे भारतीय नहीं बल्कि घुसपैठिए हैं।
उन्होंने आरोप लगाया कि विपक्ष कई तरह के भ्रम फैला रहा है जबकि वास्तविकता अलग है। इससे पहले शाह के बयान पर राज्यसभा में विपक्षी सांसदों ने जबर्दस्त हंगामा किया था, जिससे सदन की कार्यवाही स्थगित करनी पडी।

‘साबित नहीं कर पाए भारतीय नागरिक’

शाह ने कहा कि जो लोग साबित नहीं कर पाए कि वे भारतीय नागरिक हैं, उनके नाम को ही ड्राफ्ट से अलग किया गया है। उन्होंने कहा, ‘सदन में मैंने सभी पार्टियों के लोगों को सुना पर किसी भी पार्टी ने स्पष्ट नहीं किया कि यह अंतिम सूची नहीं है। किसी ने यह नहीं कहा कि एनआरसी कहां से आया। कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस की ओर से ऐसा कहा जा रहा है कि भाजपा जनता के साथ धोखा कर रही है।’

कांग्रेस पर सीधा अटैक

उन्होंने कहा कि वास्तविकता यह है कि घुसपैठ के कारण असम के विद्यार्थियों ने आंदोलन किया था। कई लोगों की जान चली गई और फिर १४ अगस्त १९८५ को असम अकॉर्ड साइन किया गया। उस समय देश के प्रधानमंत्री राजीव गांधी थे। अकॉर्ड के अनुसार यह तय किया गया कि एनआरसी बनाते समय एक-एक घुसपैठिए को चुनकर बाहर किया जाएगा।

शाह का आरोप – कांग्रेस के लिए वोट बैंक अहम

उन्होंने कहा, ‘२००५ में भी कांग्रेस ने एनआरसी बनाने का प्रयास किया पर उनके लिए वोट बैंक महत्वपूर्ण था। उनमें साहस नहीं था। इसके बाद मामला उच्चतम न्यायालय पहुंचा और फिर मोदी सरकार ने एनआरसी बनाने का काम शुरू किया।’

मानवाधिकार पर भी दिया जवाब

विपक्ष पर हमला बोलते हुए शाह ने कहा कि असम के लोगों के रोजगार छिने जा रहे हैं, स्वास्थ्य और शिक्षा के अवसर छिने जा रहे हैं; क्या उनका मानवाधिकार नहीं है ? उन्होंने कहा कि भारत के लोगों के मानवाधिकारों की रक्षा के लिए ही एनआरसी बना। उन्होंने मांग की कि बांग्लादेशी घुसपैठियों को लेकर कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस को अपना रुख साफ करना चाहिए। मौजूदा सरकार के लिए सीमाओं और देशवासियों की सुरक्षा सर्वोच्च प्राथमिकता है।

राज्यों के बीच विवाद पर कहा, विपक्ष की चाल

शाह ने कहा कि इस मसले पर सभी पार्टियों को देश की जनता के समक्ष अपना रुख साफ करना चाहिए। उन्होंने कहा कि इस पर निष्पक्ष प्रक्रिया अपनाई गई है और सब कुछ उच्चतम न्यायालय की निगरानी में किया गया है। शाह ने कहा कि भारत के दूसरे राज्यों से आए किसी भी लोगों के नाम काटे नहीं गए हैं और न काटे जा सकते हैं। उन्होंने कहा, ‘जो मैं संसद में नहीं कह सका, अब कह रहा हूं। भ्रांति फैलाई जा रही है कि राज्य-राज्य में विवाद होगा, यह विपक्ष की चाल है। मैं इसकी घोर निंदा करता हूं। ऐसा कर कांग्रेस ने जनता को गुमराह करने का प्रयास किया है।’

‘राहुल गांधी साफ करें रुख’

उन्होंने कहा, ‘१९७१ में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने कहा था कि एक भी घुसपैठिए के लिए देश में कोई जगह नहीं है। तत्कालीन गृह मंत्री चिदंबरम ने भी कहा था कि घुसपैठियों के लिए देश में जगह नहीं है। ऐसे में अब कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को अपना रुख साफ करना चाहिए।’ अमित शाह ने वोट बैंक की राजनीति करने के आरोपों पर कहा, ‘हम जब विपक्ष में थे तब भी और आज सत्ता में हैं, तब भी हमारा रुख बिल्कुल साफ है।’ उन्होंने कहा कि शरणार्थी और घुसपैठिए दोनों का अलग मसला है।
उन्होंने आरोप लगाया, ‘ममता बनर्जी चुनाव जीतने के लिए भ्रांति फैला रही हैं। ममता कह रही हैं कि गृह युद्ध होगा, वे क्या समझाना चाहती हैं ? बांग्लादेशी घुसपैठियों के मसले पर ममता को अपना रुख साफ करना चाहिए। इस देश के मानवाधिकारों की भी कोई बात करेगा कि नहीं ? ऐसे देश की सुरक्षा और देश के लोगों की रक्षा कैसे कर सकेंगे ? उन्होंने साफ कहा कि एनआरसी देश की सुरक्षा के लिए हैं और उच्चतम न्यायालय के आदेश के तहत इसे लागू किया जाएगा।
स्त्रोत : नवभारत टाईम्स

Wednesday 1 August 2018

ଓଡ଼ିଶାରେ ବାଙ୍ଗଲାଦେଶୀ ଅନୁପ୍ରବେଶକାରୀ


ସୁଦୀର୍ଘ ବେଳାଭୂମି ଓ ସାମୁଦ୍ରିକ ତଟ ଅଞ୍ଚଳକୁ ନେଇ ସମଗ୍ର ବିଶ୍ୱରେ ଗୌରବର ବାନା ଉଡାଉଥିବା ଓଡ଼ିଶା ପାଇଁ ଏହି ପ୍ରାକୃତି ସମ୍ପଦ ଏବେ କାଳ ହେବାକୁ ଯାଉଛି । ଓଡ଼ିଶାର ଦୀର୍ଘ ବେଳାଭୂମି ସହ ଘଞ୍ଚ ଜଙ୍ଗଲ ବାତ୍ୟା ଓ ସୁନାମୀକୁ ମୁକାବିଲା କରୁଥିବାବେଳେ କିନ୍ତୁ ପରବର୍ତ୍ତୀ ସମୟରେ ଏହି ବେଳାଭୂମିର ଅଧିକାଂଶ ଜଙ୍ଗଲ ମାଫିଆଙ୍କ ହାତରେ ପଡ଼ି ଚାଷ ଜମିରେ ପରିଣତ ହେଲା । ସେହିପରି ବାଲେଶ୍ୱରରୁ କେନ୍ଦ୍ରାପଡ଼ାର ରାଜନଗର ଓ ପାରାଦ୍ୱୀପକୁ ଛୁଇଁଥିବା ସମୁଦ୍ରତଟ ଏବେ ବାଙ୍ଗଲାଦେଶୀ ଅନୁପ୍ରବେଶକାରୀଙ୍କ ଚରାଭୂମି ପାଲଟିଛି । ବାଙ୍ଗଲାଦେଶରେ ବେରୋଜଗାରୀ ଓ ଥଇଥାନ ମୁଖ୍ୟ ପ୍ରସଙ୍ଗ ହୋଇଥିବାରୁ ଓଡ଼ିଶାର ଖୋଲାମେଲା ସମୁଦ୍ରତଟ ଏହି ଅନୁପ୍ରବେଶକାରୀଙ୍କ ଜୀବନ ଜୀବିକାର କେନ୍ଦ୍ର ପାଲଟିଛି । ବିଭାଜନ ପୂର୍ବରୁ ପୂର୍ବବଙ୍ଗ ତଥା ପଶ୍ଚିମବଙ୍ଗ ଭିତରେ ସୀମାବର୍ତ୍ତୀ କୌଣସି ନିୟନ୍ତ୍ରଣ ବା କଟକଣା ନଥିବାରୁ କିଛି ଦିନ ଏହା ରୟାଲ ବେଙ୍ଗଲ ଟାଇଗରର କ୍ଷେତ୍ରସ୍ଥଳୀ ପାଲଟିଥିଲା । ମାଛଧରା ଜୀବିକା କେବଳ ବାଙ୍ଗଲାଦେଶୀ ନୁହେଁ ତଟବର୍ତ୍ତୀ ଓଡ଼ିଆଙ୍କ ଜୀବନ ଜୀବିକା ଥିଲା । ତେବେ ଏହି ବାଙ୍ଗଲାଦେଶୀ ଅନୁପ୍ରବେଶକାରୀ ଯେ ବିନା ସରକାରୀ ଓ ସ୍ଥାନୀୟ ପ୍ରୋତ୍ସାହନରେ ସେମାନଙ୍କ ପ୍ରଭାବ ବିସ୍ତାର କରିଛନ୍ତି ତାହାନୁହେଁ । ସେମାନେ ନିଜର ଜୀବିକା ସହ ଜଡ଼ିତ ଥିବା ଓଡ଼ିଶା ମତ୍ସ୍ୟଜୀବୀ ମାନଙ୍କ ସହ ସୁସମ୍ପର୍କ, ସ୍ଥଳବିଶେଷରେ ପାରିବାରିକ ସମ୍ପର୍କ ରଖି ସ୍ଥାନୀୟ ଗାଁ ମୁଖିଆ, ବନକର୍ମଚାରୀ, ତଟବନରକ୍ଷୀ ଓ ପୁଲିସକୁ ସନ୍ତୁଷ୍ଟ କରି ନିଜ ଯୋଜନାକୁ ସଫଳ କରିବାକୁ ସକ୍ଷମ ହୋଇଛନ୍ତି । କେବଳ ମାଛଧରି ନୁହେଁ ଜଙ୍ଗଲରୁ ବିଭିନ୍ନ ଜଙ୍ଗଲୀ ପଶୁ ହରିଣ, ବରାହ ମାରି ମାଂସ ଓ ଚମଡ଼ାର ଚୋରା ବ୍ୟାପର କରୁଛନ୍ତି । ଓଡ଼ିଶାର ତଟଦେଶରେ ଥିବା ଓଡ଼ିଆମାନେ ୧୯୬୭, ୧୯୭୨ ଓ ପରେ ୧୯୯୯ର ମହାବାତ୍ୟାକୁ ସାମ୍ନା କରିଛନ୍ତି । ଇତିହାସର ପୃଷ୍ଠା ଦେଖିଲେ ଜଣାଯାଏ ପୂର୍ବବଙ୍ଗରେ ମୁସିଲିମ୍ ଲିଗ୍ ଶକ୍ତିଶାଳୀ ଥିବାବେଳେ ସେ ସମୟରେ ଲକ୍ଷ ଲକ୍ଷ ହିନ୍ଦୁମାନଙ୍କ ଉପରେ ଦମନ ଲୀଳା କରିବାକୁ ସେମାନଙ୍କ ନେତା ସୁରାବର୍ଦ୍ଦି ପ୍ରବର୍ତ୍ତାଇଥିଲେ । ସେଠାରେ ଅସଂଖ୍ୟ ହିନ୍ଦୁ ମାନଙ୍କୁ ହତ୍ୟା କରାଯିବା ସହ ସେମାନଙ୍କ ସମ୍ପତିବାଡ଼ିକୁ ଧୂଳିସାତ୍ କରି ମହିଳା ଓ ଯୁବତୀମାନଙ୍କୁ ବଳାକ୍ରାର କରାଗଲା ଯାହାଦ୍ୱାରା ଲକ୍ଷ ଲକ୍ଷ ହିନ୍ଦୁ ସମୁଦ୍ର ପଥ ଦେଇ ଭାରତକୁ ପଳାୟନ କରିଥିଲେ । ଯେଉଁମାନେ କି ହିନ୍ଦୁ ହୋଇ ମଧ୍ୟ ଶରଣାର୍ଥୀର ସ୍ଥାନ ପାଇଲେ । ତେବେ ୧୯୭୧ ବଙ୍ଗଳାଦେଶର ଜାତୀୟ ମୁକ୍ତି ସଂଗ୍ରାମ ବେଳେ ପାକିସ୍ଥାନର ସୈନ୍ୟ ମାନଙ୍କ ହିନ୍ଦୁମାନଙ୍କ ଉପରେ ଅକଥନୀୟ ଅତ୍ୟାଚାର ପରେ ପୁନର୍ବାର ଶରଣାର୍ଥୀଙ୍କ ସୁଅ ଛୁଟିଲା । ବାଙ୍ଗଲାଦେଶୀ, ଆସାମ, ଉତ୍ତରପୂର୍ବାଞ୍ଚଳ ରାଜ୍ୟ ଓ ବିହାରରେ ଶରଣାର୍ଥୀଙ୍କୁ ଯେଉଁ ବିପୁଳ ସ୍ରୋତ ସୃଷ୍ଟି ହେଲା ତାହା କେତେକାଂଶରେ ଧର୍ମଭିତ୍ତିକ ହୋଇ ଭିନ୍ନ ଏକ ଶ୍ରେଣୀ ସଂଗ୍ରାମର ଲଢ଼େଇ ସୃଷ୍ଟି କଲା । ନୂଆ ବଙ୍ଗଳା ଦେଶ ସୃଷ୍ଟି ହେବାପରେ ଦେଶର ସାମର୍ଥ୍ୟ ନଥିବାରୁ ଅନେକ ନାଗରିକ ବିଭିନ୍ନ ଦେଶକୁ ଛୋଟ ମୋଟର କାମଦାମ ପାଇଁ ଦେଶାନ୍ତର ହେଲେ । ଆଜି ବି ଖୁବ୍ ମଜୁରୀରେ ଭଲ କଳା ନିର୍ମାଣରେ ସିଦ୍ଧହସ୍ତ ବାଙ୍ଗଲାଦେଶୀ ରାଜମିସ୍ତ୍ରୀ, ବଢ଼େଇ, ରଙ୍ଗମିସ୍ତ୍ରୀ ଓ ଗାଡ଼ି କାରିଗରଙ୍କ ଚାହିଦା କେବଳ ଓଡ଼ିଶାରେ ନୁହେଁ ଭାରତର ବିଭିନ୍ନ ରାଜ୍ୟରେ ରହିଛି । ତେବେ ବିପୁଳ ସଂଖ୍ୟକ ବାଙ୍ଗଲାଦେଶୀ ଓଡ଼ିଶା ସରକାରଙ୍କ କଡ଼ା ନଜର ତଳେ ସ୍ଥାନୀୟ ଲୋକଙ୍କ ଓ ପ୍ରଶାସନର ସହଯୋଗ ନେଇ ଦିନକୁ ଦିନ ଓଡ଼ିଶାରେ କାୟା ବିସ୍ତାର କରୁଛନ୍ତି । ତେବେ ସେମାନଙ୍କ ମଧ୍ୟରୁ ଅଧିକାଂଶ ଅସାମାଜିକ ତତ୍ତ୍ୱ ଓ ବିଭିନ୍ନ ଆତଙ୍କବାଦୀ ସଂଗଠନ ସହ ଜଡ଼ିତ ରହି ବିଭିନ୍ନ ଚୋରା ଚାଲାଣ ବେଆଇନ କାର୍ଯ୍ୟକ୍ରମରେ ସାମିଲ ହେବା ବର୍ତ୍ତମାନର ସରକାରଙ୍କ ମୁଣ୍ଡବ୍ୟଥାର କାରଣ ପାଲଟିଛି । ସ୍ଥାନୀୟ କୁଜିନେତା ଓ ପ୍ରଶାସନକୁ ହାତ କରି ଭୋଗରାଗ ଦେଇ ସ୍ଥାନୀୟ ଭୋଟର ଭାବେ ସାମିଲ ହୋଇ ସରକାରୀ ଦଳର ବଡ଼ ଭୋଟ ବ୍ୟାଙ୍କ ସାଜିଥିବାରୁ ସରକାର ଓ ଦଳ ଅନେକ ସମୟରେ ନୀରବ ରହୁଛନ୍ତି । ଅନେକ ହୁଏତ ଜାଣିନଥିବେ ଆଜି ବି ଓଡ଼ିଶାରେ ବେଆଇନ ଭାବେ ଅନୁପ୍ରବେଶ କରୁଥିବା ଅନେକ ବାଙ୍ଗଲାଦେଶୀ ଯେଉଁପରି ଭାବରେ ଖୁବ୍ କମ୍ ସମୟ ଭିତରେ ଭୋଟର କାର୍ଡ଼, ରେସନ କାର୍ଡ଼, ଆଧାର କାର୍ଡ଼, ଜବ କାର୍ଡ଼ ପାଇବା ସହ ଇନ୍ଦିରା ଆବାସ, ମନୋରେଗା ଯୋଜନା ଓ ସରକାରଙ୍କ ସରକାରୀ ବ୍ୟବସ୍ଥିତ ଅଙ୍ଗନବାଡ଼ିର ସୁବିଧା ସୁଯୋଗ ପାଇବା ସହ ସେମାନଙ୍କ ମଧ୍ୟରୁ କିଛି ମଧ୍ୟ ଓଡ଼ିଶାରେ ସରକାରୀ କର୍ମସଂସ୍ଥାନରେ ଯୋଗ ଦେବା ପାଇଁ ସକ୍ଷମ ହୋଇଛନ୍ତି । ଓଡ଼ିଶା ସରକାର ନିଜ ଭୋଟବ୍ୟାଙ୍କକୁ ସୁଦୃଢ଼ କରୁଥିବାରୁ ଏମାନଙ୍କୁ ଆଖିବୁଜା ସମର୍ଥନ ଦେଉଥିବାବେଳେ କେନ୍ଦ୍ରରେ ନରେନ୍ଦ୍ର ମୋଦିଙ୍କ ନେତୃତ୍ୱାଧୀନ ଶକ୍ତିଶାଳୀ ସରକାର ଦଳ ଅପେକ୍ଷା ଦେଶର ସୁରକ୍ଷାକୁ ସର୍ବାଧିକ ଗୁରୁତ୍ୱ ଦେଇ କେବଳ ଓଡ଼ିଶାରେ ନୁହେଁ ସମଗ୍ର ଭାରତରେ ବିଭିନ୍ନ ଦେଶର ଅନୁପ୍ରବେଶକାରୀଙ୍କ ଉପରେ କଡ଼ା ନଜର ରଖୁଛନ୍ତି । ଏମାନଙ୍କୁ ନେଇ ଭୋଟବ୍ୟାଙ୍କ ରାଜନୀତି କରୁଥିବା ବିରୋଧୀ ଦଳମାନେ ଏ କ୍ଷେତ୍ରରେ ନରେନ୍ଦ୍ର ମୋଦିଙ୍କ ସରକାରଙ୍କୁ ନିନ୍ଦା କରିବା ଜାତୀୟତା ବିରୋଧି କହିଲେ ଅତ୍ୟୁକ୍ତି ହେବନାହିଁ । ସମଗ୍ର ବିଶ୍ୱରେ ଭାରତ ଦ୍ରୁତ ପ୍ରଗତି ଓ ଅଭିବୃଦ୍ଧିରେ ନିଜକୁ ଯଥେଷ୍ଟ ଅଗ୍ରଗତିରେ ପହଞ୍ଚାଇ ସାରିଥିବାବେଳେ ଏହିପରି ଅନେକ ଅନୁପ୍ରବେଶକାରୀ ଆତଙ୍କବାଦୀ ସାଜି ଦେଶର ଧନଜୀବନ ସୁରକ୍ଷା ପାଇଁ ଭୟଙ୍କର ବିପଦ ସାଜିଛନ୍ତି । ଭାରତରେ ପ୍ରତିଦିନ ଏହି ମାନଙ୍କ କାରଣରୁ ରକ୍ତପାତ ହୋଇ ଆମର ଅତିପ୍ରିୟ ଦେଶ ସେବକ ଯୋଦ୍ଧା ବୀରବାହିନୀ ସୈନିକମାନେ ଓ ପୁଲିସ ଭାଇମାନେ ନିଜ ମୂଲ୍ୟବାନ ଜୀବନକୁ ଦେଶ ମାତୃକାର ସୁରକ୍ଷା ପାଇଁ ବଳୀଦାନ ଦେଉଛନ୍ତି । ଏହି ତଥାକଥିତ ବାଙ୍ଗଲାଦେଶୀମାନେ କେବଳ ଓଡ଼ିଶା ନୁହେଁ ଭାରତର ଶକ୍ତି, ସାମର୍ଥ୍ୟକୁ ଲୁଣ୍ଠନ କରିବା ସହ ଯାବତୀୟ ବେଆଇନ କାର୍ଯ୍ୟକ୍ରମ କରି ଭାରତୀୟ ସ୍ୱାଭିମାନୀ ନାଗରିକଙ୍କ ନିଜ ଅଧିକାର ଓ ହକ୍କୁ ସେମାନେ ଛଡ଼ାଇ ନେଉଛନ୍ତି । ଆସାମର ଘଟଣା ସହ ଉତ୍ତରପୂର୍ବାଞ୍ଚଳ ରାଜ୍ୟରେ ଆଜି ଲକ୍ଷ ଲକ୍ଷ ଭାରତୀୟମାନେ ଏହି ଅନୁପ୍ରବେଶକାରୀ ଆତଙ୍କବାଦୀଙ୍କ ଅତ୍ୟାଚାରର ଶିକାର ହେଉଛନ୍ତି । କେନ୍ଦ୍ର ସରକାର ସୁପ୍ରିମକୋର୍ଟଙ୍କ ନେତୃତ୍ୱରେ ଜାତୀୟ ନାଗରିକ ପଞ୍ଜିକା କାର୍ଯ୍ୟକ୍ରମ ଆସାମରେ କରାଇବା ଦ୍ୱାରା ଚାଳିଶ ଲକ୍ଷରୁ ଉଦ୍ଧ୍ୱର୍ ବେଆଇନ ବାଙ୍ଗଲାଦେଶୀ ଚିହ୍ନଟ ହୋଇପାରିଛନ୍ତି । କିନ୍ତୁ ସମଗ୍ର ଭାରତର ବିଭିନ୍ନ ରାଜ୍ୟରେ ଏମାନେ ଲକ୍ଷ ଲକ୍ଷ ସଂଖ୍ୟାରେ ଥିବା ସମୟରେ ଆଗାମୀ ଦିନରେ ଭାରତୀୟଙ୍କ ପାଇଁ ନିଶ୍ଚିନ୍ତ ଭାବରେ ବିପଦ ବଢ଼ିବାରେ ଲାଗିବ । ଏହି କ୍ରମରେ ଦେଖିଲେ ଶାନ୍ତିପ୍ରିୟ ଓ ଜଗନ୍ନାଥ ଦେଶ ଭାବେ ପରିଚିତ ଓଡ଼ିଶା ମଧ୍ୟ ଯେ ଅଶାନ୍ତ ନ ହେବ ତାହା କହିହେବନାହିଁ । ତେଣୁ ତୁରନ୍ତ ଏହି ବେଆଇନ ଅନୁପ୍ରବେଶକାରୀ ଓ ଅସାମାଜିକ ତତ୍ତ୍ୱମାନଙ୍କୁ ସପ୍ରମାଣେ ଧରି ସେମାନଙ୍କୁ ସେମାନଙ୍କ ନିଜ ଦେଶକୁ ପଠାଇବା ଅପରିହାର୍ଯ୍ୟ ।

भारत कोई धर्मशाला नहीं, जहां कोई भी आकर बस जाए ! : सुब्रमण्यम स्वामी


एनआरसी को लेकर राज्यसभा में लगातार हंगामा चल रहा है ! विपक्ष ने एनआरसी को लागू करने के मुद्दे पर अमित शाह के भाषण के दौरान जमकर हंगामा किया। जिस कारण से राज्‍यसभा को बुधवार तक के लिए स्‍थगित करना पडा। भाजपा सांसद सुब्रमण्यम स्वामी ने इस मामले पर कहा, अगर कोई चटाई लेकर भारत के अंदर आ जाए तो क्या वह भारत का नागरिक हो जाएगा ?
राज्यसभा सदस्य सुब्रमण्यम स्वामी ने कहा, भारत कोई धर्मशाला नहीं है जहां पर कोई भी किसी भी देश से आकर बस जाए। अभी तो असम में एनआरसी लागू हुआ है। अगर हमारी सरकार पश्चिम बंगाल में आएगी तो हम वहां पर भी एनआरसी लागू करेंगे !
सुब्रमण्यम स्वामी ने यह भी कहा कि श्रीलंका से आए हुए तमिल प्रवासियों को भी हटाया जाना चाहिए। मूल बात यह है कि हमारे देश का जब विभाजन हुआ था तब उनको एक अलग देश मिल गया था। मेरा मानना है कि जब उनको अलग देश मिल गया तो वह भारत में घुसपैठिए के तौर पर क्यों, रह रहे हैं ?
जिनके पास नागरिक बनने का अधिकार है, उनको हम नागरिकता दे रहे हैं। जो लोग अवैध नागरिकता लेकर यहां पर रह रहे हैं उनको हम नहीं छोड रहे। मेरा मानना है कि हर प्रांत में इस तरीके से अवैध तौर पर जो लोग रह रहे हैं उनके खिलाफ कार्रवाई की जानी चाहिए !
मैं तो यह चाहता हूं कि देश की अस्मिता बचाने के लिए इस तरीके का काम करना चाहिए। मेरा मानना है कि ममता बनर्जी अगर एनआरसी का विरोध कर रही हैं और यह गलती करती हैं तो वहां की जनता उनकी सरकार को उखाड फेंकेगी !
स्त्रोत : आज तक

रोहिंग्याओं की घुसपैठ रोकने के लिए तैनात किए गए बीएसएफ, असम राइफल्स के जवान – गृहमंत्री राजनाथ सिंह


नई देहली : संसद के मानसून सत्र के दौरान मंगलवार को रोहिंग्‍या शरणार्थियों का मुद्दा उठाया गया। लोकसभा में गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने रोहिंग्या को लेकर राज्यों के लिए एडवाइजरी जारी की है। राजनाथ सिंह ने कहा कि राज्य सरकारों से आग्रह किया है कि वे राज्य में रोहिंग्याओं की संख्या आदि के बारे में वे गृह मंत्रालय को इसकी सूचना दें। गृह मंत्रालय ये जानकारी विदेश मंत्रालय को देगा। विदेश मंत्रालय म्यांमार के साथ इनको डिपोर्ट करने पर बातचीत करेगा।

रोहिंग्या के घुसपैठ को रोकने के लिए बीएसएफ और असम राइफल्स तैनात

लोकसभा में गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने बताया कि रोहिंग्या के घुसपैठ को रोकने के लिए बीएसएफ और असम राइफल्स के जवान तैनात किए गए हैं। कोशिश की जा रही है कि भारत में अब और रोहिंग्या घुसपैठ न कर पाएं। भारत में भी ४०,००० रोहिंग्या हैं !

भारत शरणार्थियों को भगाने में यकीन नहीं रखता

सासंद जुगल किशोर शर्मा ने पूछा कि जम्मू से रोहिंग्या कब बाहर होंगे ? इसका जवाब किरन रिजिजू ने दिया। उन्‍होंने कहा, ‘रोहिंग्या भारत की सुरक्षा के लिए खतरा हैं। सबसे ज्यादा रोहिंग्या जम्मू-कश्मीर में है। इनको सुरक्षित म्यांमार भेजने के लिए प्रयास सरकार कर रही है। राज्य सरकारों के साथ इसपर बातचीत जारी है। भारत शरणार्थियों को भगाने में यकीन नहीं रखता, लेकिन एक रेग्युलेटरी जारी करने में क्या बुराई है। हम विदेश मंत्रालय के माध्यम से रोहिंग्या को सुरक्षित रुप से म्यांमार भेजने के लिए काम कर रहे हैं लेकिन विपक्ष इसका विरोध कर रहा है। हम पहले अपने देश की सुरक्षा चाहते हैं।

भारत में भी ४०,००० रोहिंग्या

लोकसभा में टीएमसी सांसद सुगत बोस ने सवाल किया कि विदेश मंत्रालय बांग्लादेश में रोहिंग्या के लिए ऑपरेशन इंसानियत चला रहे हैं। भारत में भी ४०,००० रोहिंग्या हैं, तो क्या हम इंसानियत सिर्फ उन्हीं के लिए दिखाएंगे जो बांग्लादेश में हैं ? इस पर किरन रिजजू ने कहा कि देश के सभी हिस्सों में अलग-अलग जगहों पर प्रवासी है जिनको नागरिकता एक्ट के प्रावधानों के तहत देखा जाता है और नागरिकता देना या न देना इस एक्ट के प्रावधानो पर निर्भर है !
स्त्रोत : जागरण

Tuesday 31 July 2018

अवैध तरीके से रहनेवाले ४० लाख नागरिकों के लिए पिघला ममता बनर्जी का दिल


नई देहली : असम में नागरिकता को लेकर सोमवार को जारी राष्‍ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) के दूसरे और अंतिम मसौदे में ४० लाख नागरिकों के अवैध होने का दावा किया गया है । इसे लेकर पश्चिम बंगाल की मुख्‍यमंत्री और तृणमूल कांग्रेस की अध्‍यक्ष ममता बनर्जी ने भाजपा पर निशाना साधा है । उन्‍होंने इसे भाजपा की वोट पॉलिटिक्‍स करार दिया है । उन्‍होंने मामले में सवाल भी उठाए हैं ।
उन्‍होंने पूछा है कि, जिन ४० लाख लोगों के नाम मसौदे में शामिल नहीं किए गए हैं, वे कहां जाएंगे ? क्‍या उनके लिए केंद्र सरकार ने कोई व्‍यवस्‍था की है ? उन्‍होंने कहा कि इससे सबसे अधिक पश्चिम बंगाल प्रभावित होगा । ममता बनर्जी ने सोमवार को भाजपा सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि असम में अधिकांश लोग ऐसे हैं जिनके पास आधार कार्ड हैं, पासपोर्ट हैं परंतु उनके नाम मसौदा सूची से गायब हैं । मसौदा सूची से लोगों के नाम उनके सरनेम के आधार पर हटाए गए हैं । उन्‍होंने सवाल उठाया कि क्‍या सरकार लोगों को जबरन वहां से निकालना चाहती है ?
ममता बनर्जी ने कहा कि, असम से लोगों को गेम प्‍लान के अंतर्गत हटाया जा रहा है । हम इसलिए चिंतित हैं क्‍योंकि लोगों को अपने ही देश में बतौर रिफ्यूजी रहने को मजबूर किया जा रहा है ।  यह बंगाली भाषी लोगों और बिहार के लोगों को बेदखल करने की योजना है । इसका असर पश्चिम बंगाल पर भी पडेगा । ममता का कहना है कि, वह असम जाने का प्रयास करेंगी ।
बता दें कि मामले में गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने जानकारी देते हुए बताया कि कुछ लोग इस मुद्दे पर बेवजह डर का माहौल बना रहे हैं । उन्‍होंने इस रिपोर्ट को निष्‍पक्ष बताया है । उन्‍होंने कहा कि इस मामले में गलत सूचना फैलाने की आवश्यकता नहीं है ।
स्त्रोत : झी न्यूज

भारत सरकार की बडी पहल, ५२ बांग्लादेशियों को उनके वतन भेजा गया


धुब्री : असम के हिरासत शिविर में रखे गए ५२ बांग्लादेशी नागरिकों को अंतरराष्ट्रीय सरहद पर बांग्लादेश के अधिकारियों के सुपुर्द किया गया। दक्षिण सलमार-मानकाचर जिले के ५२ हिन्दू-मुस्लिमों को २०१२ से हिरासत में रखा गया था। इनमें पांच महिलाएं और चार बच्चे भी शामिल हैं।
मानकाचर में सहपरा बीएसएफ सीमा चौकी के जरिए बांग्लादेशियों को उनके देश भेजा गया। इस दौरान असम पुलिस के पुलिस उप महानिरीक्षक (सीमा) रौनक अली हजारिका, दक्षिण सलमार-मानकाचर जिले की उपायुक्त ए सुल्ताना और अन्य अधिकारी मौजूद थे।
स्त्रोत : पंजाब केसरी

Monday 30 July 2018

ଅନୁପ୍ରବେଶକୁ ରୋକ


ଅନୁପ୍ରବେଶକୁ ରୋକ ଅନୁପ୍ରବେଶକାରୀଙ୍କ ବିରୋଧରେ ଦେଶର ସବୁଠାରୁ ବଡ ଅଭିଯାନ ଅନ୍ତର୍ଗତ ଆସାମରେ ଅବୈଧ ଭାବେ ବସବାସ କରୁଥିବା ବାଂଲାଦେଶୀ ନାଗରିକମାନଙ୍କୁ ଚିହ୍ନଟ କରିବା ପାଇଁ ଆରମ୍ଭ ହୋଇଥିବା ପ୍ରକ୍ରିୟାରେ ଆସାମ ସରକାର ନ୍ୟାସନାଲ୍‍ ରେଜିଷ୍ଟ୍ରର ଅଫ୍‍ ସିଟିଜେନ୍ସ (ଏନ୍‍ଆର୍‍ସି)ର ଚୂଡ଼ାନ୍ତ ତାଲିକା ପ୍ରକାଶ କରିଛନ୍ତି । ଏଥିରେ ପ୍ରାୟ ୪୦ଲକ୍ଷ ବାଙ୍ଗଲାଦେଶୀ ଅନୁପ୍ରବେଶକାରୀଙ୍କୁ ଚିହ୍ନଟ କରାଯାଇଛି । ଦୀର୍ଘ ଦିନ ଧରି ଏହି ଲୋକମାନେ ଆସାମରେ ବସବାସ କରୁଥିବାରୁ ହଠାତ ସେମାନଙ୍କୁ ଅବୈଧ ଦର୍ଶାଇବା କାରଣରୁ ଉତ୍ତେଜନା ପ୍ରକାଶ ପାଇଛି । ତେଣୁ ସମଗ୍ର ଆସାମରେ ବ୍ୟାପକ ସୁରକ୍ଷା ବ୍ୟବସ୍ଥା କରାଯାଇଛି । ସମ୍ଭାବ୍ୟ ଆଇନଶୃଙ୍ଖଳା ପରିସ୍ଥିତିର ମୁକାବିଲା ପାଇଁ କେନ୍ଦ୍ର ସରକାର ଆସାମକୁ ୨୨୦ କମ୍ପାନୀ ସିଆର୍‍ପିଏଫ୍‍ ଜବାନଙ୍କୁ ପଠାଇଛନ୍ତି  । ଆସାମର ସବୁ ସୀମାକୁ ସିଲ୍‍ କରିଦିଆଯାଇଛି  । ୧୯୭୧ ମାର୍ଚ୍ଚ ୨୫ ପୂର୍ବରୁ ଆସାମରେ ରହୁଥିବା ଲୋକ ଓ ସେମାନଙ୍କ ପରିବାରବର୍ଗକୁ ଆସାମର ନାଗରିକ ଭାବେ ଚିହ୍ନଟ କରାଯାଇଛି । ଅନ୍ୟମାନଙ୍କୁ ବିଦେଶୀ ନାଗରିକ ବୋଲି ଦର୍ଶାଯାଇଛି । ଏନେଇ କେନ୍ଦ୍ର ଗୃହ ବିଭାଗ ଦର୍ଶାଇଛି ଯେ, ତାଲିକା ଚୂଡାନ୍ତ ନୁହେଁ । ତେବେ ଏଠାରେ ଆଲୋଚନାର ପ୍ରସଙ୍ଗ ହେଉଛି ଏଭଳି ସମସ୍ୟା ପାଇଁ ଦାୟୀ କିଏ । ଏହି ସମସ୍ୟା ଦିନକର ନୁହେଁ । ବାଂଲାଦେଶୀଙ୍କ ପାଇଁ ଆସାମ, ପଶ୍ଚିମବଙ୍ଗ, ବିହାର, ଝାଡଖଣ୍ଡ, ଛତିଶଗଡ ଓ ଓଡିଶା ଚରାଭୂଇଁ । ଉପକୂଳଗୁଡିକରେ ସାମୁଦ୍ରିକ ଥାନା ରହିଛି । କିନ୍ତୁ ସେଗୁଡିକ କାମ କରେ ନାହିଁ । ବାଂଲାଦେଶୀରୁ ଆସୁଥିବା ଅନୁପ୍ରବେଶକାରୀ ଭାରତ ଉପକୂଳରେ ପ୍ରଥମେ ମାଛ ଧରିବା ପାଇଁ ଆସି ପରେ ସେହି ସ୍ଥାନରେ ଆସ୍ଥାନ ଜମେଇଥାନ୍ତି । ପରେ ପରେ ନିଜର ସହଯୋଗୀଙ୍କୁ ଆଣି ଅନ୍ୟ ମାଛଧରା ବୋଟଗୁଡ଼ିକରେ ନିଯୁକ୍ତ କରି ଆଡ୍ଡା ଜମାଇ ଥାନ୍ତି । ଏହିପରିଭାବେ ସେମାନେ ନିଜ ନିଜର ସାମ୍ରାଜ୍ୟ ପ୍ରତିଷ୍ଠା କରିବାରେ ଲାଗିଛନ୍ତି  । କେବଳ ସେତିକି ନୁହେଁ ବାଂଲାଦେଶରୁ ଆସୁଥିବା ଚୋରାମାଲ ଛୋଟ ଛୋଟ ଡଙ୍ଗାରେ ଆଣି ବେପାର କରୁଛନ୍ତି । ଗୋ ଚାଲାଣ, ଜାଲନୋଟ ଆଦି କାରବାରରେ ଏହି ଅନୁପ୍ରବେଶକାରୀମାନେ ସଂପୃକ୍ତ ରହୁଛନ୍ତି । ଓଡିଶାରେ ମଧ୍ୟ ସେମାନଙ୍କ ଦୌରାତ୍ମ୍ୟ କିଛି କମ ନୁହେଁ । ଏହି ଅନୁପ୍ରବେଶକାରୀ ଭଦ୍ରକ ଜିଲ୍ଲାର ବାସୁଦେବପୁର ବ୍ଲକରେ ଏକ ପଡା ତିଆରି କରି ତାହାର ନାମ ପାକିସ୍ଥାନପଡା ଦେଇଥିଲେ  । ପରେ ପରେ ତାହା ବିନୋବା ନଗର ନାମରେ ନାମିତ ହୋଇଥିଲା । ଆତଙ୍କବାଦୀ ଓ ଅନୁପ୍ରବେଶକାରୀଙ୍କ କବଳରୁ ଦେଶର ଉପକୂଳକୁ ସୁରକ୍ଷା ଯୋଗାଇ ଦେବା ଉପରେ କେନ୍ଦ୍ର ସରକାର ଗୁରୁତ୍ୱ ପ୍ରଦାନ କରୁଛନ୍ତି । ତେବେ ରାଜ୍ୟ ସରକାରମାନେ ଏହାକୁ ହାଲ୍‍କା ଭାବେ ନେଉଛନ୍ତି । ସାମୁଦ୍ରିକ ଥାନାଗୁଡିକରେ କର୍ମଚାରୀ ଅଭାବ ତ କେଉଁଠି ଥାନାର ନିଜସ୍ୱ ଘର ନାହିଁ ଭଡ଼ା ଘରେ ଚାଲିଛି । ଆଉ କେତେକ ଥାନାରେ ବୋଟ ଅଚଳ, ଯାହାଦ୍ୱାରା ପଇଁତରା ମାରିବା ସମ୍ଭବ ହେଉ ନାହିଁ । ଦେଶର ସୁରକ୍ଷାକୁ ଅଗ୍ରାଧିକାର ଦେଇ ସରକାର ସମସ୍ତ ସାମୁଦ୍ରିକ ଥାନାର ନବୀକରଣ କରିବା ଜରୁରୀ ହୋଇ ପଡ଼ିଛି । ଏବେ ଦେଖାଯାଉଛି ଏହି ବିଦେଶୀ ଅନୁପ୍ରବେଶକାରୀଙ୍କ ସମ୍ପର୍କରେ ସରକାରଙ୍କ ପାଖରେ କୌଣସି ସୂଚନା ନାହିଁ । ଖୋଦ୍‍ ରାଜଧାନୀ ଭୁବନେଶ୍ୱର ସହରର ବିଭିନ୍ନ ସହରତଳି ଅଞ୍ଚଳଠାରୁ ବସ୍ତିମାନଙ୍କରେ ଏମାନେ ଛାଇଗଲେଣି । ଏମାନେ କିଏ ଓ କେଉଁଠୁ ଆସୁଛନ୍ତି ବୋଲି ପୁଲିସର ମଧ୍ୟ ସାମାନ୍ୟ ଅନିସନ୍ଧିତ୍ସୁ ଭାବ ନାହିଁ । ଏପରିସ୍ଥଳେ ସେମାନେ ନାଗରିକ ପରିଚୟପତ୍ର ହାସଲ କରିବାକୁ ଚାହିଁବା କିଛି ବଡ଼କଥା ନୁହେଁ । ଥରେ ଏହି କାର୍ଡ଼ ସେମାନଙ୍କ ହାତରେ ପଡ଼ିଗଲେ, ତେଣିକି ସେମାନଙ୍କୁ କେହି ଅନୁପ୍ରବେଶକାରୀ ବୋଲି କହିପାରିବେ ନାହିଁ । ଜନଗଣନା ବ୍ୟବସ୍ଥାରେ ଥିବା ଆଇନଗତ ତ୍ରୁଟିବିଚ୍ୟୁତି ମଧ୍ୟ ସେମାନଙ୍କୁ ବେଶ୍‍ ସୁହାଉଛି । ଫଳରେ ଜନଗଣନାକାରୀ ଅନିଚ୍ଛାସତ୍ତେ୍ୱ ବି ଏହି ଅନୁପ୍ରବେଶକାରୀଙ୍କୁ ସ୍ଥାନୀୟ ବାସିନ୍ଦା ବୋଲି ତାଲିକାଭୁକ୍ତ କରିବାକୁ ବାଧ୍ୟ ହେଉଛି । ଦିନକୁ ଦିନ ଏମାନଙ୍କର ରାଜନୈତିକ ପ୍ରଭାବ ମଧ୍ୟ ବଢ଼ୁଛି । କେବଳ ରାଜ୍ୟ ନୁହେଁ, ଦେଶର ଆଭ୍ୟନ୍ତରୀଣ ନିରାପତ୍ତା ଏଭଳି ଅନୁପ୍ରବେଶକାରୀଙ୍କ ଦ୍ୱାରା ବିପନ୍ନ ହେବାର ସୂଚନା ଏବେ ଚିନ୍ତାର କାରଣ ହୋଇଛି  । କେବଳ ଏତିକି ନୁହେଁ, ଏମାନେ ବାହା ହେବାର ମିଥ୍ୟା ପ୍ରଲୋଭନ ଦେଖାଇ ଯୁବତୀମାନଙ୍କୁ ବାହାର ରାଜ୍ୟକୁ ଚାଲାଣ, ନିଶାଦ୍ରବ୍ୟର ଚୋରା ବ୍ୟବସାୟ, ଗୋରୁ ଚାଲାଣ , ଭାରତ ବିରୋଧୀ ଗତିବିଧି , ହିଂସାକାଣ୍ଡ ଓ ଆତଙ୍କବାଦୀ କାର୍ଯ୍ୟକଳାପ ଭଳି ବଡ ବଡ ଅପରାଧରେ ମଧ୍ୟ ଜଡ଼ିତ ଥିବା ଦେଖିବାକୁ ମିଳୁଛି । ଏମାନଙ୍କ ପାଇଁ ଅନେକ ସ୍ଥାନରେ ସାମ୍ପ୍ରଦାୟିକ ଅଶାନ୍ତି ସୃଷ୍ଟି ହେଉଛି । ଆସାମରେ ସ୍ଥାନୀୟ ଅଧିବାସୀ ଓ ବେଆଇନଭାବେ ଅନୁପ୍ରବେଶ କରି ରହୁଥିବା ବାଂଲାଦେଶୀଙ୍କ ମଧ୍ୟରେ ବାରମ୍ବାର ଘଟୁଥିବା ସଂଘର୍ଷରୁ ଦଙ୍ଗା ଭଳି ଦୁଃଖଦ ସ୍ଥିତି ଉପୁଜୁଛି  । ଏଥିରେ ଲକ୍ଷଲକ୍ଷ ଲୋକ ଗୃହଶୂନ୍ୟ ହେଉଛନ୍ତି ଓ ବହୁ ଲୋକଙ୍କ ମୃତ୍ୟୁ ଘଟୁଛି  । ଆମ ଦେଶର ପୂର୍ବାଞ୍ଚଳରେ ଥିବା ରାଜ୍ୟ ଗୁଡିକରେ ବାଂଲାଦେଶୀ ଅନୁପ୍ରବେଶକାରୀଙ୍କ ସଂଖ୍ୟା ଯେଭଳି ବଢ଼ିଚାଲିଛି, ତାହା ନିଶ୍ଚୟ ଚିନ୍ତାର ବିଷୟ । ବାଙ୍ଗଲାଦେଶୀ ଅନୁପ୍ରବେଶକାରୀମାନେ ବିଭିନ୍ନ ପ୍ରକାରର ବେଆଇନ କାର୍ଯ୍ୟକଳାପରେ ଲିପ୍ତଥିବା କୁହାଯାଉଛି । ତେବେ ଏକଥା ସତ ଯେ ଏହି ଅନୁପ୍ରବେଶକାରୀଙ୍କ ମଧ୍ୟରୁ ଅଧିକାଂଶ ଗରିବ ହୋଇଥିବାରୁ ହିଁ ବେଆଇନଭାବେ ଭାରତରେ ରହୁଛନ୍ତି । କିନ୍ତୁ ଅଧିକ ଦିନ ବେଶି ଲୋକ ଯଦି ଏଭଳି ବେଆଇନ ଭାବେ ରହିବାକୁ ଲାଗିବେ ବା ବେନିୟମ କାର୍ଯ୍ୟ କରୁଥିବେ, ତାହା ଦେଶ ପ୍ରତି ବିପଦ ସୃଷ୍ଟି କରିବା ସ୍ୱାଭାବିକ । ତେଣୁ ଏଭଳି ଲୋକଙ୍କୁ ଆସାମ ସରକାରଙ୍କ ପରି ଅନ୍ୟ ରାଜ୍ୟ ସରକାରମାନେ ଯଥାଶୀଘ୍ର ଚିହ୍ନଟ କରନ୍ତୁ । ନେତାମାନେ ଆଉ ସେମାନଙ୍କୁ ନିଜର ଭୋଟବ୍ୟାଙ୍କ୍‍ ବୋଲି ଭାବନ୍ତୁ ନାହିଁ । ଯେଉଁମାନେ ବେଆଇନ କାର୍ଯ୍ୟ କରୁଛନ୍ତି, ସେମାନଙ୍କ ବିରୋଧରେ ପୁଲିସ ତଦନ୍ତ କରି କାର୍ଯ୍ୟାନୁଷ୍ଠାନ କରୁ । ଯଦି ଏହାକୁ ଉପେକ୍ଷା କରାଯାଏ, ତେବେ ଭବିଷ୍ୟତରେ ଆସାମ ଭଳି ପରିସ୍ଥିତି ଯେ ସୃଷ୍ଟି ନହେବ, ତାହା କହିହେବ ନାହିଁ । ଓଡ଼ିଶାରେ ବାଂଲାଦେଶୀଙ୍କ ପ୍ରବେଶ ସଂପର୍କିତ ତଥ୍ୟକୁ ଅନୁଧ୍ୟାନ କଲେ ଜଣାଯାଏ ଯେ ଦେଶ ସ୍ୱାଧୀନ ହେବାପରେ ଦଣ୍ଡକାରଣ୍ୟ ଯୋଜନାରେ ବାଂଲାଦେଶୀ ଶରଣାର୍ଥୀଙ୍କୁ ଦେଶରେ ରହିବାର ସୁଯୋଗ ମିଳିଥିଲା । ଏହି ସମୟରେ ଓଡ଼ିଶାରେ ମାତ୍ର ୨୩ଜଣ ବାଂଲାଦେଶୀ ଶରଣାର୍ଥୀ ଆଶ୍ରୟ ନେଇଥିଲେ । ପୁନର୍ବାର ୧୯୭୧ମସିହାରେ ଓଡ଼ିଶାକୁ ୧୫୦୦ବାଂଲାଦେଶୀ ଆସିଥିଲେ । ଏହାପରେ ସରକାରୀ ଭାବେ କେବେ ବି ବାଙ୍ଗଲାଦେଶୀଙ୍କୁ ରାଜ୍ୟରେ ଆଶ୍ରୟ ଦିଆଯାଇନାହିଁ । ପରେ କିନ୍ତୁ ବହୁ ବାଙ୍ଗଲାଦେଶୀ ଅନୁପ୍ରବେଶକାରୀ ସମୁଦ୍ର ପଥରେ ଆସି ଅବିଭକ୍ତ କଟକ ଜିଲା ସମେତ ସମୁଦ୍ର ତଟବର୍ତ୍ତୀ ଜିଲା ଗୁଡିକରେ ଆସ୍ଥାନ ଜମାଇଥିଲେ । କିନ୍ତୁ ବର୍ତ୍ତମାନ ବେସରକାରୀ ହିସାବରେ ଜଗତସିଂହପୁର ଜିଲାରେ ପାଖାପାଖି ୧୦ହଜାରରୁ ଅଧିକ ବାଂଲାଦେଶୀ ଲୋକେ ବସବାସ କରୁଛନ୍ତି । ବିଶେଷକରି ଏରସମା ଓ ପାରାଦ୍ୱୀପ ପୌରପାଳିକା ଅଞ୍ଚଳରେ ବାଂଲାଦେଶୀ ନାଗରିକ ବସବାସ କରିବା ସହ ଅସାମାଜିକ କାର୍ଯ୍ୟକଳାପରେ ଲିପ୍ତ ରହୁଛନ୍ତି । ତେବେ ସରକାରୀ ଭାବେ ବିଭିନ୍ନ ସମୟରେ ଜିଲାରେ ବାଂଲାଦେଶୀଙ୍କ ସଂଖ୍ୟା ନେଇ ସର୍ଭେ ହୋଇଛି । ହେଲେ କୌଣସି ଥର ବି ସଠିକ୍‍ ତଥ୍ୟ ସାମ୍ନାକୁ ଆସିପାରିନି । ୨୦୦୫ରେ ବାଙ୍ଗଲାଦେଶୀ ଚିହ୍ନଟ ପ୍ରକ୍ରିୟାରେ ଜଗତସିଂହପୁର ଜିଲ୍ଲାରେ ୮୮୭ଜଣ ବାଙ୍ଗଲାଦେଶୀ ଥିବା ଜଣାପଡିଥିଲା । ପାରାଦ୍ୱୀପ ପୌରପାଳିକା ଅଞ୍ଚଳରେ ୨୯୭ଜଣ ଥିବାବେଳେ ଏରସମାରେ ୪୨୩ଜଣ ଓ ବାଲିକୁଦାରେ ୧୬୭ଜଣ ବାଙ୍ଗଲାଦେଶୀ ଥିବା ସରକାରୀ ଭାବେ ଘୋଷଣା ହୋଇଥିଲା । ହେଲେ ଚିହ୍ନଟ ହୋଇଥିବା ବାଙ୍ଗଲାଦେଶୀ ନାଗରୀକଙ୍କୁ ଜିଲାରୁ ହଟାଇବାକୁ ଆଜି ପର୍ଯ୍ୟନ୍ତ କୌଣସି ଯୋଜନା ହେଲାନାହିଁ । କାର୍ଯ୍ୟାନୁଷ୍ଠାନ ନହେବାରୁ ଦିନକୁ ଦିନ ଅଧିକ ସଂଖ୍ୟାରେ ବାଂଲାଦେଶୀ ଅନୁପ୍ରବେଶକାରୀ ଜିଲ୍ଲାରେ ଆସ୍ଥାନ ଜମାଉଛନ୍ତି । ଅନ୍ୟପକ୍ଷରେ, ଜଗତସିଂହପୁର ଜିଲ୍ଲାର ଏରସମା ଓ ପାରାଦ୍ୱୀପ ପୌରପାଳିକାରେ ବାଙ୍ଗଲାଦେଶୀ ପରିବାର ଖଣି ପଡିବା ଭଳି ରହିଛନ୍ତି । ପୌରପାଳିକାର ଷଣ୍ଢକୁଦ ବସ୍ତିରେ ବହୁ ବାଂଲାଦେଶୀ ପରିବାର ରହୁଥିବା ବେଳେ ମୂଷାଢିହାରେ ବି ୩୦୦୦ରୁ ଅଧିକ ବାଂଲାଦେଶୀ ରହୁଛନ୍ତି । ତେବେ ସବୁଠାରୁ ବଡ କଥା ହେଲା ବାଙ୍ଗଲାଭାଷୀ ଲୋକମାନେ ବାଂଲାଦେଶୀଙ୍କୁ ଏଠାରେ ଆଶ୍ରୟ ଦେଉଛନ୍ତି । ନିଜର ବନ୍ଧୁବାନ୍ଧବ ବୋଲି ଦର୍ଶାଇ ବାଂଲାଦେଶୀ ପରିବାରକୁ ଜଗତସିଂହପୁର ଜିଲାରେ ରହିବାର ସୁଯୋଗ ଦେଉଛନ୍ତି । ଫଳରେ ବହୁ ସଂଖ୍ୟାରେ ବାଂଲାଦେଶୀ ଭୋଟର ପରିଚୟପତ୍ର ହାସଲ କରିଥିବା ବେଳେ ସରକାରଙ୍କର ବିଭିନ୍ନ ଯୋଜନାର ଫାଇଦା ନେଉଛନ୍ତି । ଏମିତି ହିସାବ କଲେ ଜଗତସିଂହପୁର ଜିଲାରେ ଏବେ ୫୦ହଜାରରୁ ଅଧିକ ବାଂଲାଦେଶୀ ଲୋକ ଥିବା ବେସରକାରୀ ସୂତ୍ରରୁ ଜଣାପଡିଛି । ବାଙ୍ଗଲାଦେଶୀ ଅନୁପ୍ରବେଶକାରୀଙ୍କ ଯୋଗୁଁ କେବଳ ଅପରାଧ ବୃଦ୍ଧି ପାଉ ନାହିଁ, ଦେଶର ଅର୍ଥନୀତି ଦୁର୍ବଳ ହେଉଛି । ଡେମୋଗ୍ରାଫି ବଦଳି ଯାଉଛି । ଆମ ସମ୍ବଳ ଉପରେ ଚାପ ସୃଷ୍ଟି ହେଉଛି । ଏହା ଏକ ଗୁରୁତର ପ୍ରସଙ୍ଗ । ଏହା ଉପରେ ସରକାର ତୁରନ୍ତ ଶକ୍ତ କାର୍ଯ୍ୟାନୁଷ୍ଠାନ କରିବା ଉଚିତ । ଆସାମ ସରକାରଙ୍କ ପରି ଓଡିଶ ସମେତ ସବୁ ପ୍ରଭାବୀ ରାଜ୍ୟ ବାଙ୍ଗଲାଦେଶୀଙ୍କୁ ହଟାିବା ପାଇଁ ଦୃଢ଼ ପଦକ୍ଷେପ ଗ୍ରହଣ କରିବା ଉଚିତ ।